शिक्षा से हमें ज्ञान प्राप्त होता है। मनुष्य के लिए शिक्षा प्राप्त करना आवश्यक होता है। शिक्षा के द्वारा अज्ञानता से प्रकाश की ओर आगे बढ़ते हैं। स्कूल ऐसा माध्यम है जहां पर शिक्षा प्राप्त करके बेहतर ज्ञान हासिल किया जाता है। स्कूल के द्वारा विद्या प्राप्त करके समाज के बेहतर नागरिक बनते हैं। बचपन से ही घर में हमारी शिक्षा शुरू हो जाती है। घर में जो हम ज्ञान सीखते हैं उसे विराट रूप देने के लिए स्कूल जाकर विद्या अध्ययन किया जाता है। घर में रहकर वह माहौल नहीं मिल पाता जिससे हम समर्पित ढंग से शैक्षणिक गतिविधियों को कर सकें। भारत में गांव और शहर के बच्चों को शिक्षा प्रदान की जाती है। गांव के कुछ बच्चे प्रतिष्ठित बोर्डिंग ने स्कूलों में शिक्षा प्राप्त करके बेहतर इंसान बनते हैं। भारत के कुछ प्रतिष्ठित बोर्डिंग स्कूल इस प्रकार हैं।
दून स्कूल देहरादून
1935 में दून स्कूल के स्थापना कोलकाता के वकील सतीश रंजन दास द्वारा की गई। यह भारत का प्रतिष्ठित बोर्डिंग स्कूल है जिसमें सिर्फ लड़कों के लिए पढ़ाई होती है। देहरादून छावनी मैं 72 एकड़ मे बसा एकल कैंपस है। इसमें दो होल्डिंग हाउस हैं पहले साल नए छात्रों को रखा जाता है इसके अलावा पांच मुख हाउस हैं प्रत्येक हाउस में हाउस मास्टर होता है, जिनकी सहायता से एक वरिष्ठ छात्र हाउस का कैप्टन बनाया जाता है। इस स्कूल में बच्चों को Doscos कहां जाता है। देहरादून के इस बोर्डिंग स्कूल में राजीव गांधी राहुल गांधी शिवेंद्र मोहन जैसे व्यक्तित्व पढ़ें हैं।
स्टेप बाय स्टेप इंटरनेशनल स्कूल जयपुर
सीबीएसई से संबंधित स्कूल राजस्थान की राजधानी जयपुर में बसा है। लगभग 35 एकड़ में बसा यह प्रमुख के स्कूल है इस स्कूल में छात्रों को विश्व स्तरीय सुविधाएं, इंडोर गतिविधियां सिखाई जाती हैं। स्टेप बाय स्टेप स्कूल में भारतीय लोक नृत्य, पाश्चात्य नृत्य कला, नाटक केंद्र थिएटर प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान सभी का ज्ञान दिया जाता है। यह भारत के प्रतिष्ठित बोर्डिंग स्कूलों में से एक है।
सेंट मैरी हाई स्कूल माउंट आबू
अरावली पर्वतमाला मे माउंट आबू के रेगिस्तान में बसा राजस्थान का बेहतर बोर्डिंग स्कूल है। भागदौड़ वाले शहरी जीवन से दूर रेगिस्तान में आईरिस ईसाई भाइयों द्वारा इस स्कूल की स्थापना की गई थी। सेंट मैरी हाई स्कूल भी लड़कों के लिए है। इस स्कूल में डे और बोर्डिंग दोनों प्रकार की सुविधाएं हैं। जो छात्र आवासीय रूप से रहना चाहता है तो वो दिन है। इस स्कूल का शैक्षणिक वर्ष मार्च से नवंबर तक होता है। केंद्रीय आईसीएसई बोर्ड पद्धति द्वारा शिक्षा ग्रेड 4:00 से शुरू होती है और ग्रेड 10 बार खत्म हो जाती है। यहां पर खेलों को भी सिखाया जाता है। फुटबॉल वॉलीबॉल और बॉस्केटबॉल के मैदान हैं। स्विमिंग पूल की सुविधा भी माउंट आबू स्कूल में दी गई है। छात्रों के लिए शिक्षा का बेहतर संस्थान है।
बिशप कॉटन स्कूल शिमला
बिशप जॉर्ज एडवर्ड लिंच कॉटन द्वारा 1859 मे इस स्कूल की स्थापना की गई। सबसे पुराने बोर्डिंग स्कूलों में से एक है। एशिया के लड़कों के लिए स्कूल बनाया गया। इस स्कूल में भी चार हाउस है, हाउस में हाउस मास्टर काम संभालते हैं। तीसरी कक्षा से आठवीं कक्षा तक का स्कूल अपना पाठ्यक्रम चलाता है लेकिन नवी से 12वीं तक की सीआईएससीई पद्धति द्वारा शिक्षा दी जाती है। जस्टिस आरएस सोढ़ी और एचएस बेदी जैसे कई कमीशन अधिकारी यहां के छात्र रह चुके हैं।