आज के दौर में कौन ऐसा है जो पीरियड्स के बारे में ना जानता हो। पहले जमाने में पीरियड्स को लेकर बहुत सी ऐसी बातें (Periods facts and myths) थीं जो आज के समय में किसी हद तक कम हो गई हैं। लेकिन आज भी पीरियड्स से सम्बंधित कुछ अविश्वसनीय बातें हैं।
पीरियड्स कोई बीमारी या कोई कलंक नहीं बल्कि यह ईश्वर के द्वारा दिया गया स्त्रियों को वरदान है जिसके जरिए से वह बच्चे पैदा करने की शक्ति रखती है।
जिस औरत को पीरियड्स नहीं आता उसके लिए बहुत ही सख्त परीक्षा होती है। उसे समाज बाँझ कहता है। हर औरत का सपना होता है कि वह मां बने। परंतु मां बनने के लिए उसे बचपन से ही मतलब 9 साल से ही पीरियड्स झेलना पड़ता है। पीरियड्स को समाज के कुछ लोग बहुत ही बुरा (Periods facts and myths) समझते हैं और उन्हें अपवित्र मानते हैं।
अगर स्त्रियों के पीरियड्स अपवित्र होते हैं तो फिर समाज भी अपवित्र होता है क्योंकि वह भी उसी खून से पैदा होता है।
समाज में पीरियड्स से सम्बंधित बहुत सी झूठी बातें (Periods facts and myths) मानी जाती हैं। आज हम बात करेंगे पीरियड्स से संबंधित कुछ अविश्वसनीय बातों के बारे में जिनमें कोई भी हकीकत नहीं है।
पीरियड्स से संबंधित सामाजिक अंधविश्वास – Periods facts and myths
हिंदू धर्म में पीरियड्स वाली औरतों को मंदिर में जाने की इजाजत नहीं होती। कुछ स्थानों पर पीरियड्स वाली औरत को एक कमरे में बंद कर दिया जाता है। जिससे वह शरीर के साथ साथ मानसिक तरीके से परेशान हो जाती है। ऐसा करना बहुत ही खराब बात है और ऐसा किसी भी रिसर्च में साबित नहीं हुआ है। अब तक तो यह सिर्फ़ एक झूठी बात (Periods facts and myths) ही है।
हिंदू धर्म में पीरियड्स वाली औरतों को बावर्ची खाने में जाने की इजाजत नहीं होती है। जब तक औरतें पीरियड्स से मुक्ति ना पा लें तब तक वह किचन में नहीं जा सकती और ना ही बर्तनों को छू सकती हैं। यह बहुत ही अपशगुन माना जाता है। यह भी एक पीरियड्स से सम्बंधित एक कुरीति ही है।
पीरियड वाली औरतों को किसी भी पालतू व फायदेमंद जानवर को छूने की इजाजत नहीं। उनके द्वारा छूई गई चीजों को बहुत ही अपशगुन माना जाता है जैसे कि बकरी गाय आदि।
पीरियड वाली औरतें अचार नहीं छू सकती। उनके अचार छूने से यह माना जाता है कि अचार खराब हो जाता है। हालांकि ऐसी कोई बात नहीं है। अचार सिर्फ और सिर्फ गीली चीज़ों से खराब होता है। जबकि पीरियड्स वाली औरतें तो और साफ-सफाई रखती हैं।
मुस्लिम समाज में पीरियड्स वाली औरतों को धार्मिक इबादत करने में अड़चन आती है और वे इबादत नहीं कर पाती।
पीरियड्स वाली औरतों को एक कमरे में रखकर उन्हें पुराने कपड़े दिए जाते हैं और यह कहा जाता है कि वह नए कपड़े ना पहनें। यह सरासर गलत है।
पीरियड्स वाली औरतों का बिस्तर अलग कर दिया जाता है और जब वे नहाती हैं तब उनकी छुई हुई सारी चीजों को धोने के लिए कहा जाता है। यहां तक कि वो जो भी कंघा या बिस्तर इस्तेमाल करती हैं उन सारी चीजों को धोया जाता है।
पीरियड्स वाली औरतों को शीशा देखने के लिए मना किया जाता है। वह अपने महीने के जितनी भी दिन हों शीशा नहीं देख सकती।
