Thursday, November 21, 2024
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राउडी बर्टन (Rowdy Burton): इच्छाशक्ति का अनमोल उदाहरण

राउडी बर्टन – Rowdy Burton की इच्छाशक्ति का अनमोल उदाहरण

by Nayla Hashmi
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 वैसे तो आस्था का मामला किसी भी व्यक्ति के लिए एक पर्सनल च्वाइस है लेकिन फिर भी हम एक सवाल करना चाहेंगे। इसका उत्तर कोई भी दे सकता है। सवाल है क्या हम अपने पास उपलब्ध चीज़ों के लिए ईश्वर को धन्यवाद देते हैं? जिन लोगों का उत्तर सोचने के बाद “नहीं” में आया है उन्हें राउडी बर्टन (Rowdy Burton) की कहानी सुनना चाहिए।

हम प्रतिदिन किसी न किसी बात पर ख़ुद को या ईश्वर को कोसते हुए दिख जाते हैं जबकि उसने हमें सम्पूर्ण शरीर तथा स्वस्थ्य शरीर के साथ पैदा किया है। इसके बावजूद हम धन्यवाद नहीं करते हैं और हमेशा आत्मविश्वास की कमी में जीते रहते हैं। हम अपने पास उपलब्ध चीज़ों की अहमियत समझ सके और जो हमें दिया गया है उस पर संतुष्ट हो सके इसके लिए ज़रूरी है कि हम ऐसे लोगों से मिलें जिनके पास ये सारी चीज़ें नहीं हैं। 

ऐसे ही एक इंसान है राउडी बर्टन (Rowdy Burton)। राउडी बर्टन (Rowdy Burton) की कहानी आपको सोचने पर मजबूर कर देगी और हमें यक़ीन है कि इनसे आप सकारात्मक सोच के लिए प्रेरित हो सकेंगे। तो आइए अपने इस लेख में हम आपको मिलवाते हैं इच्छाशक्ति के मज़बूत उदाहरण राउडी बर्टन (Rowdy Burton) से।

जानें राउडी बर्टन के बारे में थोड़ा और यहाँ।

कौन हैं राउडी बर्टन – Rowdy Burton

राउडी बर्टन (Rowdy Burton) एक अमेरिकी व्यक्ति है जिनका संबंध अलाबामा नामक राज्य से है। ये एक ऐसे पुरुष है जिनको जन्म से ही एक दुर्लभ तथा ख़तरनाक बीमारी है। राउडी बर्टन (Rowdy Burton) को सैकरल एजेनेसिस नामक बीमारी है जो 25 हज़ार व्यक्तियों में से मात्र एक व्यक्ति को होती है। बीमारी से प्रभावित व्यक्ति की स्पाइनल बोन अर्थात रीढ़ की हड्डी सही से विकसित नहीं हो पाती है।

राउडी बर्टन (Rowdy Burton) को बचपन से ही इस बीमारी ने घेर लिया था और इसके चलते उन्हें काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा। राउडी बर्टन (Rowdy Burton) ने बारक्रॉफ़्ट टेलिविज़न को दिए गए एक इंटरव्यू में यह बात रखी थी कि उन्हें सैकरल एजेनेसिस नामक बीमारी है। उनका कहना था कि हालाँकि यह बीमारी उन्हें जन्म से ही मिल गई थी किंतु वह इस बीमारी के बारे में सभी अच्छे से तब जान पाए जब वे एक समझदार व्यक्ति बन गए।

उनकी इस बीमारी के चलते ही डॉक्टर्स को तीन साल की उम्र में उनके पैरों को उनके शरीर से काटकर अलग करना पड़ गया था। इसी के चलते राउडी बर्टन (Rowdy Burton) अब सिर्फ़ आधे शरीर के साथ रहते हैं। इसी वजह से राउडी बर्टन (Rowdy Burton) को “द मैन विथ ओनली हाफ़ बॉडी” भी कहते हैं।

