पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए सरकार ने बहुत सारे नियमों को निर्मित करके पर्यावरण को सुरक्षित रखा है। आज हम सरकार द्वारा किए गए प्रयासों को जानेंगे।
पर्यावरण विभाग का गठन
पर्यावरण संबंधी समस्याओं का हल खोजने से संबंधित विभाग और मंत्रालय तथा विशेषज्ञों की राय प्राप्त करने की दृष्टि से सन 1972 में एक पर्यावरण समन्वय समिति का गठन किया गया है। जनवरी सन 1980 में एक और समिति की स्थापना की गई। इस उच्चाधिकार प्राप्त समिति की सिफारिश पर 1980 में पर्यावरण विभाग की स्थापना की गई। 1985 में पर्यावरण और वन कार्यक्रमों की उन्नति हेतु इसे पर्यावरण और वन मंत्रालय में बदल दिया गया।
पर्यावरण संरक्षण के लिए कानून बनाए गए
पर्यावरण संरक्षण के लिए केंद्रीय और राज्य सरकार ने लगभग 30 कानून बनाए हैं इनमें से प्रमुख कानून जल अधिनियम 1974, वायु अधिनियम 1981, जल उपकर अधिनियम 1977, तथा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 है। 19 नवंबर 1986 को लागू किया गया पर्यावरण संरक्षण अधिनियम एक ऐतिहासिक कानून माना जाता है। इसका उद्देश्य देश में पर्यावरण संरक्षण तथा दूसरे संबंधी नियमों की खामियों को दूर करना है।
वन संरक्षण तथा वृक्षारोपण
वन संरक्षण के लिए सरकार द्वारा विभिन्न प्रयास किए गए हैं। वनों की कटाई में निरंतर कमी आई है। तथा वृक्षारोपण से वनों में वृद्धि हुई है। इसके फल स्वरूप हवा की गुणवत्ता में भी सुधार आया है। सरकार द्वारा वृक्षारोपण को बढ़ावा दिया गया है। विभिन्न प्रकार कि वन संरक्षण एवं वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के लिए नियम भी बनाए गए हैं।
जीव जंतुओं का संरक्षण
विभिन्न प्रकार के जीव जंतुओं तथा वनस्पतियों के संरक्षण हेतु अनेक प्रकार के कार्यक्रम चलाए गए तथा इनको संरक्षण करने के लिए जागरूक अभियान भी चलाए गए।
गंगा सफाई योजना
नदियों को सफाई करने के लिए विशेष प्रकार के कार्यक्रम चलाए गए। मुख्यतः गंगा की सफाई करने के लिए भारत सरकार ने सबसे महत्वपूर्ण अभियान चलाया जो कि एक व्यापक अभियान माना जाता है।
वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 में बनाया गया था। इसके अनुसार उन प्रजातियों के व्यापार पर प्रतिबंध लगाना है, जिनके अस्तित्व पर खतरा पैदा हो गया है। आधुनिक वन्य जीवन प्रबंध के लिए राष्ट्रीय वन्य जीवन कार्य योजना पर अमल किया जा रहा है।
राष्ट्रीय वन नीति
राष्ट्रीय वन नीति का निर्माण 1952 में किया गया था। जिसका उद्देश्य यह है कि देश की कुल भूमि के 1/3 भाग का वन क्षेत्र के अंतर्गत लाना था। परंतु विभिन्न कारणों से यह लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सका वनों की कटाई का सिलसिला जारी रहा। इससे वन नीति पर पुनः विचार करना जरूरी हो गया। राज्यों, विशेषज्ञों तथा सभी संबंध एजेंसियों के साथ व्यापक विचार-विमर्श करने के बाद संशोधित राष्ट्रीय वन नीति को अंतिम रूप दिया गया। नई वन नीति की प्रमुख विशेषताएं पारिस्थितिक संतुलन को बहाल करना तथा उसके संरक्षण के लिए के जरिए पर्यावरण की स्थिरता को बनाए रखना, प्राकृतिक वनों के संरक्षण तथा अन्य पीढ़ियों के लाभ के लिए विशाल संसाधनों की सुरक्षा के माध्यम से देश की प्राकृतिक धरोहर का संरक्षण करना इत्यादि है।