सिनेमा हर दौर में एंटरटेनमेंट का एक बड़ा साधन रहा है। आज के बदलते दौर में सिनेमा ने लोगों के जीवन में बदलाव के कई मोड़ लाकर रख दिए हैं।
आज सिनेमा लोगों की ज़िंदगी में इतना शामिल हो चुका है कि अब लोग अपने जीवन के कई बड़े निर्णय सिनेमा जगत से प्रेरित होकर कर लेते हैं। इसमें कोई श़क नहीं है कि सिनेमा हमारे जीवन को प्रभावित कर रहा है लेकिन सिनेमा का जो वास्तविक अर्थ है वह सिर्फ़ एंटरटेनमेंट ही है। अब यह हम पर निर्भर करता है कि हम सिनेमा को अपने जीवन में किस प्रकार ला रहे हैं।
सिनेमा से संबंधित कोई भी बात हो हम उस पर फटाक से ग़ौर कर लेते हैं। इसके अलावा हमें सिनेमा और इससे जुड़े लोगों के जीवन के विषय में जानने में भी उत्सुकता बनी रहती है। क्या आपको पता है कि सिनेमा से संबंधित ऐसी कई बातें हैं जिन्हें सुनकर आप सोच में पड़ सकते हैं? यदि नहीं तो आइए इस लेख में सिनेमा के कुछ अनकहे तथ्यों पर चर्चा करते हैं।
1. आपके लैपटॉप में सिनेमा हॉल का प्रिंट

Hall Print Cinema
जब भी कोई फ़िल्म रिलीज़ होती है तो हम उसे थियेटर में जाकर देखना चाहते हैं। बात करें अगर ऐसी फ़िल्मों की जिनके लिए हम पहले से ही इंतज़ार कर रहे होते हैं तो ऐसे में उस मूवी को पिक्चर हॉल में देखना एक अलग ही मज़ा दिला देता है लेकिन क्या हो कि हम पिक्चर हॉल ना जा पाए? ऐसे में हम उस फ़िल्म को इंटरनेट से डाउनलोड करके सिनेमा हॉल के प्रिंट में देख लेते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि यह ग़ैर क़ानूनी है?
जी हाँ सिनेमा हॉल में कैमरा ले जाकर किसी नई रिलीज़ फ़िल्म को रिकॉर्ड करके इंटरनेट पर डालना सही नहीं है। अमेरिका जैसे देशों में तो सिक्योरिटी गार्ड इसीलिए रखे जाते हैं ताकि वह लोगों की चेकिंग करके यह देख सकें कि कोई अपने साथ कैमरा तो नहीं ले जा रहा। सिर्फ़ इतना ही नहीं बल्कि कैमरा इत्यादि की चेकिंग करने वाले सिक्योरिटी गार्ड्स को अमेरिका में पाँच सौ डॉलर तक वेतन के रूप में दिया जाता है।अब आप इस बात का अंदाज़ा लगा सकते हैं कि किसी फ़िल्म को अपने कैमरा से रिकॉर्ड करके इंटरनेट पर डालना किस हद तक ख़तरनाक हो सकता है।
2. सिनेमा की असली कमाई

Food court in Multiplexes
कोई फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर कितना अच्छा प्रदर्शन करती है और उसे कितना पैसा कमाने का अवसर मिलता है वो तो सब जानते हैं लेकिन क्या आपको सिनेमा की असली कमाई के बारे में पता है? दरअसल सिनेमा, बॉक्स ऑफ़िस के अलावा भी दूसरे साधनों से अच्छी और मोटी कमाई करता है।
आपको यह तो पता ही है कि जब भी आप सिनेमा हाल में जाते हैं तो आपको अपने साथ किसी भी प्रकार की खाने पीने की सामग्री को साथ ले जाने की अनुमति नहीं दी जाती है। ऐसा करने के पीछे सिनेमा हॉल वालों की एक चाल होती है। वो ये होती है कि आप फ़िल्म देखने के दौरान सिर्फ़ उन्हीं चीज़ों को खाएं या पिएँ जो आप उनसे ख़रीद रहे हैं। सिनेमा हाल में ख़रीदे गए पॉपकॉर्न, चिप्स और कोल्ड ड्रिंक की क़ीमत बाहर की क़ीमत से ज़्यादा होती है। इन चीज़ों पर दिया गया पैसा भी सिनेमा को काफ़ी माल उपलब्ध करा देता है। यहाँ से सिनेमा अपने बजट का पैसा तो आसानी से निकाल ही लेती है भले ही फ़िल्म हिट हो या फ़्लॉप।
