Thursday, November 21, 2024
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भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी नहीं रहे!

by Divyansh Raghuwanshi
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आज का दिन हमारे देशवासियों के लिए बेहद दुखद भरा है क्योंकि भारत के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित अर्थात भारत रत्न से सम्मानित एवं पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी हम सभी देशवासियों को छोड़कर चले गए। रिपोर्ट के अनुसार श्री प्रणब मुखर्जी कई दिनों से गहरे कोमा में थे। अधिक वृद्धि होने के कारण (इनकी उम्र 84 वर्ष) इनकी फेफड़े ठीक से वायु को ग्रहण नहीं कर पा रहे थे इस कारण से इनको वेंटिलेटर पर रखा गया था, और सुनने में आया है कि इनको फेफड़े में संक्रमण भी था, जिसके चलते फेफड़ों का भी इलाज चल रहा था। इनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में 11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के मिराती गांव में हुआ था।

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देश के सम्मानित व्यक्तित्व रखने वाले माननीय प्रणब मुखर्जी के निधन की जानकारी इनके पुत्र (श्री अभिजीत मुखर्जी) द्वारा सोशल मीडिया पर ट्वीट करके है। वर्तमान समय में भारत की केंद्र सरकार ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी के निधन पर आज से सात दिनों तक (31 अगस्त से 6 सितंबर तक मनाया जाएगा) राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। 

आरआर अस्पताल में थे भर्ती

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श्री प्रणब मुखर्जी को बीमार के चलते आर आर अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। इनकी पार्थिव शरीर को आज के दिन इसी अस्पताल में ही रखा जाएगा और कल प्रातः काल इनके पार्थिव शरीर को 10 राजाजी मार्ग स्थित निवास स्थान पर लाया जाएगा। इनके निधन पर भारत के अति प्रचलित राजनीतिज्ञ एवं अन्य देशवासियों ने गहरा शोक जताया है- माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद। माननीय राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने ट्विटर पर एक पोस्ट डालते हुए कहा है कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी के निधन पर मुझे बहुत ही दुख हो रहा है। 

माननीय श्री प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी उनके निधन पर ट्वीट करते हुए कहा है, कि श्री प्रणब मुखर्जी का राजनीतिक हर व्यक्ति सम्मान करता था, और सर्वश्रेष्ठ स्कॉलर थे।

जानिए इनकी राजनीति से संबंधित प्रख्यात तथ्य

  • इनकी सबसे खास बात यह है, कि इन्होंने 40 वर्षों से भी ज्यादा समय राजनीति में बिताए थे। 
  • इन्होंने कांग्रेस की पार्टी में रहकर राष्ट्रपति का पदभार, वाणिज्य मंत्री, वित्त मंत्री (जनवरी (2009 से 26 जून 2012 तक), रक्षा मंत्री (मई 2004 से 26 अक्टूबर 2006 तक), विदेश मंत्री (फरबरी 1995 से 16 मई 1996 तक) के पदभार संभाले थे।
  • यह देश के 13वें राष्ट्रपति थे जो कि 2012 से 2017 तक उन्होंने राष्ट्रपति का कार्यभार संभाला था। इनके द्वारा किए गए काम कि लोग अक्सर तारीफ करते रहते हैं।
  • यह है भारतीय योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रह (1991 से 1996 तक) चुके थे।
  • इनके पिताजी भी कांग्रेस के प्रचलित राजनेता रह चुके थे।
  • इन्हें सन् 1997 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का अवार्ड, 2008 में पद्म विभूषण से भी सम्मानित, 26 जनवरी 2019 में भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
  • इनको उत्तम दर्जे का मंत्री माने जाने के कारण (सन् 1980 से 1985 के दौरान) प्रधानमंत्री जी की गैर हाजिरी में विभिन्न केंद्रीय मंत्रिमंडल बैठकों में अध्यक्षता भी कर चुके थे।

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