About Water Pollution in Hindi यांनी जल प्रदूषण। जल प्रदूषण क्या है या जल प्रदूषण के कारण क्या – क्या है। इन सभी बातों के जवाब और इसे ठीक करने के लिए आप क्या कर सकते हैं। हम आपको बताएंगे। आइए जानते हैं विस्तार से जल प्रदूषण के कारण और जल प्रदूषण के दुष्प्रभाव, एवं उपाय।
जल या पानी और अगर अंग्रेजी में कहें तो Water। ऐसा हमने अक्सर सभी को कहते सुना है कि जल है तो कल है। ऐसे में यूं तो दुनिया में जल की कोई कमी नहीं है। कहा जाता है। कि दुनियाभर में महज एक तिहाई हिस्से पर ही धरती है और बचा हुआ हिस्सा जल से भरा है।
लेकिन इसमें से केवल एक तिहाई पानी ही इस्तेमाल होने लायक है। इसे भी मानव पूरी तरह से बर्बाद करने पर आमादा है। दुनिया के कितने ही देश ऐसे हैं जहां पीने तक के लिए पानी नहीं बचा। इसकी वजह से ना केवल वहां के लोगों को परेशानी होती है। बल्कि हजारों जीव जंतुओं की भी मृत्यु हो जाती है।
बीते कुछ साल पहले की ही बात है जब ऑस्ट्रेलिया में करीब 10000 ऊंटों को केवल इसलिए मार दिया गया था, क्योंकि वहां वह पानी पी रहे थे और इंसानों के लिए पानी की कमी हो गई थी। लेकिन यह किस हद तक सही है, कि हम पहले अपने गैर जरूरी चीजों पर बेहिसाब जल स्रोतों का दोहन करें और फिर जल की पूर्ति न होने पर जीवों को मार डालें।
आज हम इस गंभीर मुद्दे से जुड़ी कुछ जानकारी आपके साथ साझा करेंगे। आज हम आपको जल प्रदूषण के कारण और इसे आप कैसे ठीक करने में योगदान दे सकते हैं। यह बताएंगे, तो चलिए जानते हैं।
जल प्रदूषण क्या है – What is Water Pollution in Hindi

जल प्रदूषण की समस्या आज की नहीं बल्कि कई दशकों पहले से ही शुरू हो गई थी। साल 1974 में पहली बार जल प्रदूषण को परिभाषित किया गया था। अब अगर आसान भाषा में देखें तो जल प्रदूषण वह स्थिति है जो किसी भी कारण से जल को गंदा कर देती है और उसमें रहने वाले परजीवियों को भी नुकसान पहुंचाती है।
जल के प्रदूषित होने के पीछे कई वजह हैं जैसे जल में रसायन का चले जाना, जल में मल मूत्र का मिल जाना, घर में इस्तेमाल हो चुके पानी का किसी साफ पानी में मिल जाना, कूड़ा कचरा आदि का जल में सम्मिलित हो जाना। कुल मिलाकर जल स्रोतों से किया गया खिलवाड़ और जल को मैला करना ही जल प्रदूषण कहलाता है।
जल प्रदूषण के कारण – Causes of Water Pollution in Hindi