3. एडल्ट सिनेमा में सब की एंट्री

Entry for Adult Cinema
गूगल पर जब कोई भी व्यक्ति किसी पॉर्न फ़िल्में या सामग्री को सर्च करता है तो ऐसे में कई साइट्स पर जाने के लिए अपनी उम्र को वेरिफाई करना होता है। यहाँ तक कि कुछ पॉर्न साइट्स ऐसी भी हैं जो बिना मेंबरशिप के खुलती ही नहीं हैं। ये सब इसलिए होता है ताकि कोई भी बच्चा आसानी से इन साइट्स पर न जा पाए लेकिन सिनेमा अपने लाभ के लिए ऐसी कोई वेरिफ़िकेशन नहीं रखता है।
जी हाँ! कई बार तो ऐसा होता है कि सिनेमा हॉल में एडल्ट फ़िल्म लगी होती है और वहाँ पर सिक्योरिटी गार्ड के नाम पर कोई नहीं होता है जो यह देख सके कि सिनेमा हॉल के अंदर जाने वाले लोग वास्तव में एडल्ट ही हैं ना कि माइनर।
4. सिनेमा हॉल की सफ़ाई
जब भी हम किसी सिनेमा हॉल में जाते हैं तो हमें सिनेमा बिलकुल चकाचक और साफ़ दिखाई देता है। सवाल यह उठता है कि क्या एक सिनेमा हॉल कभी गंदा नहीं होता? जवाब है नहीं, मतलब कि हाँ, गंदा होता है। सिनेमा हॉल में लोग पॉपकॉर्न, कोल्डड्रिंक इत्यादि चीज़ें खाते हैं। ज़ाहिर सी बात है इन सब चीज़ों को खाने के बाद वे लिफ़ाफ़े या कोल्ड ड्रिंक की बोतलें इधर उधर छोड़ देते होंगे। ऐसे में सिनेमा हॉल काफ़ी गंदा हो जाता है और उसकी तुरंत की तुरंत सफ़ाई की जाती है।
सिनेमा हॉल में शोज़ बैक टू बैक होते हैं इसलिए हर शो के बाद सिनेमा हॉल की सफ़ाई की जाती है।
अगर किसी वीकेंड की रात में सिनेमा हॉल को बिना सफ़ाई की यूं ही छोड़ दिया जाए और इत्तेफ़ाक़ से आपको सुबह सिनेमा हॉल में क़दम रखने का मौक़ा मिले तब आप देखेंगे कि सिनेमा हॉल किस हद तक गंदा हो सकता है। यक़ीन मानिए आप फ़र्क करना भूल जाएँगे कि ये वास्तव में एक सिनेमा हॉल है या कचरे का कोई घर।
5. सिनेमा हॉल बनाम कोई अखाड़ा
ज़रा सोचिए आप कोई फ़िल्म देखते हैं और अचानक ही आपको फ़िल्म के बाहर भी कोई एंटरटेनमेंट देखने को मिल जाए! सोचने में ही काफ़ी रोमांचक लगता है लेकिन सिनेमा हॉल में कई ऐसे पल गुज़रे हैं जब यह बात सच हुई है।
पर्दे पर किसी एक्शन फ़िल्म को इंजॉय करना तो हर किसी को पसंद होता है लेकिन अगर कोई एक्शन परदे के बाहर मिल जाए तो कहना ही क्या। सिनेमा हॉल में कई बार ऐसा हुआ है कि जब फ़िल्म देखते-देखते लोग आपस में भिड़ गए। यह कोई मज़ाक की बात नहीं अपितु सच है। ऐसा मंजर आपको तब देखने को मिल सकता है जब किसी फ़िल्म में कोई सेंसिटिव मुद्दा उठाया गया हो फिर चाहे वो कोई राजनैतिक विषय हो या फिर सामाजिक। समर्थक और विरोधी पार्टी दोनों ही सिनेमा हॉल में मौजूद होते हैं और ऐसे में किसी समर्थक का सीटी बजाना विरोधी पार्टी को बुरा लग सकता है। ऐसे में सिनेमा हॉल को अखाड़ा बनते देर नहीं लगती। फिर क्या लोग पर्दे के बाहर भी एंटरटेनमेंट का मज़ा लेना शुरू कर देते हैं।
