Friday, September 20, 2024
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जब कादर खान की स्क्रिप्ट एक फेमस डायरेक्टर ने फाड़कर कूड़े में डालने की बात कही- किस्सा

by Anuj Pal
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हिंदी सिनेमा में कुछ ऐसे कलाकार होते है जो अपने काम को लेकर इतने सहज होते हैं जिसे लोग वर्षों तक याद करते हैं, ऐसे ही बॉलीवुड के एक लेखक और अभिनेता कादर खान थे| उन्हें हम लोगों ने हीरो के साथ-साथ विलेन के रूप में भी देखा है| उनके अभिनय की प्रशंशा लोग आने वालों दिनों में भी करेंगे| इनकी खूबी यह थी की यह कलाकार के साथ-साथ एक लेखक के तौर पर भी जाने जाते थे| शायद यही वजह थी कि वो लोगों को बहुत पसंद आते थे|

कादर खान के लिखे हुए डायलोग को लोग आज भी याद करते हैं, अग्निपथ का सुपरहिट डायलॉग ‘विजय दीनानाथ चौहान…’ उन्होंने ही लिखा था| कादर ख़ान ने अपने करियर में लगभग 250 से भी अधिक फ़िल्मों के संवाद लिखे थे| इनमें धर्म-वीर, गंगा जमुना सरस्वती, अमर अकबर एनथोनी, लवारिस, शराबी, अग्निपथ, सरफ़रोश, ख़ून भरी मांग, आतिश, हिम्मतवाला जैसी फ़िल्मों के नाम शामिल हैं|

एक डायरेक्टर और एक्टर का जो संबध होता है वो फिल्म को कैसे कामयाबी दिलानी है यह उहीं पर निर्भर करता है| ऐसे ही एक दौर था जब बॉलीवुड के शोमैन कहलाने वाले डायरेक्टर मनमोहन देसाई और कादर खान ने कई फिल्मों को सुपरहिट बनाया था | पर क्या आप जानते हैं, मनमोहन देसाई जब पहली बार उनसे मिले थे तो उन्होंने कादर ख़ान के साथ काम करने से मना कर दिया था? वजह थी उनका मुस्लिम होना| कादर ख़ान भी कहां मानने वाले थे उन्होंने भी उनको चैलेंज कर दिया और फिर जो हुआ वो इतिहास बन गया|

मनमोहन देसाई और कादर ख़ान की पहली मीटिंग प्रोड्यूसर हबीब नाडियाडवाला ने करवाई थी| ये वो समय था जब मनमोहन देसाई अपनी फ़िल्म रोटी के लिए डायलॉग राइटर की तलाश कर रहे थे| मनमोहन देसाई जब उनसे मिले तो उन्होंने कादर ख़ान से साफ़ कह दिया, ‘देखो भाई मुस्लिम लेखकों के साथ काम करने से मुझे दिक्कत होती है क्योंकि ख़ालिस उर्दू मेरे पल्ले नहीं पड़ती”|

मनमोहन देसाई और कादर ख़ान की पहली मीटिंग प्रोड्यूसर हबीब नाडियाडवाला ने करवाई थी| ये वो समय था जब मनमोहन देसाई अपनी फ़िल्म रोटी के लिए डायलॉग राइटर की तलाश कर रहे थे| मनमोहन देसाई जब उनसे मिले तो उन्होंने कादर ख़ान से साफ़ कह दिया, ‘देखो भाई मुस्लिम लेखकों के साथ काम करने से मुझे दिक्कत होती है क्योंकि ख़ालिस उर्दू मेरे पल्ले नहीं पड़ती.’

कुछ दिनों बाद कादर ख़ान कुछ सीन लिखकर उनके पास पहुंचे| मनमोहन देसाई ने सारे सीन पढ़े| एक के बाद एक पन्ना पलटते गए और उनमें खो गए आख़िरी पेज पढ़ने के बाद उन्होंने कादर ख़ान को गले लगा लिया और कहा कि हम साथ काम करेंगे| जब मनमोहन देसाई ने उनसे फ़ीस पूछी तो कादर ख़ान ने अपने हिसाब से 25000 रुपये मांगे| तब मनमोहन ने उनसे कहा ‘मैं तुम्हें 1 लाख 25 हज़ार रुपये दूंगा’| 

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