बच्चों की अच्छी परवरिश करना अपने आप में एक महान कार्य हैं और ज़्यादातर पेरेंट्स की यही कोशिश रहती है कि वह अपने बच्चों को सबसे उच्च प्रकार की परवरिश दें। पेरेंट्स की यह कोशिश वास्तव में सराहनीय है लेकिन कभी कभी पैरेंट्स के काफ़ी प्रयासों के बावजूद बच्चों का लालन पालन सामान्य तरीक़े से नहीं हो पाता है और इसी के चलते उनमें कुछ असामान्य आदतें जन्म ले लेती हैं।
अगर हम यह कहें कि कभी कभी अच्छी परवरिश के बावजूद कुछ कमियों के चलते बच्चों में कुछ ऐसी आदतें डेवलप हो जाती हैं जिन्हें सामान्य नहीं कहा जा सकता तो यह भी ग़लत नहीं होगा। सबसे बड़ी बात तो ये है कि बच्चों की असामान्य आदतों के लिए पेरेंट्स की परवरिश पर सवाल उठाने के बजाय हमें उन्हें बदलने की कोशिश करनी चाहिए।
ख़ैर बात को ज़्यादा घुमाते नहीं है और सीधे सीधे शब्दों में अपनी बात कहते हैं। इस लेख में हम असल में यह चर्चा करना चाहते हैं कि बच्चों की असामान्य आदतों को किस तरह बदलना चाहिए! तो आइए इस बेहद महत्वपूर्ण टॉपिक की चर्चा यहाँ करते हैं।
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झूठ बोलने की आदत
जैसा कि हमने कहा कि हम पेरेंट्स के द्वारा दी गयी परवरिश पर कोई उंगली नहीं उठाएंगे बल्कि हम ये देखेंगे कि आख़िर बच्चे की यह आदत किस तरह बदली जा सकती हैं!
जी हाँ, अगर आपका बच्चा झूठ बोलने लगा हो तो आपको उसे डांटना फटकारना नहीं चाहिए और न ही ख़ुद को कोसना चाहिए। सबसे पहले ये देखें कि बच्चा आजकल किसके साथ रह रहा है अर्थात् उसके दोस्त कौन कौन हैं। इस बात का अवश्य ख्याल रखें कि बच्चा किसी ऐसी संगति में ना पड़ जाए जो उसे ग़लत आदतें सिखा दें।
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ग़लत तरह की भाषा का इस्तेमाल करना
अगर आपका बच्चा ग़लत तरह की भाषा का इस्तेमाल कर रहा है जैसे कि गाली गलौज या अश्लील शब्दों का उच्चारण आदि तो ऐसे में इस बात को बिलकुल भी इग्नोर न करें। बच्चे को फ़ौरन बताए की इस तरह की भाषा बोलना सही नहीं है।
पहले उसे समझाने पर ही ज़ोर दें। अगर काफ़ी समझाने से भी आपका बच्चा नहीं सुधर रहा है तो फिर आप उसे पनिशमेंट का डर दिखायें और पनिश भी करें। इस बात का ख़ास ख़याल रखें कि आप बच्चे के स्वाभिमान को बिलकुल भी चोट न पहुँचाएं। जितना हो सके उसे प्यार से समझाने की ही कोशिश करें।
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मारपीट की आदत
अगर आपका बच्चा हिंसात्मक होता जा रहा है और उसे मारपीट की आदत हो गई हो तो इस पर ध्यान देना अति आवश्यक है। बच्चे में आई इस आदत का बड़ा कारण जानने की कोशिश करें और फिर उसे समझाने का प्रयास करें।
अगर बच्चा बात बात पर अपने साथियों से मारपीट कर रहा हो तो उसे फ़ौरन इस चीज़ से रोकने का प्रयास करें। इसके लिए अगर आपको चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट की ज़रूरत पड़े तो भी पीछे न हटें।
ऊपर दिए हुए कुछ बिन्दु परवरिश की दृष्टि से अत्यंत आवश्यक हैं। इसके अलावा भी अगर आपको अपने बच्चे में कोई ऐसी आदत दिखाई दे रही है जो कि सही नहीं है तो उस चीज़ को यूँ ही ना छोड़ दें कि वक़्त के साथ वह ख़त्म हो जाएगी।
आपको बताते चलें कि छोटी उम्र की आदतें बड़ी उम्र में फ़ितरत बन जाती हैं और फ़ितरत व्यक्ति की पर्सनालिटी को कहीं न कहीं कंट्रोल अवश्य करती है इसीलिए बेहद ज़रूरी है कि आप अपने बच्चों पर ध्यान देते रहें। उसकी बेहतर काउंसलिंग करने की कोशिश करें। अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे को चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट की ज़रूरत है तो इस बात को अन्यथा न लें।
एक और बात, अपने मन से यह बात बिलकुल निकाल दें कि चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट के पास अपने बच्चे को ले जाने का मतलब ये है कि आपका बच्चा असामान्य है। जी नहीं, ये बात बिलकुल ग़लत है! बेहतर है कि आप इस तरह के मिथ्यों पर विश्वास न करें क्योंकि आपके बच्चे की ज़िंदगी इन मिथ्यों से ज़्यादा ज़रूरी है।
उम्मीद है कि इस लेख के माध्यम से आपको चाइल्ड काउंसलिंग की पर्याप्त जानकारी प्राप्त हो गई होगी! आप अपने सुझावों को कमेंट बॉक्स में हमारे साथ शेयर कर सकते हैं।