रविवार को देश में दिवाली मनाई गई, लेकिन दिवाली के अगले ही दिन कई जगह पर वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है…. राजधानी दिल्ली में रविवार को ही प्रदूषण का स्तर ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गया…. एयर क्वॉलिटी इंडेक्स में वायु प्रदूषण का स्तर 313 पर रहा और दोपहर होते-होते AQI और भी खराब हो गया… दिवाली के दिन जो असर दिखना शुरू हुआ था वह अब तक जारी है…
दिवाली के दिन वजीरपुर और बवाना में PM 2.5 लेवल 400 के पार रहा…. राजधानी के 37 AQI स्टेशन्स में से 29 स्टेशन्स पर प्रदूषण स्तर ‘बहुत खराब’ श्रेणी पर पहुंच गया है…. वहीं फरीदाबाद में AQI 318, गाजियाबाद में 397, ग्रेटर नोएडा में 315 और नोएडा में 357 पर रहा….
बता दें पिछले साल दिवाली के बाद दिल्ली का AQI 600 मार्क को पार कर गया था जो कि सेफ लिमिट से 12 गुना ज्यादा है…. वहीं 2017 में AQI 367 था….इसके अलावा दिवाली से ठीक एक दिन पहले यानी शनिवार को भी प्रदूषण का स्तर AQI 302 रहा….
AQI का ‘0 से 50’ के बीच होना अच्छा, 51 से 100 के बीच संतोषजनक, 101 से 200 तक मध्यम, 201 से 300 तक खराब, 301 से 400 तक बेहद खराब और 401 से 500 के बीच खतरनाक माना जाता है…. वहीं दिवाली के अलावा दिल्ली में हवा की क्वालिटी लगातार बिगड़ने का मुख्य कारण हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब के इलाकों में पराली जलाना भी है….
बता दें 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच का समय दिल्ली-एनसीआर की हवा के लिए काफी खतरनाक साबित हो जाता है….दिल्ली की हवा खतरनाक स्तर तक खराब होने की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में पटाखों पर बैन लगा दिया था…..दिल्ली में सिर्फ ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति है जो 30 फीसदी कम प्रदूषण फैलाते हैं…. हालांकि सुप्रीम कोर्ट की पाबंदी के बावजूद कई लोगों ने पुराने पटाखों का इस्तेमाल किया…
दिल्ली और इससे जुड़े इलाकों में तापमान गिरने और दिवाली मनाए जाने के बाद हवा की गुणवत्ता बेहद ख़राब स्थिति में पहुंच चुकी है….दुनिया भर के अलग अलग शहरों में वायु प्रदूषण की हालत बताने वाली वेबसाइट एयर क्वालिटी इंडेक्स के मुताबिक़ 28 अक्टूबर की सुबह 10 बजे दिल्ली दुनियाभर में दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बन गया….
27 अक्टूबर की शाम 11 बजे के बाद से 28 अक्टूबर सुबह तक दिल्ली में आनंद विहार से लेकर तमाम दूसरे इलाकों में वायु प्रदूषण के आंकड़े अपने उच्चतम स्तर पर रहे….उत्तर भारत में दिवाली के बाद PM 2.5 कई जगहों पर अपने उच्चतम स्तर पर रहा….
विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O) की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ साल 2016 में पांच साल से कम उम्र के एक लाख से ज़्यादा (101 788.2) बच्चों की मौत के लिए प्रदूषण ज़िम्मेदार था…..
‘एयर पॉल्यूशन एंड चाइल्ड हेल्थ: प्रेसक्राइबिंग क्लीन एयर’ नाम की इस रिपोर्ट में प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण बीमारियों के बढ़ते बोझ को लेकर सावधान किया गया है….रिपोर्ट में बताया गया है कि बाहर की हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर PM 2.5 के कारण पांच साल की उम्र के बच्चों की सबसे ज़्यादा मौतें भारत में हुई हैं….
पार्टिकुलेट मैटर धूल और गंदगी के सूक्ष्म कण होते हैं जो सांस के ज़रिए शरीर के अंदर जाते हैं….इसके कारण भारत में 60,987, नाइजीरिया में 47,674, पाकिस्तान में 21,136 और कांगों में 12,890 बच्चों की जान चली गई…..
इन बच्चों में लड़कियों की संख्या ज़्यादा है…. कुल बच्चों में 32,889 लड़कियां और 28,097 लड़के शामिल हैं…प्रदूषण से सिर्फ़ पैदा हो चुके बच्चे ही नहीं बल्कि गर्भ में मौजूद बच्चों पर भी बुरा असर पड़ता है….
रिपोर्ट कहती है कि प्रदूषण के कारण समय से पहले डिलीवरी, जन्म से ही शारीरिक या मानसिक दोष, कम वज़न और मृत्यु तक हो सकती है….ऐसे तो प्रदूषण का सभी पर बुरा असर माना जाता है, लेकिन रिपोर्ट की मानें तो बच्चो पर इसका ज्यादा असर होता है…..
दिवाली के बाद भारत के ट्विटर ट्रेंड्स में #DelhiChokes और #CrackersWaliDiwali नाम के दो हैशटेग ट्रेंड कर रहे हैं…
वीओ– इन ट्रेंड्स पर कुछ लोग दिल्ली की हवा में प्रदूषण बढ़ने के लिए दिवाली के पटाख़ों को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं…वहीं, एक दूसरा वर्ग इसके लिए उन सभी कारकों को सामने रख रहा है जो दिल्ली के बढ़ते प्रदूषण के लिए ज़िम्मेदार हैं….
ट्विटर यूज़र तोयाज़ चतुर्वेदी लिखते हैं, “सबको दिवाली के पटाखों से दिक़्क़त होती है, लेकिन कभी कोई ईद पर जो हज़ारों लाखों बकरों की क़ुर्बानी के नाम पर बली चढ़ती है उस पर किसी को आपत्ति क्यों नहीं होती?”
दिवाली का त्योहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार सामान्य तौर पर अक्तूबर के तीसरे हफ़्ते से नवंबर के दूसरे सप्ताह के बीच मनाया जाता है….अक्सर यही वो समय भी होता है जब किसान खेतों में पराली जलाते हैं….ऐसे में अध्ययनकर्ताओं ने सबसे ज़्यादा ग़ौर दिवाली वाले सप्ताह पर किया…
इस रिपोर्ट को तैयार करने वाले धनंजय घई ने बीबीसी को बताया, “पराली जलाने की घटनाओं को स्थापित करने के लिए हमने नासा से सेटेलाइट तस्वीरें लीं और उनका इस्तेमाल किया.”
साल 2013 से लेकर 2016 के बीच, चार में से दो बार दिवाली का त्योहार उस वक़्त नहीं पड़ा था जब किसान अपने खेतों में पराली जला रहे थे…..इन सालों में दिल्ली की एक लोकेशन पर कोई बड़ी औद्योगिक गतिविधि रुकने से वायु प्रदूषण और मौसम पर जो असर हुआ वो भी अध्ययनकर्ताओं ने दर्ज किया…
रिसर्चरों ने पाया कि दिवाली के अगले दिन हर साल PM 2.5 की मात्रा क़रीब 40 फ़ीसदी तक बढ़ी….जब इस आंकड़े को घंटों के आधार पर देखा गया तो रिसर्चरों ने पाया कि दिवाली के दिन शाम 6 बजे से अगले पाँच घंटे बाद तक (यानी क़रीब 11 बजे तक) पीएम 2.5 में 100 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई…