अभी कुछ दिनों पहले मुझे शकीरा की ज़िंदगी का एक क़िस्सा पता चला।
एक बार शकीरा और उसके पिता सड़क के किनारे एक बेंच बैठे थे। शकीरा ने अपने पिता से खाना माँगा। उसके पिता उसे समझा न सके कि उनके पास पैसे नहीं है किंतु शकीरा अपने पिता की ख़ामोशी को समझ गई। शकीरा को माउथ आरगन बजाना आता था। उसने अपना माउथ आरगन बजाना शुरू किया और इस तरह कुछ पैसे एकत्रित किए।
जब हम किसी सेलब्रेटी को देखते हैं तो हमें ऐसा लगता है कि इन्हें तो दुनिया के हर ऐशो आराम प्राप्त हैं। उन्हें देखकर हमें भी उनके जैसा बनने का मन करता है लेकिन हम ये भूल जाते हैं कि आज का ऐशो आराम उनकी पहले की मेहनत का नतीजा है।
शकीरा का पूरा नाम इसाबेला मेबारक रिपोल शकीरा है।शकीरा के पिता का नाम विलियम मेबारक और माता का नाम निदिया रिपोल है। शकीरा को बचपन से ही कवितायें लिखने का शौक़ था। जब शकीरा मात्र चार वर्ष की थी तब उसने अपनी पहली कविता “ला रोसा दे क्रिस्टल” यानी दी क्रिस्टल रोज़ लिखी थी।
शकीरा के पिता का जीवन संघर्षों से परिपूर्ण था। शकीरा ने अपने पहले गाने “तुस गफस ओस्कुरस” में अपने पिता की दर्द भरी ज़िंदगी बयान की थी। यह गाना उसने मात्र आठ वर्ष की अवस्था में लिखा था।
जब शकीरा आठ वर्ष की थी तो अचानक उसके पिता की आर्थिक स्थिति बिगड़ गयी। बैंक से लोन लेने और उसे समय पर ना चुका पाने के कारण वे दिवालिया हो गए।
शकीरा बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा की धनी थी और इस कारण उसे एडीएचडी/ADHD यानी हाइपरएक्टिविटी रोग हो गया। वह अपने स्कूल में अक्सर गाना गाया करती थी परन्तु उसके शिक्षक व शिक्षिकाएं कभी उसे प्रोत्साहित नहीं करते थे बल्कि वे ये कहते थे कि उसकी आवाज़ बकरी की तरह है। इस तरह के वाक्यों ने शकीरा का मनोबल नहीं तोड़ा और हम सभी जानते हैं कि यही बकरी की आवाज़ आज दुनिया भर में मशहूर है।
शकीरा के पहले दो अल्बम उसे कोई पहचान नहीं दिला पाए लेकिन उसने हार नहीं मानी। 2001 में उसका “लॉन्ड्री सर्विस” नामक अल्बम रिलीज़ हुआ जिसने उसे सम्पूर्ण विश्व में पहचान दिला दी। इसके बाद लगातार उसके अलबम विश्व भर में बिकने लगे। आज भी शकीरा की गाने लगभग हर किसी को पसंद आते हैं। जिस आवाज़ को बकरी की आवाज़ कहा गया था आज वही आवाज़ लोगों के दिलों पर राज करती है।
बेशक़ हमें ऊँचे ख़्वाब देखने चाहिए लेकिन हमें उनको पूरी करने की क्षमता भी रखनी चाहिए। दुनिया में ऐसे बहुत से लोग है जो आज ऊँचे मक़ाम पर बैठे हैं किन्तु उनका जीवन संघर्ष से परिपूर्ण रहा है।
अब आप यही देख लीजिए कि किस तरह शकीरा ने अपनी कमज़ोरी को ही अपनी ताक़त बना ली और दुनिया भर में छा गई। शकीरा ने अनाथ और ग़रीब बच्चों के लिए कई स्कूल भी खोले जिनमें अनेक बच्चे मुफ़्त शिक्षा पाते हैं। शकीरा के जीवन से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। हमें अपनी कमज़ोरियों पर रोना या पछताना नहीं चाहिए बल्कि उन्हें अपनी ताक़त बनाने की कोशिश करनी चाहिए।