भारत के आप किसी भी हिस्से में क्यों न रहते हों लेकिन लद्दाख जाने का मन तो आपका भी जरूर होगा। युवा तो अक्सर बाइक से ही लद्दाख निकल जाते हैं> लेकिन क्या आप जानते हैं कि लद्दाख में केवल बर्फीले पहा़ड़ ही नहीं हैं बल्कि बहुत ही खुबसूरत झील भी हैं। यह जगह भारतीयों के लिए बेहद खास है। लेकिन अगर आप यंहा जाना चाहते हैं तो गर्मियों में ही जाएं क्योंकि सर्दियों में यह झील जम जाती हैं। लद्दाख जाने के लिए सही समय मई से सितंबर के बीच है।
पैंगॉन्ग
लद्दाख की सबसे फेमस झील में से एक पैंगॉन्ग है जो लेह से करीब 250 किलोमीटर दूर है। यह झील दुनिया की सबसे ऊचाई पर स्थित नमकीन झील है। इस झील खास बात यह है कि जैसे जैसे सूरज ढलता रहता है इसके पानी का रंग बदलता रहता है। समूंद्री तट से 14 हजार किलोमीटर 270 फीट की ऊंचाई पर यह स्थित इस झील का केवल एक तिहाई हिस्सा ही भारत मे आता है, बाकी बची हुई झील का हिस्सा तिब्बत में आता है। इस झील की लंबाई करीब 134 किलोमटीर है।
त्सो मोरीरी
मोरीरी त्सो या मोरीरी लेक चैंगथैंग एरिया में समुद्र तल से 15 हजार 075 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। मोरीरी, भारत के हिमालय क्षेत्र में पायी जाने वाले सबसे ऊंची झीलों में एक है। यंहा लोग अक्सर बर्ड्स देखने के लिए भी आते हैं। इस झील के पास बर्ड्स की करीब 35 प्राजतियां देखने को मिलती हैं। लेह से इस झील की दूरी 240 किलोमीटर है।
त्सो कार
इस झील को ट्विन लेक यानी जुड़वा झील भी कहा जा सकता है क्योंकि इस झील के पश्चिमी हिस्से में नमकीन पानी और पूर्वी हिस्से में ताजा पानी आता है। दक्षिणी लद्दाख स्थित इस सॉल्ट लेक के साइज और गहराई में अंतर पाया जाता है। गर्मियों में इस लेक के आसपास का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है जबकि सर्दियों में -40 डिग्री सेल्सियस तक। लेह से इस झील की दूरी 160 किलोमीटर है।
यरब त्सो
लद्दाख के सभी खूबसूरत झीलों में से एक है यरब त्सो जो नुब्रा वैली के पनामिक गांव में स्थित है और अगर आप लेह-लद्दाख जा रहे हैं तो इस लेक तक घूमने जाना न भूलें। यरब त्सो के आसपास स्थित शांति और हवा में मौजूद खुशबू आपको अपनी ओर आकर्षित करेगी। लेह से इस लेक की दूरी 180 किलोमीटर है।