1948 में अमेरिका में स्थित इंस्टीट्यूट आफ सप्लाई मैनेजमेंट ने पीएमआई को शुरू किया था। पहले यह सिर्फ अमेरिका की अर्थव्यवस्था के लिए काम करती थी। अब यह मार्केटिंग ग्रुप दुनिया के अन्य देशों के लिए भी काम करती है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में पीएमआई आर्थिक इंडिकेटर है। पीएमआई से किसी भी देश के बिजनेस और मैन्युफैक्चरिंग स्थिति का पता चलता है। देश की आर्थिक स्थिति का आकलन पंचिंग मैनेजर्स इंडेक्स अर्थात पीएमआई सूचकांक से करते हैं। देश की इकोनामी के बारे में आंकड़ों के साथ जानकारी पता चलती है। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में पीएमआई पांच कारकों पर निर्भर करती है। अर्थव्यवस्था में नये ऑर्डर, इन्वेंटरी स्तर, प्रोडक्शन, सप्लाई डिलीवरी रोजगार की उपलब्धता शामिल है। पीएमआई से देश की अर्थव्यवस्था के यह आंकड़े पता चलते हैं। दुनिया भर के 30 से ज्यादा देश में पीएमआई कार्य करती है। पीएमआई सूचकांक के माध्यम से दुनिया भर के कारोबारियों का पता चलता है। पीएमआई के माध्यम से इकोनॉमी की दशा का अनुमान लगाया जा सकता है।
पीएमआई का काम करने का तरीका
मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर की स्थिति का आंकलन करने के लिए पीएमआई इंडेक्स होता है। कारोबारियों पहलुओं पर मैनेजरों की राय ली जाती हैं। अलग अलग मैंनिजरो से उत्पाद, नए मॉडल, उद्योगों की उम्मीद और रोजगार से जुड़े जानकारी लेते हैं। पीएमआई के अंतर्गत आने वाले उद्योग यह है-
- ट्रांसपोर्ट एंड कम्युनिकेशन
- फाइनेंसियल इंटरमीडिएशन
- बिजनेस सर्विसेज
- पर्सनल सर्विसेज
- कंप्यूटरिग एंड आईटी
- होटल्स व रेस्टोरेंट
इन इंडस्ट्री से जुड़े कंपनियों के मैनेजरों के सर्वे के आधार पर पीएमआई का आकलन होता है। कंपनी के सवालों के जवाब से इंडस्ट्री की स्थिति सामान्य, खराब या अच्छी पता चलता है। कंपनी को उसकी साइज के हिसाब से उनके जवाब को वेटेज दिया जाता है। कंपनी के हालात अच्छे हैं तो एक फीसदी का वेटेज मिलता है। अगर कंपनी मैं कोई परिवर्तन नहीं हुआ है तो आधा और गिरावट की स्थिति में शून्य फीसदी की वेटेज दी जाती है। कारोबारियों की गतिविधि का आकलन ऐसे करते हैं कि 50 का लेवल सामान्य स्थिति दर्शाता है। गतिविधियों में कोई परिवर्तन नहीं है। ऊंची रैंकिंग ग्रोथ में इजाफा को दर्शाता है। लेवल 50 से नीचे की स्तुति कारोबारी गतिविधि में स्लो डाउन की स्थिति को बताती है। 50 का आंकड़ा किसी भी परिवर्तन को सूचित नहीं करता लेकिन 50 से ऊपर का आंकड़ा सुधार की स्थिति बताता है।
पीएमआई से इकोनॉमी प्रभावित
पीएमआई सूचकांक किसी भी सेक्टर में आगे की स्थिति के बारे में संकेत देता है। पीएमआई के सर्वे का आधार मासिक होता है। इससे कारोबार में आय में बढ़ोतरी का अंदाजा लगाया जा सकता है। आर्थिक गतिविधि का पता यहीं से चलता है। तिमाही आधार पर जवाबों का विश्लेषण करते हैं। पीएमआई का बेहतर होना अर्थात इकोनॉमी अच्छी होने से है। पीएमआई का आंकड़ा अर्थव्यवस्था के असर को जीडीपी वृद्धि दर से पहले बताया जाता है।
अच्छे पीएमआई के नतीजे
देशों में केंद्रीय बैंक ब्याज दरों का फैसला पीएमआई सूचकांक से ही लगता है। देश की आर्थिक स्थिति का पता पीएमआई आंकड़ों से चलता है। अर्थव्यवस्था में कितनी मांग बढ़ रही है, यह है पता चलता है। मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ पीएमआई आंकड़ों से पता चलती हैं। अर्थव्यवस्थाओं में निवेश का फैसला लिया जाता है।