Monday, December 23, 2024
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दोबारा से खुलेगा करतारपुर साहिब गलियारा?

by Divyansh Raghuwanshi
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सिख श्रद्धालुओं के लिए पाकिस्तान की ओर से एक बहुत बड़ी खुशखबरी है। पाकिस्तान के द्वारा हाल ही में एक ट्वीट के माध्यम से सूचना दी गई है, कि पाकिस्तान सिख श्रद्धालुओं के लिए करतारपुर साहिब गलियारे को खोलने की तैयारी कर रहा है। इस ट्वीट में कहा गया है, कि महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि आने पर यानी की 29 जून 2020 को करतारपुर साहिब गलियारे खोलने के लिए हम भारत देश को हमेशा इस बात की जानकारी दे रहे हैं। इस ट्वीट को पाकिस्तान के विदेश मंत्री (शाह महमूद कुरैशी) द्वारा पोस्ट किया गया है। इस बात को सुनकर पाकिस्तान के सिख और भारत के सिख दोनों ही में खुशी की लहर नजर आ रही है।

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दुनिया में कोरोनावायरस के कारण फैली महामारी के कारण किया था बंद

करतारपुर साहिब गलियारे को भारत पाकिस्तान समेत पूरी दुनिया में कोरोनावायरस के कारण फैली इस महामारी के कारण बंद किया गया था। भारत में सुरक्षा की दृष्टि से (कोरोना वायरस के कारण) करतारपुर को 15 मार्च बंद करने का फैसला लिया गया था और इससे पहले इस गलियारे को 31 मार्च तक बंद किया गया था लेकिन लोगों की सुरक्षा को देखते हुए इसे अनिश्चित काल तक बंद रखने का फैसला लिया गया था।

सिख धर्म में सबसे प्रचलित “गुरु नानक” से जुड़ा हुआ है करतारपुर गुरुद्वारा

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करतारपुर साहिब गलियारे पाकिस्तान के नरोवाल जिले में रावी नदी के पास स्थित है। अगर हम इस गलियारे के इतिहास के बारे में बात करें तो यह लगभग 500 साल से भी ज्यादा पुराना है। सिख धर्म और इतिहासकारों का मानना है, कि सन 1522 में सिखों के गुरु नानक जी ने इसकी स्थापना की थी। और जानकारों के मुताबिक यह भारत की सीमा से सात किलोमीटर दूर है व पाकिस्तान के लाहौर से लगभग 120 किलोमीटर दूर है। यह गुरुद्वारा सिख धर्म के लिए एक बहुत ही पवित्र स्थान माना जाता है। इस गुरुद्वारे की सबसे खास बात यह है, कि यहां पर गुरु नानक देव ने अपने अंतिम समय को इसी स्थान पर बिताया था।

भारत और पाकिस्तान दोनों देशों ने मिलकर इस गलियारे का निर्माण कराया था

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गुरदासपुर के बाबा नानक और पाकिस्तान के करतारपुर में स्थित गुरुद्वारे को जोड़ने के लिए गलियारा का निर्माण भारत और पाकिस्तान दोनों देशों की सरकारों ने मिलकर कराया था। दोनों देश की सरकारों ने विभिन्न प्रकार की बातचीत करके इस गलियारे को बनाने के लिए 2018 में इसकी नींव रखी थी। इसके निर्माण का शिलान्यास भारत में 26 नवंबर और पाकिस्तान में 28 नवंबर को किया गया था। इसके पश्चात गुरु नानक देव की 150 वी जयंती के शुभ अवसर पर नौ नवंबर 2019 को बंद कर तैयार हो जाने के बाद जनता के लिए खोल दिया गया था।

इस गुरुद्वारे में जाने के लिए आपको रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है और कुछ पैसे देने की भी आवश्यकता होती है। दोनों देशों द्वारा यहां पर आने जाने के कुछ नियम कानून निर्धारित किए गए हैं जैसे नशे करने की कोई भी चीज नहीं ले जा सकते हैं, विस्फोटक सामग्री भी नहीं ले जा सकते हैं इत्यादि।

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