अटकलें लगायी जा रही हैं कि टाटा समूह सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया में हिस्सेदारी खरीदने के लिए बातचीत कर रहा है. गौरतलब है कि कर्ज से लदी इस कंपनी के पुनः प्रवर्तन के लिए सरकार कई विकल्पों पर विचार कर रही है जिसमें इसका पूर्ण या आंशिक निजीकरण करना शामिल है.
टाटा समूह के एक अधिकारी से बातचीत में साबित हुआ कि एयर इंडिया लंबे समय से कर दाताओं के धन पर चल रही है और घाटे में है. नीति आयोग ने सरकार को इसके पूर्ण निजीकरण की सिफारिश की है. साथ ही कई और अन्य प्रस्तावों पर भी सरकार विचाराधीन है.
सूत्रों के मुताबिक टाटा समूह एयर इंडिया में हिस्सेदारी लेने के विकल्प का आकलन कर रहा है. इस संबंध में समूह में आंतरिक बैठकों का दौर और सरकार के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत जारी है.
इस संबंध में सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है लेकिन सूत्रों से पता चला है कि नागर विमानन मंत्रालय एयर इंडिया का राष्ट्रीय विमानन कंपनी का दर्जा बनाए रखने की फिराक में है.
टाटा यदि एयर इंडिया कंपनी में हिस्सेदारी खरीदती है तो उसके लिए यह घर वापसी की तरह होगा. एयर इंडिया का इतिहास टाटा एयरलाइंस से जुड़ा है जिसे 1932 में बनाया गया था. टाटा द्वारा स्थापित इस कंपनी को बाद में एयर इंडिया के रूप में एक सार्वजनिक कंपनी बना दिया गया था जिसका बाद में राष्ट्रीयकरण कर दिया गया. आपको बता दें टाटा इससे पहले भी एयर इंडिया में हिस्सेदारी लेने की कोशिश कर चुकी है.
सूत्र ने बताया कि एयर इंडिया के निजीकरण के लिए सरकार के 51 प्रतिशत हिस्सेदारी खुद रखने की संभावना है और 49 प्रतिशत वह निजी निवेशकों को बेच सकती है जिसमें विदेशी कंपनियां भी हिस्सा ले सकती हैं. इस स्थिति में सरकार के पास बहुलांश हिस्सेदारी रह सकती है लेकिन परिचालनात्मक नियंत्रण अल्पांश हिस्सेदारी रखने वालों के पास जा सकता है.
सरकार अन्य विकल्पों पर भी विचार कर रही है जिसमें गैर-प्रमुख संपत्ति को बेचने का विकल्प है जिससे उसके कर्ज के भार को कम किया जा सके. कंपनी पर मौजूदा समय में 52,000 करोड़ रुपये का कर्ज है. टाटा अभी विमानन क्षेत्र में दो कंपनियों विस्तारा और एयर एशिया इंडिया के साथ संयुक्त उपक्रम के रूप में मौजूद है.