शिक्षक बनना ज्यादातर युवा चाहते हैं लेकिन किसी न किसी वजह से वो अपने इस सपने को साकार नहीं कर पाते. पहले मेरिट लिस्ट की समस्या थी अगर मेरिट लिस्ट में नम्बर आ भी गया तो यह नियम बनाया कि प्राइमरी स्कूल में टीचर बनने के लिए TET पास करना अनिवार्य है.
अब जबकि कुछ भाग्यशाली लोग TET टेस्ट में पास भी हो गये तो अब एक और नया नियम पारित हुआ है जिस की वजह से अब आम लोगों के टीचर बनने के सपने में अड़चन आ सकती है.
जी हां, टीचर बनने के लिए TET पास अभ्यर्थियों को अब एक और परीक्षा से गुजरना पड़ेगा. सरकार ने TET पास अभ्यर्थियों से अब लिखित परीक्षा लेने का भी निर्णय लिया है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में लखनऊ के लोकभवन में मंगलवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में शिक्षामित्रों से जुड़े मसले पर अहम फैसला लिया गया.
इसके तहत अब प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक बनने के लिए टीईटी के साथ-साथ लिखित परीक्षा भी पास करनी होगी. मतलब यह है कि अब तक टीईटी पास अभ्यर्थियों की डायरेक्ट भर्ती हो रही थी, लेकिन अब उन्हें लिखित परीक्षा से भी होकर गुजरना होगा. मेरिट बनाते समय इस लिखित परीक्षा के अंक को भी जोड़ा जाएगा.
वहीं कैबिनेट मीटिंग के बाद प्रदेश मंत्री श्रीकांत शर्मा का कहना है कि कैबिनेट में शिक्षामित्रों से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है. उन्होंने कहा कि प्राइमरी स्कूल में सहायक अध्यापक बनने के लिए अब परीक्षा देनी होगी. यह परीक्षा टीईटी उत्तीर्ण करने के बाद देनी होगी. शिक्षक भर्ती की मेरिट में लिखित परीक्षा के भी अंक जोड़े जाएंगे.
श्रीकांत शर्मा ने कहा कि अब यूपी में लिखित परीक्षा के माध्यम से बेसिक शिक्षकों की भर्ती होगी. इसके लिए 60 नंबर लिखित और 40 एकेडमिक होंगे. इस परीक्षा में सिर्फ टीईटी पास अभ्यर्थी ही बैठ सकेंगे. उन्होंने कहा कि शिक्षामित्रों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का सरकार अनुपालन करेगी.
शिक्षामित्रों को अधिकतम 10 साल के लिए 25 अंक मिलेंगे और प्रतिवर्ष के अनुभव के आधार पर उन्हें ढाई अंक मिलेंगे. सरकार के इस फैसले के बाद एक बात तो साफ हो गयी है कि टीचर बनना कोई बायें हाथ का खेल नहीं.