हमारे घरों में चुहे अक्सर लुका-छिपी करते हैं तो ऐले में वैज्ञानिकों ने चूहों को मनुष्यों के साथ लुका-छिपी खेलने का प्रशिक्षण देने में कामयाबी हासिल की है जिससे पशुओं के खेलकूद संबंधी व्यवहार के तंत्रिका विज्ञान के अध्ययन का रास्ता साफ हो सकता है… पत्रिका ‘साइंस’ में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि पशुओं में खेल भावना के तंत्रिका संबंधी आधार के बारे में अभी बहुत कम जानकारी है… क्योंकि इस तरह की गतिविधियां स्वतंत्र होती हैं और खेल से परे शारीरिक रचना को कोई लाभ नहीं पहुंचातीं.
अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार तंत्रिका विज्ञान के परंपरागत तरीके खेल वाले व्यवहार का अध्ययन करने के लिए बहुत उपयोगी नहीं हैं. तंत्रिका विज्ञान के परंपरागत तरीके अक्सर सख्त नियंत्रण और परिस्थितियों पर निर्भर करते हैं.
जर्मनी में बर्लिन स्थित हम्बोल्ट यूनिवर्सिटी की अनिका रीनहोल्ड और उनकी सहयोगियों ने चूहों के लिए ‘लुका-छिपी’ के परंपरागत खेल के ‘चूहा बनाम मनुष्य’ संस्करण का ईजाद कर चूहों को उसका प्रशिक्षण दिया.
कुछ सप्ताह के प्रशिक्षण के बाद चूहे न केवल इसे खेल पाए बल्कि उन्होंने बारी-बारी से छिपना और खोजना भी सीख लिया. अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि चूहे इस खेल में बहुत सक्षम हो गये. रीनहोल्ड और उनकी टीम के अनुसार चूहे छिपे हुए मनुष्य की तलाश तब तक करते रहे जब तक उन्होंने उसे खोज नहीं लिया. अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि पशु समय के साथ धीरे-धीरे रणनीति बनाना सीख जाते हैं.