पैसा बचाना (Saving money) अपने आप में एक कला है जो हर किसी को नहीं आती है। बात ये नहीं है कि आप कितना पैसा कमा सकते हैं बल्कि ये बात तो ये होती है कि आप कितना पैसा बचा पाते हैं। यदि आप ये सोचते हैं कि पैसा बचाकर क्या फ़ायदा तो हम आपको बताते हैं कि पैसा बचाना वास्तव में एक ज़रूरी बात है।
पैसा बचाने के लिए कुछ छोटी छोटी ट्रिक्स होती हैं जिन्हें यदि हम अपने जीवन में लागू करें तो हम काफ़ी पैसा इकट्ठा कर सकते हैं। वैसे भी आजकल कोरोना का दौर चल रहा है और इस दौर में लोगों की आर्थिक स्थिति लॉकडाउन के कारण काफ़ी प्रभावित हुई है। ऐसे में ज़रूरी है कि हम बुरे वक़्त के लिए कुछ पैसा बचाकर चलें। तो आइए इस लेख में एक छोटी सी चर्चा इस बात पर करते हैं कि हम किस प्रकार अपने पैसे को (Saving money) बचा सकते हैं।
पैसे के बारे में जानें थोड़ा और यहाँ, देखें।
1. ख़र्चे की लिस्ट बनाएँ (Saving money)
अगर आप अपने पैसे की बचत की श्रेणी में लाना चाहते हैं तो सबसे पहले तो आपको ये देखना होगा कि आपकी इनकम क्या है और आपके खर्चे क्या हैं। आपको अपने खर्चों का एक ब्यौरा तैयार करना चाहिए। जब आप ये सुनिश्चित कर लेंगे कि आपके पैसे किन किन जगह पर ख़र्च हो रहे हैं तो उससे आपको हिसाब लगाने में आसानी हो जाएगी। इस तरह आप ख़र्च वाले पैसों में से हो सकता है कि थोड़ा पैसा बचाने (Saving money) में सक्षम हो पाए।
2. खर्चों में थोड़ी सी गिरावट (Saving money)
जब आप अपने खर्चों की एक लिस्ट तैयार कर लेते हैं तो ऐसे में आपको दिख जाता है कि आप किस चीज़ पर कितना पैसा ख़र्च कर रहे हैं। आपकी लिस्ट में हो सकता है कि कोई सामान ऐसा हो जिसकी अत्याधिक आवश्यकता न हो। ऐसी स्थिति में आप अपने ख़र्च में थोड़ी सी गिरावट करके उस ख़र्च पर लगने वाले पैसे को अलग रखदें। इससे आपके थोड़े पैसे बच सकते हैं।
3. टारगेट बनाएँ (Saving money)
पैसे बचत (Saving money) करने का सबसे बेहतर उपाय है एक टारगेट सेट कर लेना। आप जो भी पैसा कमाते हैं और जो भी ख़र्चा करते हैं उसको देखते हुए अपने महीने का एक टारगेट बनायें।
आप जो भी टारगेट बनाएँ उसको सुनिश्चित कर लें कि पूरा करना है। उदाहरण के तौर पर आप सौ या दो सौ रुपये का एक टारगेट बनाएँ और फिर इस पैसे को अपनी बचत में रखें। इसी प्रकार दूसरे महीने अपना टारगेट थोड़ा सा बढ़ा दें। धीरे धीरे करके आप अपने टारगेट को बढ़ाते जाएं और उसे पूरा अवश्य करें।ये भी एक तरीक़ा है पैसे बचाने (Saving money)।
4. बचत की अहमियत को समझें (Saving money)
यदि आप पैसों को बचत की श्रेणी में लाना चाहते हैं और आप इस काम को किसी भी सूरत में करना चाहते हैं तो ये ज़रूरी है कि आप अपना इरादा मज़बूत रखें। बचत की अहमियत को समझना काफ़ी ज़रूरी है। कई बार ऐसे मौक़े आते हैं कि हम पैसे बचाना चाहते हैं लेकिन हमें कोई चीज़ अच्छी लग जाती है और हम उसे ख़रीद लेते हैं। ऐसे में हम उस चीज़ को अपनी अहमियत देते हैं जबकि हमें बचत को अहमियत देनी चाहिए थी। ऐसे में हम अपने पैसे नहीं बचा पाते। तो यहाँ पर ये ज़रूरी है कि हम ये समझें की बचत करना कितना ज़रूरी है।
5. धीरे धीरे शुरुआत करें (Saving money)
वैसे तो हमने बचत (Saving money) के लिए टारगेट वाली बात कही लेकिन यदि आप एक टारगेट लेकर नहीं चल पा रहे हैं तो पैसे बचाने की शुरुआत धीरे धीरे करें। आप प्रतिदिन 1 या 2 रुपया से बचत करना स्टार्ट करें। ये ज़्यादा मुश्किल नहीं होगा लेकिन महीने के अंत में जो भी आपके पास बचत होगी उससे आपको अंदाज़ा होगा कि आप एक एक रुपया रखकर कितना बचा सकते हैं। इस प्रकार आप पूरे साल धीरे धीरे करके बचत कर सकते हैं।आज तो महँगाई का ज़माना है तो ऐसे में आप प्रतिदिन कुछ रुपया अवश्य बचाने की कोशिश करें। इस बचत को कहीं रखकर ऐसा भूलें कि मानों ये आपके पास है ही नहीं। इस प्रकार यह पैसा आपके बुरे वक़्त में आपके काम आएगा।
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6. ज़रूरी चीज़ों को प्राथमिकता (Saving money)
जैसा कि हमने कहा कि अपने खर्चों की एक लिस्ट बनाएँ और उसी के अनुसार अपना पैसा ख़र्च करें। आप अपने खर्चों में ये अवश्य देखें कि आप ज़रूरी चीज़ें ही ख़रीद रहे हैं या नहीं। अपने खर्चों में कोई ऐसी चीज़ ना रखें जो गैरज़रूरी हो।
यदि आपको थोड़ा भी महसूस हो कि इस चीज़ के बिना आपका काम चल सकता है तो बेहतर है कि उस चीज़ को टाल दें और उस पैसे को बचा लें। ऐसा आप तब तक करें जब तक कि आपका उस चीज़ के बिना काम चल सकता है।जब आपको लगे कि नहीं अब इस चीज़ के बिना काम नहीं चल सकता तभी उस चीज़ को ख़रीदें। यह एक तरह से फ़ालतू ख़र्च को रोक लेगा।
Conclusion
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पैसा हमारे जीवन में कितनी ज़रूरी चीज़ है। ऐसे में यह ज़रूरी है कि हम अपने पास सदा कुछ न कुछ पैसा अवश्य रखें। पैसा तभी होगा जब हम अपने पैसे की बचत (Saving money) करना सीखेंगे।
वैसे तो जो व्यक्ति फ़िज़ूलखर्ची नहीं करता है और पैसा बचाता है लोग उसको कंजूस कहते हैं लेकिन ये कंजूसी नहीं होती। कंजूसी वहाँ होती है जब आप अपनी ज़रूरत की चीज़ भी ना ख़रीदें और पैसा बचाने के चक्कर में लगे रहें। ऐसे में आपके पैसे का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। यदि आप फ़िज़ूलखर्ची नहीं करते हैं और अपने चंचल मन को कंट्रोल करके ग़ैर ज़रूरी चीज़ को नहीं ख़रीदते हैं तो ऐसे में आप कंजूस नहीं समझदार हैं।