मुंबई में जन्मे घरेलू क्रिकेट के सबसे सफल खिलाड़ी वसीम जाफर ने 42 वर्ष की आयु हो जाने के बाद भी अच्छा प्रदर्शन करते थे परंतु इन्होंने 7 मार्च 2020 को सन्यास ले लिया है। देश इनको अच्छे खिलाड़ियों के रूप में हमेशा याद रखेगा। वसीम जाफर ने रणजी ट्रॉफी, ईरानी ट्रॉफी, दलीप ट्रॉफी, इत्यादि प्रकार की ट्रॉफी की श्रृंखलाएं खेली हैं। जाफर ने टीम इंडिया में ओपनर की प्रमुख भूमिका भी निभाई है। जाफर ने अपनी जिंदगी के लगभग 25 वर्ष क्रिकेट खेलने में ही व्यतीत किए हैं।
इन्होंने 1996 में पहली बार फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेला था। वे रणजी ट्रॉफी ईरानी ट्रॉफी और दल दिलीप ट्रॉफी में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले भारत के खिलाड़ी हैं। इन्होंने रणजी ट्रॉफी में 12038 रन, रानी ट्रॉफी में 1294 रन और दिलीप ट्रॉफी में एक 2543 रन बनाए हैं। सबसे ज्यादा रणजी ट्रॉफी भी इन्हीं ने खेला है। आज हम इनकी विभिन्न प्रकार की हासिल कर चुके उपलब्धियों के बारे में जानेंगे। इनका नाम भी भारत की प्रचलित खिलाड़ियों में लिया जाता है। चलिए फिर जानते हैं इनके द्वारा प्राप्त की हुई उपलब्धियां के बारे में-
वसीम जाफर की रोचक बातें-
- वसीम जाफर ने रणजी ट्रॉफी ईरानी ट्रॉफी ट्रॉफी जैसे बड़े मैच को खेला है। और इन सब में जीत भी हासिल की और काफी प्रचलित खिलाड़ी ही माने जाते हैं।
- वसीम जाफर 42 वर्ष के हैं। उन्होंने 25 साल क्रिकेट खेलने में गुजारा है इससे यह साबित होता है कि काफी अनुभवी खिलाड़ी हैं।
- जाफर दिलीप ट्रॉफी, रणजी ट्रॉफी, ईरानी ट्रॉफी में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले भारत के अभी तक के इकलौते खिलाड़ी हैं और यह तभी संभव है जब कोई अनुभवी खिलाड़ी हो जबकि जाफर तो एक 25 साल के अनुभवी खिलाड़ी हैं।
- वे रणजी ट्रॉफी को सबसे ज्यादा खेलने वाले भारत के चौथे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने 156 रणजी मैचों को खेला है।
- मुंबई को दो बार रणजी ट्रॉफी का चैंपियन इन्हीं के कठिन परिश्रम के कारण बन पाया था।
- भारत के इकलौते खिलाड़ी हैं जिन्होंने रणजी ट्रॉफी में 12000 से अधिक रन बनाए हैं। यह तो इसी से पता लगता है, कि जब 156 रणजी ट्रॉफी के मैचों को उनके द्वारा खेला गया तो रन तो अधिक होना स्वाभाविक सी बात है।
- इनकी खास बात यह भी है, कि इन्होंने भारत टीम में ओपनर की भूमिका भी निभाई है।
- इन्होंने बहुत ही उम्दा तरीके से 200 कैचों को भी लिया है। इससे यह पता लगता है, कि इनकी अच्छी बैटिंग होने के साथ-साथ अच्छी फील्डिंग भी थी।
इतनी सब खासियत होने के बाद, अफसोस की बात यह है, कि इन्होंने 7 मार्च 2020 को संन्यास ले लिया है। भारत के सभी दर्शक इनको हमेशा क्रिकेटर के रूप में याद रखेंगे। उन्होंने कहा है, कि अब संन्यास के बाद वह या तो कोचिंग देंगे या फिर कमेंट्री के रूप में अपना आगे का जीवन व्यतीत करेंगे। उन्होंने अपने माता-पिता को भी धन्यवाद कहा है, कि उन्होंने मेरे जीवन को इतना सफल बनाने में सहयोग प्रदान किया है। उन्होंने उन चयनकर्ताओं को भी धन्यवाद कहा जिन्होंने उन पर विश्वास करके खेलने का मौका प्रदान किया।