एक फरवरी 2020 को पेश होने वाले बजट के लिए वित्त मंत्रालय में जोरों से तैयारियां चल रही हैं| खबरों के मुताबिक देश की अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए सरकार इनकम टैक्स के ढांचे में परिवर्तन कर सकती है| बजट तैयार करते वक्त सरकारों की कोशिश होती है कि उसमें समाज के सभी वर्गों का पूरा ध्यान रखा जाए और देश की आर्थिक प्रगति भी सही दिशा में हो| आजाद भारत में इतिहास में ऐसा ही एक बजट 1997-98 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम के द्वारा पेश किया गया था| इस बजट की खूबी के कारण इसे ‘ड्रीम बजट’ कहा गया था|
28 फरवरी, 1997 को पेश किए गए बजट के जरिए सरकार ने देश के इकोनॉमिक रिफॉर्म का रोडमैप तैयार किया था| तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने टैक्स रिफॉर्म में कई प्रयोग किए थे| इस बजट में टैक्स प्रावधान को तीन अलग स्लैब में बांट दिया गया था| इसके साथ ही इसमें काले धन को सामने लाने के लिए वॉलंटियरी डिसक्लोजर ऑफ इनकम स्कीम (वीडीआईएस) लॉन्च की गई थी| औद्योगिक विकास को ध्यान में रखते हुए कॉरपोरेट के टैक्स पर सरचार्ज घटा दिया गया था|
तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम के द्वारा किए गए इन सुधारों का काफी व्यापक असर भी हुआ था और लोगों ने अपनी आय का भी खुलासा किया था| इस दौरान सरकार की पर्सनल इनकम टैक्स से 18,700 करोड़ रुपए आय हुई थी| खास बात ये थी उस वक्त चिदंबरम कांग्रेस का हिस्सा नहीं थे बल्कि वो देवगौड़ा गठबंधन सरकार में शामिल थे|
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट इस साल ऐसे समय में पेश करेंगी, जब देश की आर्थिक विकास दर छह साल के निचले स्तर पर आ गई है और लगातार कमजोर मांग के कारण ‘आर्थिक सुस्ती’ बनी हुई है| ऐसे में लोगों को सरकार से काफी उम्मीदें हैं|