राजकुमारी दीया कुमारी ने भारतीय स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी में चल रहे आत्मनिर्भर भारत से संबंधित प्रयासों को सराहा
राजसमंद से सांसद दीया कुमारी ने भारतीय स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी (बीएसडीयू) के परिसर का दौरा किया और इस दौरान उन्हे विश्वविद्यालय में चल रहे ‘आत्मनिर्भर भारत’ से संबंधित प्रयासों को नजदीक से देखने का अवसर मिला। सांसद दीया कुमारी का यह दौरा ऐसे समय में हुआ जब विश्वविद्यालय की शैक्षणिक प्रक्रिया ऑनलाइन तक सीमित है और फिजिकल ट्रेनिंग को स्थगित किया गया है। दीया कुमारी ने विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों के साथ वर्तमान स्थिति पर चर्चा की और इस दौरान उन्होंने बीएसडीयू के कौशल विकास के बुनियादी ढांचे और प्रयोगशालाओं की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि वर्तमान महामारी ने कौशल उन्नयन की प्रासंगिकता और इसके महत्व को और बढ़ा दिया है।
इस दौरान दीया कुमारी ने कहा, ‘‘किसी भी शिक्षा प्रणाली को वर्तमान दौर की वास्तविक आवश्यकताओं को समझते हुए अपने आप में बदलाव करना चाहिए, ताकि नए दौर के नए चलन में अपने आप को कायम रखा जा सके। मौजूदा दौर में हमें अपने आपको कायम रखने और विकास की राह पर आगे बढ़ने के लिए कौशल के महत्व को समझना होगा, क्योंकि इस समय न केवल हमारे देश को, बल्कि पूरी दुनिया को कोरोना वायरस के कारण अनेक वास्तविक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।‘‘
जयपुर के शाही परिवार से संबद्ध श्रीमती दीया कुमारी ने इस बात पर भी खुशी जाहिर की कि बीएसडीयू से उत्कृष्ट छात्रों के लिए अंतरराष्ट्रीय इंटर्नशिप के अवसर भी पैदा किए हैं। उन्होंने अप्रेंटिसशिप कार्यक्रमों के लिए भी बीएसडीयू की प्रशंसा की और न सिर्फ राजस्थान, बल्कि देशभर के लोगों के लिए ‘आत्मनिर्भर भारत‘ के सरकार के दृष्टिकोण को हासिल करने पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें उस स्थिति पर गर्व होगा, जब राजस्थान के लोग पूरी तरह कुशल होंगे और उद्योग के लिए काम करेंगे साथ ही अपने साथ-साथ दूसरों के लिए भी रोजगार के अवसर तैयार करेंगे। हमारा मानना है कि भारत में कुशल जनशक्ति तैयार करने के लिए अप्रेंटिसशिप प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है और इसके माध्यम से ही हम आत्मनिर्भर होने का मकसद हासिल कर सकते हैं।‘‘
बीएसडीयू के प्रेसीडेंट प्रो. अचिंत्य चैधरी ने कहा कि वर्तमान दौर में कोविड संकट के प्रभाव और इसके बाद काम की मांग के बदलते रुझान पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने लॉकडाउन के बाद आर्थिक गतिविधियों को तेज करने के लिहाज से इनोवेशन पर जोर दिया और कहा, ‘‘चूंकि कोरोना संकट ने रोजगार की प्रकृति को बदल दिया है, इसलिए वर्तमान दौर में आत्मनिर्भर भारत या आत्मनिर्भरता ही सबसे अधिक लोकप्रिय होगी। हमें ग्लोबल क्वालिटी के साथ संकट का मुकाबला करना होगा। इसी प्रकार, आत्मनिर्भर बनने के लिए, हमें प्रासंगिक रहकर भारत की मजबूती और इसकी शक्तियों का निर्माण करना होगा, जो कुशल होने के साथ ही संभव है।‘‘
भारतीय स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी (बीएसडीयू) के बारे मेंः
2016 में स्थापित भारतीय स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी (बीएसडीयू) भारत का पहला अनूठा कौशल विकास विश्वविद्यालय है, जिसे भारतीय युवाओं की प्रतिभाओं के विकास के लिए अवसर, स्थान और गुंजाइश बनाकर कौशल विकास के क्षेत्र में वैश्विक उत्कृष्टता पैदा करने की दृष्टि से उन्हें वैश्विक स्तर पर फिट बनाने के लिए कायम किया गया था। डॉ. राजेंद्र के जोशी और उनकी पत्नी श्रीमती उर्सुला जोशी के नेतृत्व और विचार प्रक्रिया के तहत नौकरी प्रशिक्षण और शिक्षा के लिए बीएसडीयू ने ‘स्विस-ड्यूल-सिस्टम’ स्विट्जरलैंड की तर्ज पर इसे स्थापित किया है। बीएसडीयू राजेंद्र उर्सुला जोशी चैरिटेबल ट्रस्ट के तहत एक शिक्षा उपक्रम है और राजेंद्र और उर्सुला जोशी (आरयूजे) समूह ने इस विश्वविद्यालय को 2022 तक 36 कौशल स्कूलों को स्थापित करने के लिए 500 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है।
इसके पीछे विचार, कौशल विकास की स्विस प्रणाली को भारत में लाने का था, इस तरह भारत में आधुनिक कौशल विकास के जनक डॉ. राजेंद्र जोशी और उनकी पत्नी श्रीमती उर्सुला जोशी ने 2006 में स्विट्जरलैंड के विलेन में ’राजेंद्र एंड उर्सुला जोशी फाउंडेशन’का गठन करते हुए इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया। बीएसडीयू का उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाली कौशल शिक्षा को बढ़ावा देना और सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, एडवांस डिप्लोमा और स्नातक, स्नातकोत्तर, डॉक्टरेट और विभिन्न कौशल के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए पोस्ट-डॉक्टरेट की डिग्री देते देते हुए ज्ञान की उन्नति और प्रसार करना है।
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