मै हुस्न परी, मै हुस्न परी
सब पर चले मेरी जादूगरी
महफिल की शान मुझ से है, जब जाम से जाम टकराता है
तन्हा की जान मुझ मे है, सरूर मुझी से आता है, हर खुशी पाता है, अधरों से छूकर मुझे चैन पाता है
खुशी अधूरी बिन मेरे,
ग़म मे भी मैं साथ तेरे
अमीर फकीर का कोई फर्क़ नहीं
सबके साथ रहती हूँ,
जो बुला ले उसके गले लग जाती हूँ
कभी मदिरा कभी सोमरस, किसी के लिए महबूबा
देव दानव मानव, हर कोई मुझ मे ही डूबा
मै हुस्न परी, मै हुस्न परी
सब पर चले मेरी जादूगरी
कुछ मुझसे नफरत भी करते हैं
देख मेरा अंजाम, मेरी फितरत से डरते हैं
ग़र मोहब्बत हो सच्चई
तो आशिक अंजाम से कहाँ डरते हैं
हुस्न देख मेरा, मुझ पे मरते हैं
यही तो है मेरी जादूगरी
मै हुस्न परी, मै हुस्न परी
अपने शराबि भाइयों को समर्पित (रचयिता : संदेश कुमार गुप्ता)