6. कैमरा की नज़र आप पर

High-tech computer digital technology, global surveillance
अगर आप सिनेमा हॉल में अपने लवर के साथ जा रहे हैं तो ज़रा हमारी इस बात पर ध्यान दें। आप कितना भी कॉर्नर की सीट क्यों न बुक कर लें लेकिन आप किसी की नज़रों में न आने की ख़्वाहिश को पूरा नहीं कर सकते। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सिनेमा हॉल में कैमरा लगाए जाते हैं।
दरअसल सिनेमा हॉल में कैमरा लगाने के पीछे वजह यह है कि सिनेमा अथॉरिटी किसी भी अराजक तत्व पर अपनी नज़र रख सके लेकिन अक्सर कैमरा में लवर्स कॉर्नर सीट पर कुछ नॉटी करते हुए दिख जाते हैं। तो अगली बार से ध्यान रखें कि आप पर कैमरा की नज़र हमेशा बनी हुई है इसलिए फ़िल्म के दौरान फ़िल्म पर ही ध्यान दें।
7. सिनेमा में भीड़ बनाने का तरीक़ा
जब भी कोई फ़िल्म रिलीज़ होने वाली होती है तो फ़िल्म का स्टाफ़ उस फ़िल्म का प्रमोशन करने में जुट जाता है। फ़िल्म का स्टाफ़ जगह जगह विज़िट करता है और कई शोज़ में भी अपनी फ़िल्म के प्रोमो लॉन्च करता है लेकिन इसके अलावा भी सिनेमा की एक टेकनीक है जो लोगों का ध्यान तेज़ी से अपनी तरफ़ खींचने में सफल पाई गई है।
क्या आपने कभी देखा है कि फ़िल्म से पहले किसी हीरोइन या हीरो का इंटीमेट सीन या डिलीटेड सीन इंटरनेट पर वायरल हो जाता है? ऐसा दर्शाया जाता है कि यह सीन्स गलती से इंटरनेट पर अपलोड हो गए हैं और अब फ़िल्म पर इसका ग़लत प्रभाव पड़ेगा लेकिन होता इसके उलट है। दरअसल फ़िल्म का स्टाफ़ कुछ सीन्स को अलग से शूट करके उसे फ़िल्म की रिलीज़ से पहले इंटरनेट पर वायरल कर देता है जिससे कि लोग यह समझें कि ये सीन उस फ़िल्म के हैं और वो गलती से इंटरनेट पर आ गए हैं। यह लोगों को एक अलग रोमांच देता है जिससे कि वह फ़िल्म की ओर आकर्षित होते हैं।
सच्चाई यह होती है कि इन सीन्स का फ़िल्म से कोई ख़ास लेना देना नहीं होता है। ये अब तक का एक ऐसा तरीक़ा है जो कई फ़िल्मों ने सिनेमा में भीड़ बनाने की रूप में इस्तेमाल किया है।
इसके अलावा सिनेमा हमारी भावनाओं को भी विज्ञापन के रूप में इस्तेमाल करता है। किसी भी फ़िल्म के रिलीज़ होने से पहले उस फ़िल्म से संबंधित अफ़वाहों को लोगों के बीच फैला देने से लोग फ़िल्म की ओर अपना ध्यान केंद्रित करने लगते हैं। उदाहरण के तौर पर अस्सी के दशक में आयी फ़िल्म एक्जोरसिस्ट! इस फ़िल्म की रिलीज़ के समय एक अफ़वाह उड़ाई गई थी कि फ़िल्म को शूट करते समय असली भूत देखा गया और फ़िल्म के स्टाफ़ को भूत के कारण नुक़सान भी हुए हैं। ये सारी बातें सिरे से ग़लत थी जो सिनेमा हॉल में भीड़ बनाने के लिए फैलायी गई थी।
ये रहे सिनेमा से संबंधित कुछ अनकहे तथ्य। हमें कमेंट करके बताएँ कि आपको कौन से तथ्य पर आश्चर्य हुआ और कौन से तथ्य पर नहीं।