Sunday, December 22, 2024
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जानें सीएम योगी आदित्यनाथ का गोरखपुर केस..

by sonali
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सीएम योगी आदित्यनाथ का गोरखपुर केस

  • गोरखपुर में साल 2007 में हुए साम्प्रदायिक दंगे के आरोपी यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को अपनी ही सरकार में बड़ी राहत मिली है। यूपी सरकार गृह विभाग ने सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मुकदमा चलाए जाने की मंजूरी दिए जाने से इंकार कर दिया है।
  • यूपी सरकार ने 11 मई 2017 को इलाहाबाद हाई कोर्ट में यह बयान दिया हालांकि सरकार ने यह फैसला 3 मई को ही ले लिया था.. सरकार ने अपने बयान में कहा था कि फोरेंसिक जांच में यह पाया गया कि योगी आदित्यनाथ के भाषण के टेपों के साथ छेड़छाड़ हुई है.
  • शिकायतकर्ताओं की तरफ से भी अदालत में यह कहा गया कि जब केस में खुद सीएम ही आरोपी है तो ऐसे में सरकार मुकदमा चलाने की मंजूरी कैसे देगी।
  • अदालत ने यह भी साफ़ किया कि नई अप्लीकेशन पर अदालत सुनवाई के बाद उचित फैसला लेगी।
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट अब इस मामले में 7 जुलाई को सुनवाई करेगी।

मामला क्या है?

  • साल 2007 की 27 जनवरी को गोरखपुर में साम्प्रदायिक दंगा हुआ था। आरोप है कि दंगे में अल्पसंख्यक समुदाय के दो लोगों की मौत हुई थी, जबकि कई लोग घायल हुए थे।
  • आरोप है कि दंगा तत्कालीन बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ, विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल और उस वक्त की मेयर अंजू चौधरी द्वारा रेलवे स्टेशन के पास भड़काऊ भाषण देने के बाद भड़का था।
  • विवाद मुहर्रम पर ताजिये के जुलूस के रास्तों को लेकर था। इस मामले में योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी के कई नेताओं के खिलाफ सीजेएम कोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज हुई थी।
  • एफआईआर में कई दूसरी गंभीर धाराओं के साथ ही साम्प्रदायिक आधार पर समाज को बांटने की आईपीसी की धारा 153 A भी शामिल थी।
  • क़ानून के मुताबिक़ 153 A के तहत दर्ज केस में केंद्र या राज्य सरकार की अनुमति के बाद ही अदालत में मुक़दमे की सुनवाई शुरू होती है।
  • योगी आदित्यनाथ समेत दूसरे बीजेपी नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज किये जाने का आदेश दिए जाने का केस गोरखपुर के पत्रकार परवेज परवाज और सामाजिक कार्यकर्ता असद हयात ने दाखिल किया था।
  • केस दर्ज होने के बाद मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंपी गई थी।
  • 13 दिसंबर साल 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने स्टे वापस ले लिया था।
  • परवेज परवाज और असद हयात ने बाद में इस मामले की जांच सीबीसीआईडी के बजाय सीबीआई या दूसरी स्वतंत्र एजेंसी से कराए जाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी।
  • अखिलेश सरकार ने मामले को लटकाते हुए योगी इस केस में योगी समेत बाकी आरोपियों के खिलाफ केस चलाए जाने की मंजूरी नहीं दी थी।
  • इस बीच यूपी में सत्ता परिवर्तन हो गया और आरोपी योगी आदित्यनाथ सूबे के सीएम बन गए।
  • गृह मंत्रालय भी उन्हीं के पास है। इस पर याचिकाकर्ताओं की तरफ से कहा गया कि आरोपी जब खुद ही सूबे के मुखिया है तो ऐसे में राज्य सरकार मुकदमा चलाने की मंजूरी कैसे देगी।

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