अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जब भारत आए थे और उन्होंने ताजमहल को देखा था तो यही कहा था दुनिया में दो ही तरह के लोग हैं जिन्होंने ताजमहल को देखा है और जिन्होंने नहीं देखा है। “दुनिया में होंगी कई खूबसूरत इमारत पर ताज से खूबसूरत कोई इमारत नहीं”।
लाखों लोग जो ताजमहल को देखने के लिए आते हैं। वह उसका असली हिस्सा नहीं देखते बल्कि पीछे से देख कर चले जाते हैं। ताजमहल का असली हिस्सा दूसरी तरफ है, जो यमुना के किनारे है। शाहजहां के शाही मेहमान नाव में बैठकर आया करते थे। नदी के किनारे एक चबूतरा हुआ करता था नदी बढ़ती गई और चबूतरा मिट गया। चबूतरे के द्वारा उनके मेहमान ताजमहल तक आया करते थे।
मजदूरों के हाथ नहीं काटे गए थे
ऐसा कहा जाता है, कि शाहजहां ने ताजमहल बनाने वाले मजदूरों के हाथ कटवा दिए थे लेकिन यह अफवाह की तरह लगता है। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने मजदूरों को जिंदगी भर की पगार देकर उनसे करारनामा लिखवा लिया था। जिससे कि वह कोई और ऐसी हसीन व सुंदर ना बनाएं।
- ताजमहल की जो चार मीनार हैं वह एकदम सीधी दिखती हैं पर सीधी नहीं है। ऊपर से थोड़ी बाहर की तरफ झुकी हुई है जिससे कि भूकंप जैसी आपदा आने पर यदि यह मीनारें गिरे भी तो बाहर की ओर गिरे। मुख्य मकबरे को कोई नुकसान ना पहुंचे।
- यह जानकर आपको हैरानी होगी कुतूंबमीनार सबसे ऊंची मीनार है। परंतु ताजमहल की ऊंचाई इससे भी ज्यादा है। क़ुतुब मीनार 72.5 m है और ताज 73 मीटर लंबा।
- दुनिया में बहुत सी मारते हैं पर ताजमहल से सुंदर कैलीग्राफी किसी इमारत पर नहीं है इसीलिए ताजमहल को सबसे सुंदर इमारत माना जाता है। जब हम ताजमहल के द्वार पर प्रवेश करते हैं तब वहां पर लिखा हुआ।
“हे आत्मा!
तू ईश्वर के पास विश्राम कर, ईश्वर के पास शांति से रह,
और उसकी परम शांति तुझ पर बरसे”
- यह कैलोग्राफी थुलुट लिपि में बनायी गयी है। जिसे अब्दुल हक ने लिखा था ईन्हें शाहजहां ने ईरान से बुलाया था। उन की चकाचौंध करने कर देने वाली कला को देखकर शाहजहां ने उन्हें अमानत खान नाम उपाधि के रूप में दिया।
जब शाहजहां बादशाह बने
यह मुगल सल्तनत का सबसे सुंदर दौर था। उनके राज्य में राजा का आदेश का पालन करना ही प्रजा का मुख्य उद्देश्य होता था। शाहजहां के राज्य में लड़ाइयां नहीं होती थी। सभी प्रेम से मिलजुल कर रहते थे। शाहजहां को बड़ी-बड़ी इमारतें बनवाने का शौक था। उन्होंने मुगल सल्तनत और इतिहास को मिला दिया था।
ताजमहल बनाने के लिए
शाहजहां ने मुख्य रूप से संगमरमर राजस्थान के मकरमा से मंगवाया था। ऐसे ही अलग-अलग 28 बेशकीमती रत्न चाइना, अफगानिस्तान, तिब्बत, पंजाब श्रीलंका, अरब से मंगवाए गए थे। यह 28 प्रकार के कीमती रत्न जो कि संगमरमर में जड़े गए थे इन्हें आगरा लाने के लिए एक हजार हाथी से भी ज्यादा हाथी भेजे गए थे।
ताजमहल बनाने में कितना वक़्त लगा
ताजमहल 1631 से बनना शुरू किया गया था और यह 1653 में जाकर पूर्ण रूप से तैयार हुआ था। ताजमहल को बनाने के लिए 2000 कारीगर और मजदूर लगाए गए थे कला और खूबसूरती का ऐसा कोई दूसरा नमूना नहीं मिलेगा।