Thursday, November 21, 2024
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साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के 5 बड़े फैसले

by Yogita Chauhan
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साल 2018  भारत में कानून बदलाव के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण रहा है…कई ऐसे कानून थे जो भारतीय समाज को दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले पीछे कर रहे थे…तो इसी पर सुप्रीम कोर्ट ने लोगों के बुनियादी अधिकारों को महत्व देते हुए अंग्रेजों के बनाए कई कानूनों को असंवैधानिक बना दिया….इस साल यानी 2018 में पांच ऐसे बड़े फैसले हुए हैं जो हम भारतीयों के जीवन को बदलने वाले हैं…तो चलिए आपको दिखाते हैं वो 5 फैसले…..

1 सुप्रीम कोर्ट ने 27 सितंबर को अपने आदेश में करीब 150 साल पुराने व्यभिचार कानून (धारा 497) को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि इसे अपराध नहीं माना जा सकता….गौरतलब है कि इस कानून के तहत औरत को मर्द की ‘संपत्ति’ माना जाता था, इसलिए इसकी आलोचना होती थी…

2 सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर के अपने एक आदेश में केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर लगी रोक खत्म कर दी…सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया…करीब 800 साल पुराने इस मंदिर में ये मान्यता पिछले काफी समय से चल रही थी कि महिलाओं को मंदिर में प्रवेश ना करने दिया जाए…फैसला पढ़ते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि आस्था के नाम पर लिंगभेद नहीं किया जा सकता…कानून और समाज का काम सभी को बराबरी से देखने का है….

3 सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की खंडपीठ ने 26 सितंबर को ये आदेश दिया कि आधार संवैधानिक है, लेकिन उसे सभी सरकारी सेवाओं के लिए अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता….इस तरह आधार को PAN से लिंक तो करना होगा, लेकिन उसे बैंक खातों या मोबाइल नंबर से लिंक करने की जरूरत है…

 

4 सुप्रीम कोर्ट ने 6 सितंबर को अपने आदेश में LGBTQ समुदाय को बड़ी राहत देते हुए समलैंगिक यौन संबंध को ‘अपराध’ से मुक्त कर दिया…CJI दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने धारा 377 के प्रावधानों में बदलाव किया….कोर्ट ने कहा कि दो वयस्कों के आपसी सहमति से किसी निजी स्थान पर बनाए गए यौन संबंध को अपराध नहीं माना जा सकता….

5 सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहे तीन तलाक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि मुस्लिम महिलाओं को उनके शोहर एक ही बार में तीन बार तलाक कहकर तलाक दे देना गैरकानूनी करार दिया गया…बीते साल अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाया था…अब सरकार तीन तलाक पर विधेयक लेकर आई है…जिसमें केंद्रीय कैबिनेट ने एक बार में तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने के अध्यादेश को मंजूरी दी थी…जिस पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी मुहर लगा दी है…

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