“अंबर से आई अमृत की बूंद”
विश्व जल दिवस हर वर्ष 12 मार्च को मनाया जाता है। आजकल बारहमासी बन चुकी Water की समस्या जल्दी ही दिखनी शुरू हो जाएगी, जो गर्मियों के मौसम में गंभीर रूप ले लेती है। इस समस्या को हमने ही जन्म दिया है। पानी सहेजने को लेकर हम कभी जागरूक नहीं रहे। कुछ लोगों का मानना है कि जिंदगी तो पार हो ही जाएगी, यही सोच समस्या की वजह है। इस सोच को जागृत करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रमुख अभियान चलाए जा रहे हैं।
केंद्र सरकार का अभियानCentral government campaign
लोगों को पानी के प्रति चेतना को जागरूक करने के लिए 22 मार्च से लेकर नवंबर तक अभियान चलाया जा रहा है। इनमें कैच द रन, बे्यर इट्स फॉल्स नामक अभियान पीएम मोदी चला रहे हैं। बारिश के Water को बर्बाद होने से बचाने के लिए रेंन सेंटर्स बनाए जाएंगे। जहां पर लोगों को उनके भवनों, जमीन में बारिश की बूंदों को संग्रहित करने जैसी चीजों से लोगों को अवगत कराया जाएगा।
Water को बर्बाद करने से रोकें
Water को व्यर्थ बहाने तथा बर्बाद होने से रोके। हमारे सामने कई समस्याएं आती हैं, तो हम खुद ही उस समस्या का समाधान करते हैं। पेयजल की समस्या के लिए औरों को क्यों सामने खड़ा कर देते है। कोई एक आदमी यह काम शुरू करेगा तो दूसरा भी उस काम का अनुसरण करेगा। फिर यह प्रक्रिया आगे बढ़ती चली जाएगी और धीरे-धीरे इस प्रक्रिया से हमारा देश पानी से परिपूर्ण हो जाएगा।
अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाए
ज्यादातर बीमारियों के लिए अशुद्ध पानी जिम्मेदार हैं जिससे कई भयानक बीमारियां फैल रही हैं। पेड़ पौधे लहराएंगे, तो ज्यादा ऑक्सीजन उन्मुक्त होगी। जिससे वायुमंडल में शुद्ध हवा रहेगी तो फेफड़े भी मजबूत रहेंगे। पेड़-पौधे बढ़ेंगे तो वायुमंडल में कार्बन का अवशोषण भी अधिक से अधिक रहेगा। वातावरण शुद्ध होगा और बीमारियां कम होंगी। प्रकृति स्वस्थ रहेगी तो मनुष्य का शरीर भी स्वस्थ रहेगा।
पानी की कितनी पहुंच
Water की बढ़ती जरूरतों के चलते देश के ज्यादातर हिस्सों में भूजल का स्तर घटता जा रहा है। जितनी भूजल का भंडार बारिश के दिनों में होता है, उससे ज्यादा भूजल खत्म हो जाता है। अंधाधुंध भूजल दोहन की इस प्रकृति में नए संकट की चुनौती पैदा कर रहा हैै। पिछले कई दशकों में अनुमान लगाया गया है कि, देश में पानी को लेकर समस्या बारिश तथा गर्मी से ज्यादा इस बात से है कि हमारी जल संचरण क्षमता कितनी है, बारिश के चार महीनों में ज्यादा से ज्यादा पानी इकट्ठा करके हम 8 महीने सुकून से रह सकते हैं।
दो साल पहले नीति आयोग ने वॉटर कंपोजिट इंडेक्स रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट के अनुसार भूजल के अत्यधिक उपयोग की वजह से देश के 21 शहरों में पीने के Water तक की कमी आ गई है। इस साल गर्मियों में देश में पानी को लेकर समस्या उत्पन्न हो तो यह हमारे लिए कोई नई बात नहीं होगी।
जैसे-जैसे आबादी बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे Water संकट भी बढ़ता जा रहा है। आइए हम बारिश की बूंदों को सहेज कर देश से पानी की समस्या का निदान करने का संकल्प लें।