सर्दियों को डिप्रेशन बढ़ाने वाला मौसम भी कहा जाता है। इस मौसमी डिप्रेशन को सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर यानी SD भी कहते हैं। सर्दियों के दिन आपका मूड डल करने वाले होते हैं। अगर आपको अक्सर तनाव की समस्या रहती है तो सर्दियां आते ही आपकी ये समस्या बढ़ सकती है। इस मौसम में अवसाद, तनाव और डिप्रेशन बढ़ने के कुछ खास कारण भी हैं। क्या हैं वे कारण और इससे कैसे बच सकते हैं जानें…
सर्दियों में क्यों हो जाते हैं आप दुखी
अगर आपको भी ऐसा लगता है कि सर्दियां आते ही आप दुखी हो जाती हैं तो ऐसा फील करने वाली आप अकेली नहीं हैं। बल्कि इस मौसम में 40 फीसदी महिलाओं को ऐसी समस्या होती है। यह पता चला है हाल ही में आए एक मेडिकल सर्वे से। साइकॉलजिस्ट डॉक्टर अजय तनेजा कहते हैं कि जीवन में सब कुछ ठीक-ठाक है, इसके बावजूद भी आप दुखी हैं तो आप सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर यानी SD की गिरफ्त में हैं। सीनियर कंसल्टेंट और न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. पवन कुमार कहते हैं कि सर्दियों के मौसम में कुछ लोग उदासीन हो जाते हैं और यह होता है धूप की रोशनी प्रॉपर न मिल पाने की वजह से। इसे रोजाना एक्सर्साइज और सूरज की रोशनी में बैठने से कंट्रोल किया जा सकता है।
मूड स्विंग होना आम बात
रिसर्च से पता चला है कि सूरज की रोशनी कम होने और आसमान में काले बादल छाए रहने से हमारे दिमाग में सेरॉटोनिन केमिकल का निर्माण कम होता है, जिसका सीधा असर हमारे मूड पर पड़ता है। जब यह कम बनता है, तो मूड नॉर्मल नहीं रह पाता। इससे व्यक्ति को उदासी, बेचौनी और डिप्रेशन होने लगता है। कुछ लोगों पर यह केमिकल ज्यादा असर करता है और कुछ पर इसका कोई असर नहीं पड़ता।
सामान्य लक्षण
थकान, सिर में दर्द रहना, आलस, काम में मन न लग पाना, अकेलापन, बैचेन रहना और छोटी बातों को लेकर तनाव में आ जाना- यह सब मौसमी तनाव यानी सीजनल डिप्रेशन के सामान्य लक्षण हैं।
ऐसे करें डिप्रेशन दूर
– खाने में न्यूट्रिशंस शामिल करें।
– ऐसी चीजें करें, जो आपको खुशी दे।
– संगीत सुनें, किताबें पढ़ें और सिनेमा देखें।
– एक्सर्साइज करें ताकि मूड बदलने में मदद मिल सके।
– इस मौसम से जुड़ी चीजों की शॉपिंग करें।
-दोस्तों के साथ वक्त बिताएं, परिवार के लोगों के बीच रहें।
– अकेले कमरे में बंद ना रहें।
– मन में नकारात्मक विचार ना आने दें।