जल प्रदूषण के कारण कई हैं। ऐसा हो सकता है कि आप भी जल प्रदूषण करने में एक रोल अदा करते हों। अगर ऐसा है, तो आप ऐसा करना बंद कर सकते हैं। बस इसके लिए आपको जल प्रदूषण की वजह को समझना होगा।
शहरों के अंदर जल का उपयोग आवश्यकता से अधिक किया जाता है। वहीं घरों में इस्तेमाल हो चुका पानी जिसमें कई तरह के रसायन या पदार्थ मिल चुके होते हैं। इसे मुख्य जल स्रोतों में छोड़ दिया जाता है। जिससे जल प्रदूषण होने लगता है।
औधोगिकरण में जहां एक तरफ लोगों को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। लेकिन यह धीरे धीरे हमारे प्राकृतिक स्रोतों को बर्बाद करते जा रहे हैं। ऐसा ही कुछ जल के साथ हो रहा है। फैक्ट्रियों से निकला विषैला पानी जल स्रोतों को तो बर्बाद कर ही रहा है। साथ ही यह वायु को भी प्रदूषित करता जा रहा है। यही कारण है कि लोग आज के समय में एयर प्युरिफ़ाइर का उपयोग करने लगें हैं।
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मानव की बढ़ती बहुत ज्यादा मांगों को पूरा करने के लिए एक के बाद एक कुछ नया बाजार में आ रहा है। वहीं ऐसी कोई भी चीज नहीं है जिसे बनाने में पानी का इस्तेमाल ना किया जाता हो। आपको बता दें कि जल प्रदूषण के दो मुख्य स्रोत होते हैं जो कुछ इस प्रकार हैं।
प्राकृतिक स्रोत
जल छोटी छोटी धाराओं और झरनों से बहकर आता है। ऐसे में कई जगह की मिट्टी में भारी मात्रा में खनिज पदार्थ होते हैं। इन खनिज पदार्थों में पानी मिलता है और इनकी अधिक मात्रा की वजह से पानी प्रदूषित होने लगता है। इसके अलावा खेती में इस्तेमाल हो चुके पानी में कई तरह के कीटनाशक मिल जाते है जो आगे जाकर जल प्रदूषण की वजह बन जाते हैं।
मानवीय स्रोत
- औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थों की वजह से जल प्रदूषित हो जाता है, जैसे फैक्ट्री, मिल्स आदि के जरिए।
- घरेलू क्रियाओं में इस्तेमाल किया जाने वाला जल भी प्रदूषित होता है और यह जल स्रोतों में छोड़ दिया जाता है। जिससे जल प्रदूषित हो जाता है।
- कृषि में भूमि पर कई तरह के कीटनाशकों का छिड़का जाता है। ऐसे में जब भी बारिश होती है तो बारिश का पानी जल नदियों में मिल जाता है और जल को प्रदूषित कर देता है।
- पेट्रोलियम और खनिज पदार्थों में पानी मिलने की वजह से जल प्रदूषण होने लगता है।
- डिटर्जेंट या साबुन वाला पानी भी जल स्रोतों में जाता है और जल को प्रदूषित कर देता है।
जल प्रदूषण से बचाव के तरीके – Way To Solve Water Polution in Hindi

आज सम्पूर्ण विश्व जल के प्रदूषण से त्रस्त है, वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हालांकि जल प्रदूषण को पूर्णतया समाप्त नहीं किया जा सकता, किन्तु इस पर हम अंकुश लगा सकते हैं, जल प्रदूषण से बचाव के लिये सरकारी तंत्र, स्वयंसेवी संस्थाओं एवं व्यक्तिगत रूप से निम्न प्रक्रियाओं को व्यवहार में लाना होगा-
जल प्रदूषण से बचाव के उपाय
1. घरों से निकलने वाले मलिन जल एवं वाहित मल को एकत्र करके संशोधन संयंत्रों में पूर्ण रूप से शोधन के उपरान्त जलस्रोत में विसर्जित किया जाय।
2. तालाब, पोखरों इत्यादि के चारों ओर दीवार बनाकर विभिन्न प्रकार की गंदगियों को रोका जाय तथा साथ ही साथ उनमें नहाने, कपड़े धोने आदि पर भी रोकथाम करनी चाहिये।
3. जल स्रोतों के निकट स्थापित उद्योगों से निःसृत जल का संशोधन कर उन्हें पुनः जल स्रोतों में विसर्जित किया जाय तथा भविष्य में जल स्रोतों के निकट उद्योगों की स्थापना पर प्रतिबंध लगाया जाय।
4. समय-समय पर प्रदूषित जलाशयों के आधार पर एकत्रित अनावश्यक गंदगी व कीचड़ों को बाहर निकाला जाना चाहिए।
5. सबसे प्रमुख जनसाधारण के मध्य जल के प्रदूषण के कारणों, दुष्प्रभावों व रोकथाम की विधियों के विषय में जागरूकता बढ़ानी होगी, क्योंकि सर्वाधिक प्रदूषण मानव द्वारा होता है, अतः मनुष्य वर्ग में इस प्रकार का संदेश प्रेषित कर कुछ हद तक जल के प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकेगा।
निष्कर्ष
दोस्तों हमने अपने इस लेख में आपको जल प्रदूषण के कारण और जल प्रदूषण के बचाव दोनों बता दिए हैं। अब अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।