हम घर में, समाज और देश में महिला और पुरुष की बराबरी की बात करते हैं।
हमारे देश में महिलाओं की बराबरी किसी भी सेक्टर में पुरुषों से काफी कम है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की सैलरी बराबर नहीं होती है। आज देश में सेना, सिविल, सर्विस, प्राइवेट सेक्टर में महिलाएं काम कर रही हैं।
समाज में कामकाजी महिलाओं की हिस्सेदारी बहुत कम है। हर क्षेत्र में महिलाएं आगे बढ़कर मुकाबला कर रही हैं। संख्यात्मक रूप से महिला प्रतिशत बहुत कम है। सिर्फ 22% वर्किंग क्लास महिलाएं ही देश में है। भारत में पुरुष और महिला के सैलरी में भी फर्क देखने को मिलता है। समाज में महिलाओं को आगे लाना आवश्यक है। हर क्षेत्र में महिलाएं अपना कार्य कर रही हैं लेकिन इस प्रतिशत को अधिक बढ़ाना है।
सेना में महिलाओं की भागीदारी
Defense
देश की कुल आबादी में महिला आबादी सिर्फ 22% वर्किंग क्लास महिलाएं और पुरुष 71.2 परसेंट आबादी वर्किंग क्लास की है। आज दुनिया कितनी भी बदल गई हो लेकिन कामकाजी महिलाएं की संख्या कम है। देश की तीनों सेनाओं में कुल करीब 14 लाख जवान है। जिनमें सिर्फ 0.7% महिलाएं हैं। आर्मी में महिलाओं की हिस्सेदारी आधा फीसदी तक सिमट गई है। महिलाओं की सबसे ज्यादा 1.3% हिस्सेदारी एयर फोर्स में है।
सैन्य अधिकारी के रूप में चार परसेंट महिलाएं हैं। नेवी के अफसरों में करीब 7% महिलाएं हैं। एयर फोर्स में महिला अधिकारियों की हिस्सेदारी 13% से ज्यादा है यानी सेना में सैनिकों की कुल संख्या की तुलना में महिलाओं की हिस्सेदारी ज्यादा है। तीनों सेनाओं में 9000 से ज्यादा महिलाएं कुल सैनिकों में इनकी हिस्सेदारी है। पैरामिलेट्री फोर्स इसमें महिलाओं की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी सी आई एस एफ में है, यह भी सिर्फ 6% है। बीएफएफ, एसएसबी और सीआरपीएफ आदि में भी महिलाओं की कुल हिस्सेदारी 3 फ़ीसदी से कम है।
कारपोरेट सेक्टर में महिलाओं की हिस्सेदारी
कारपोरेट सेक्टर में महिलाओं की हिस्सेदारी बहुत कम है। कंपनी में भी अहम पदों पर महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को अधिक सैलरी मिलती है। एनएससी के मुताबिक देश की प्रमुख कंपनियों के सीईओ 2 करोड़ 41 लाख सैलरी पाते हैं लेकिन महिलाओं की सैलरी की बात करें तो यह पुरुषों से काफी कम एक करोड़ 68 लाख रुपए हैं। भारत के सबसे अमीर 100 लोगों में से सिर्फ पांच महिलाएं शामिल है। दुनिया में सबसे अमीर 180 में सिर्फ 11 महिलाएं है।
भारत में जिंदल स्टील की सावित्री जिंदल देश की सबसे अमीर महिला है। दूसरे नंबर पर किरण मजूमदार शॉ का नाम आता है। पुरुषों की तुलना में महिला सीईओ की सैलरी 45 परसेंट तक कम है। तीनों सेनाओं में महिलाओं की हिस्सेदारी बहुत कम है। महिला और पुरुष बराबरी पर सवाल उठते ही हैं। देश के किसी भी सेक्टर में महिलाओं की संख्या पुरुषों की अपेक्षा काफी कम होती है। जब महिला और पुरुष एक ही काम करते हैं तो उनकी सैलरी में अंतर नहीं होना चाहिए।
सिविल सर्विसेज में महिलाओं की स्थिति
सिविल सर्विसेज में पिछले 5 साल में 1144 महिलाएं सिलेक्ट हुई है। हमने 2019 की सिविल सर्विसेज परीक्षाओं के नतीजे देखें जिसमें सिविल सर्विसेज में महिला कैंडिडेट 23.7% सिलेक्ट हुई थी। सिविल सर्विसेज में 829 कैंडिडेट सिलेक्ट हुए जिनमें 197 महिलाएं ही थी।
अगर हम 5 सालों के सिविल सर्विसेज परीक्षा में सिलेक्ट हुए कैंडिडेट की बात करें तो 2015 में 19.7% महिला कैंडिडेट ही सेलेक्ट हुई थी 2017 में 24.1 परसेंट महिलाओं की हिस्सेदारी रही। अभी तक 25 परसेंट महिलाओं की हिस्सेदारी नहीं रही है। समाज में कामकाजी महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाना है। ऐसे प्रयास करने हैं जिससे महिलाएं आगे बढ़ कर हर सेक्टर में अपना योगदान दे सकें।