Tuesday, November 5, 2024
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ऐसा प्रयोग जो 93 सालो से है जारी, अभी 100 साल और लगने की आशंका

by Vinay Kumar
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माना जाता है कि विज्ञान की कोई सीमा नहीं है और यह सच भी है। वैज्ञानिक अक्सर अपनी खोज के दौरान हर बार कुछ अविश्वसनिय सा ले आते हैं। लेकिन इस बार जो समने आया है वह थोड़ा अलग है। आपको यह जानकर हैरानी होगी ऑस्ट्रेलिया में वैज्ञानिकों द्वारा एक प्रयोग किया जा रहा है जो पिछले 93 साल से चल ही रहा है और बताया जा रहा है कि यह प्रयोग अभी कम से कम 100 साल और चलेगा। यह अब तक का सबसे लंबा चलने वाला प्रयोगा भी है, इसका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्जा है।

1927 में हुई थी प्रयोग की शुरूआत

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आपको बता दें कि पिच ड्रॉप नाम के इस प्रयोगा की शुरूआत 1927 में क्वीसलैंड युनिवर्सिटी के प्रोफेसर थॉमस पर्नेल ने की थी। ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन में स्थित क्वीसलैंड युनिवर्सिटी में थॉमस भौतिकी के पहले प्रोफेसर थे। जिनकी मृ्त्यु 1948 में हो चुकी है। लेकिन अभ भी यह प्रयोगा जारी है।

यह है प्रयोगा

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इस प्रयोग में तार पिच नाम के एक पदार्थ को एक फ्लास्क में रखा गया है और इसकी बूद को गिरने के लिए छोड़ दिया गया है। ज्ञात हो कि पिच एक अत्याधिक चिपचिपा पदार्थ का नाम है जो ठोस दिखाई देता है, लेकिन यह होता लिक्विड है। यह ठीक वैसे ही होता है जैसे कि कोलतार।

तरल पदार्थ नहीं देखा गया गिरते हुए

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यह प्रयोग करने के पीछे शोधकर्ताओं का मकसद ये जानना था कि आखिर तार पिच की एक बूंद कितने समय में नीचे गिरती है। 1927से अब तक यानी 93 साल में इसकी महज नौ बूंदें ही गिरी हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि आज तक इसकी एक भी बूंद फ्लास्क से नीचे गिरते किसी ने नहीं देखी है। एक बार इस एतिहासिक लम्हे को कैद करने के लिए वेब कैमरा भी लगाया गया था, लेकिन आखिरी मौके पर कैमरा ही खराब हो गया था।

9 बूंद गिरी हैं अब तक

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दिसंबर 1938 में तार पिच की पहली बूंद फ्लास्क से नीचे गिरी थी। इसके बाद दूसरी बूंद फरवरी 1947 में (8.2 साल बाद), तीसरी बूंद अप्रैल 1954 (7.2 साल बाद), चौथी बूंद मई 1962 (8.1 साल बाद), पांचवीं बूंद अगस्त 1970 (8.3 साल बाद), छठी बूंद अप्रैल 1979 (8.7 साल बाद), सातवीं बूंद जुलाई 1988 (9.2 साल बाद), आठवीं बूंद नवंबर 2000 (12.3 साल बाद) और नौवीं बूंद अप्रैल 2014 (13.4 साल बाद) में गिरी थी। माना जा रहा है कि अभी फ्लास्क में इतनी तार पिच है कि इस प्रयोग को कम से कम 100 साल तक जारी रखा जा सके।

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