आज ये प्रण ले सब हीं कोरोना से देश बचाना है
सयम और संकल्प को हीं अब हथियार बनाना है
मास्क पहंन कोई कुछ भी बोलो,
बार बार हाथो को धोलो
सतर्क कर रहे बार बार मोदी का साथ निभाना है
आज ये प्रण ….
धीरे धीरे पैर पसारे,
हल्के फुल्के करें इशारे,
मानव शरीर हीं मानो जैसे इसका निशाना है
आज ये प्रण….
भूल जाओ अब हाथ मिलाना
विदेशी सभ्यता को अपनाना
हाथ जोड़ हीं सबका अब सम्मान बढ़ाना है
आज ये प्रण…..
बच्चे बूढ़े और कमजोर
खतरा इनके चारो ओर
ध्यान में रखें साफ सफाई भोजन पौष्टिक खाना है
आज ये प्रण….
सांस लेने में हो परेशानी,
सुखी खासी हो या बुखार.
देर ना करना थोड़ी सी भी,
जल्दी हीं लेना उपचार
डॉक्टर सारे लगे बचाने,
उनका साथ निभाना है
आज ये प्रण
इसका कारण चीन हीं जाने,
करले चाहे लाख बहाने
लापरवाही एक करें और भुगते सारा जमाना है
आज ये प्रण….
देश भक्ति का फ़र्ज निभाएं
जन्म भुमि का कर्ज चुकाएँ
करोना से जंग में भारत माँ को जिताना है
आज प्रण…
Poem by गीतू हरकुट