राष्ट्रीय डिजिटल स्वस्थ मिशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भारत निर्माण में दूरदर्शी निर्णय है। 74 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री ने इसकी घोषणा की है।
हर भारतीय नागरिक के पास अपनी यूनिक हेल्थ आईडी होगी। हर नागरिक की स्वास्थ्य आईडी में उसके सभी मेडिकल रिकॉर्ड का विवरण संग्रहित होगा। यह डेटा सुरक्षित रखा जाएगा किसी भी व्यक्ति की सहमति के बिना किसी को भी शेयर नहीं किया जा सकेगा।
अस्पताल में डॉक्टरों के पास डिजिटल कॉपी होगी भले ही उन्होंने मरीज को हार्ड कॉपी दे दी हो। हर व्यक्ति के स्वास्थ्य का रिकॉर्ड ऑनलाइन बनेगा।
नागरिक यूनिक हेल्थ आईडी
सरकार ने जिस तरह आधार कार्ड को लाता हर भारतीय नागरिक को पहचानती है, उसी प्रकार प्रत्येक नागरिक को यूनिक हेल्थ आईडी से जोड़ा जाएगा। हेल्थ आईडी में हर एक की जानकारी और मोबाइल नंबर या आधार नंबर होगा। स्वास्थ्य मंत्रालय की एजेंसी हेल्थ नेशनल अथॉरिटी बनाएंगी। यह जरूरी नहीं होगा बल्कि वैकल्पिक होगा। कोई अपने हेल्थ रिकॉर्ड को डिजिटल ही उपलब्ध कराना चाहता है तो वह हेल्थ आईडी बनाकर उसकी इजाजत दे सकता है। हेल्थ आईडी से मरीज का डिजिटाइज्ड स्वास्थ्य खाता होगा।
मेडिकल हिस्ट्री डॉक्टरों के पुराने परचे, नए परचे और सभी टेस्ट रिपोर्ट रहेंगी। मिशन डॉक्यूमेंट के मुताबिक एनडीएचएम में गोपनीयता और निजता का ध्यान रखने के लिए डिजिटल कंसेट फ्रेमवर्क बनेगा, जो डिजी लॉकर कंसेंट मैनेजमेंट फ्रेमवर्क पर रहेगा। यह योजना केंद्र शासित प्रदेशों में पायलट स्कीम के तौर पर 15 अगस्त को ही लॉन्च कर दी गई है। केंद्र शासित प्रदेशों में इस योजना के लाभ पर स्टडी की जाएगी। राज्यों को इसके आधार पर नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन से जोड़ा जाएगा।
डिजिटल हेल्थ डेटाबेस से होने वाले लाभ
मोदी सरकार की यह योजना स्वास्थ्य के क्षेत्र में नागरिकों को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाएगी।हर भारतीय नागरिक को हर संभव बेहतर स्वास्थ्य सेवा को उपलब्ध कराने का लक्ष्य रहेगा।नेशनल हेल्थ अथॉरिटी इसका इको सिस्टम डिजाइन करेगी ऑल लागू करेगी। इस मिशन का अप्रोच सिटीजन सेंट्रिक है। इसमें 6 बुनियादी सुविधाओं हेल्थ आईडी, डीजी डॉक्टर, हेल्थ फैसिलिटी रजिस्ट्री, पर्सनल हेल्थ कार्ड, ई फार्मेसी और टेलीमेडिसिन होंगी। मरीज को सही डॉक्टर की खोज करना,अपॉइंटमेंट लेना, कंसल्टेशन की फीस भुगतान करना, प्रिस्क्रिप्शन सीट्स के लिए अस्पतालों के चक्कर लगाना इन सभी दिक्कतों से छुटकारा मिल जाएगा। इस सुविधा से हेल्थ सर्विस में सुधार होगा।
डॉक्यूमेंटेशन कम होगा। बच्चे के जन्म से लेकर उसको लगने वाले टीके, उसका क्या इलाज हुआ सभी का पूरा रिकॉर्ड डिजिटल होगा। इस सुविधा से अस्पताल में डॉक्टर इलाज के नाम पर गैर जरूरी एंटीबायोटिक दवाइयां और टेस्ट करवाते थे, उससे छुटकारा मिलेगा। हेल्थ कार्ड भारतीय नागरिकों की स्वास्थ्य सुविधा का पूरा ध्यान रखेगा। इलाज के लिए मरीजों को भटकना नहीं पड़ेगा। डॉक्टर और अस्पताल उनका इलाज करने से मना नहीं कर सकेंगे। सही समय पर सही इलाज उपलब्ध होगा। हमें लगता है कि 2021 में भारत डिजिटल हेल्थ प्रोवाइडर को मान्यता मिल जाएगी। इस सिस्टम को तैयार होने में 3 साल लगता है लेकिन भारत में यह 4 महीने में बनाने की कोशिश रहेगी। हर नागरिकता अपना यूनिक आईडी होगा।
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