राउडी बर्टन की असाधारण ज़िंदगी
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राउडी बर्टन (Rowdy Burton) चूँकि एक दुर्लभ और ख़तरनाक बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति हैं इसलिए हम ये अंदाज़ा लगा सकते हैं कि उनका जीवन वास्तव में कितना कठिन रहा होगा। राउडी बर्टन (Rowdy Burton) ने स्वयं अपने जीवन से संबंधित बातें इंटरव्यू में कही जिसमें उनका दर्द साफ़ झलकता है। राउडी बर्टन (Rowdy Burton) ने कहा कि मात्र 3 साल की उम्र में उनके पैरों को उनसे जुदा कर दिया गया जबकि उन्हें पता नहीं था कि उनके साथ क्या हो रहा है। 

राउडी बर्टन (Rowdy Burton) कहते हैं कि वे अपने बेजान पैरों को अपने शरीर पर लेकर घूमते थे जबकि वह मात्र एक बेजान वज़न था। राउडी बर्टन (Rowdy Burton) के आधे शरीर वाली बीमारी के कारण उन्हें अपने स्कूल के दिनों में काफ़ी बुली को झेलना पड़ा। स्कूल में बच्चे उन्हें न सिर्फ़ अजीब नज़रों से घूरते थे बल्कि उनका बुरी तरह मज़ाक भी उड़ाते थे। ये सब तब तक चलता रहा जब तक कि राउडी अपने हाईस्कूल में नहीं पहुँच गये। राउडी का मानना है कि हाईस्कूल में पहुंचकर लोगों ने इस तरह की हरकतें उनके साथ करना बंद कर दिया क्योंकि वह सब जो पहले समझदार नहीं थे अब समझदारी की उम्र को पा चुके थे। है।

राउडी बर्टन (Rowdy Burton) ने लोगों के ताने और मज़ाक को हर दिन सहा और शायद यही एक वजह है कि वह कहते हैं कि उन्होंने लोगों की परवाह करना छोड़ दिया। इन बातों से ये पता चलता है कि वास्तव में राउडी बर्टन (Rowdy Burton) ने किस प्रकार के दुःख को झेला है लेकिन फिर भी वे हार नहीं मानते हैं।

Rowdy Burton और सकारात्मक सोच

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राउडी बर्टन (Rowdy Burton) ने एक असाधारण जीवन होते हुए भी सकारात्मक सोच का पल्लू कभी नहीं छोड़ा। राउडी बर्टन (Rowdy Burton) टेनिस के शौक़ीन हैं। वे अक्सर अपने दोस्तों या परिवार वालों के साथ टेनिस खेलते हैं। इसके अलावा वे बाहर जाने के लिए वीलचेयर या फिर स्केटबोर्ड का इस्तेमाल करते हैं। ये दोनों चीज़ें उन्हें काफ़ी मदद करती है। जब राउडी बर्टन (Rowdy Burton) को अपनी इस दुर्लभ और कभी न ख़त्म होने वाली बीमारी के विषय में पता चला था तो राउडी बर्टन (Rowdy Burton) ने यह बात तय की थी कि वह कभी भी उम्मीद नहीं खोएंगे और अपनी आख़िरी साँस तक अपने जीवन को सुखमय तरीक़े से जिएंगे।

बच्चों का ध्यान रखें इन तरीक़ों से।

Conclusion 

राउडी बर्टन (Rowdy Burton) के पास आधा शरीर ही है किंतु इसके बावजूद वे कितने सकारात्मक और शांत स्वभाव है। वह कभी भी अपनी बीमारी को एक कमी की तरह नहीं लेते। राउडी बर्टन (Rowdy Burton) सकारात्मक सोच के साथ ज़िंदगी गुज़ारने में विश्वास रखते हैं। ना सिर्फ़ विश्वास रखते हैं बल्कि वे हिम्मत के साथ अपने जीवन को सुखमय तरीक़े से जी भी रहे हैं। राउडी बर्टन (Rowdy Burton) वास्तव में उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं जो हर चीज़ होने के बावजूद संतुष्ट नहीं होते तथा हमेशा ख़ुद को और ईश्वर को कोसते रहते हैं। ऐसे लोग जो आत्मविश्वास की कमी रखते हैं और ये सोचते हैं कि उनके पास कुछ नहीं है उन्हें राउडी बर्टन (Rowdy Burton) के बारे में पढ़ना चाहिए। याद रखें जीवन अनमोल है तथा एक ही बार मिलता है। इसलिए हँसी ख़ुशी बिना आशा खोए अपने जीवन को जिएं।

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