यहूदी धर्म में पीरियड्स वाली औरतों से अलग रखा जाता है। पीरियड्स वाली औरतों से संभोग भी नहीं किया जाता। वे पीरियड्स में सेक्स को बहुत बुरा मानते हैं। पुरुष घर के बाहर रहता है जब तक उनकी औरतें नहा ना लें।
इस्लाम धर्म में पीरियड्स को लेकर कई सारी बातें हैं। औरतों को उनकी इबादत करने में रोका जाता है। उन्हें नमाज रोजा करने से मना किया जाता है। यहां तक कि वह कुरान भी नहीं पढ़ सकती।
समाज में कई स्थानों पर पीरियड्स वाली औरतों को कपड़ा यूज़ करने के लिए कहा जाता है। पैड का इस्तेमाल अपशगुन माना जाता है जबकि यह सरासर गलत है। पैड का इस्तेमाल पीरियड्स वाली औरतों के लिए बहुत लाभदायक है और इससे इंफेकशन भी नहीं होता है।
पीरियड्स वाली औरतों को बाहर टहलने घूमने पर भी पाबंदी लगाई जाती है और उनका बाहर घूमना फिरना इस हालत में अपशगुन बताया जाता है।
पीरियड्स वाली औरतों को नहाने के लिए मना किया जाता है। जब तक वह साफ ना हो जाएं तब तक वे नहा नहीं सकती। इस हालत में उनका नहाना अपशकुन माना जाता है।
पीरियड्स वाली औरतों को शिक्षालय जाना अपवित्र और अपशगुन माना जाता था। ऐसी औरतों को शिक्षालय के करीब ही जाना मना होता है।
पहले के समाज में पीरियड्स वाली औरतों का साया किसी मनुष्य पर पड़ना अपवित्र और अपशकुन माना जाता था। ऐसी औरतों को कमरे में बंद कर दिया जाता था। ताकि उसकी छाया या उसकी परछाई किसी भी मनुष्य पर ना पड़े। यदि ऐसा होता है तो वह मनुष्य मर सकता है, ऐसा लोग मानते थे।
पीरियड्स वाली औरतों का बर्तन अलग कर दिया जाता था। बाहर से कोई भी उसे खाना अंदर दे देता था और वह थाली कोई नहीं छूता था।
पीरियड्स वाली औरतों को पानी छूना मना था। इस हालत में वह पानी ना पी सकती थी और ना ही पानी के करीब जा सकती थी ऐसा करना बहुत बुरा माना जाता था।
Conclusion
पीरियड्स कोई समस्या नहीं है बल्कि पीरियड्स हर स्त्री को आता है। पीरियड्स के वक्त में मनुष्य को स्त्रियों का साथ देना चाहिए। घर की दूसरी औरतों को भी स्त्रियों का साथ देना चाहिए बजाय इसके कि उन्हें एक अकेले कमरे में बंद कर दिया जाए।
पहले जमाने में पीरियड्स को लेकर कई सारी धारणाएं बनाई जाती थी और स्त्रियों पर जुल्म किया जाता था। आज जागरूकता आ गई है। आज पीरियड्स के बारे में कई सारे टीवी चैनल्स में इसके बारे में जानकारी दी जाती है। उसके अलावा कई सारे वीडियो, ब्लॉग, आर्टिकल वगैरह लिख लिख कर लोगों के अंदर जागरूकता पैदा की जा रही है। ताकि वह अविश्वसनीय बातों से दूर रहें और एक अच्छे नागरिक बन कर स्त्रियों का साथ दें और उन्हें अपनाएं। पीरियड्स वाली औरतों का सम्मान करना चाहिए ना कि उन पर पाबंदियाँ लगाना चाहिए।
इस लेख में हमने पीरियड्स से संबंधित कुछ सामाजिक कुरीतियों के बारे में चर्चा की है। हम आशा करते हैं कि यह लेख जागरुकता फैलाने में अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। लेख से संबंधित सवालों और सुझावों को आप कॉमेंट बॉक्स लिखकर हमसे शेयर कर सकते हैं।
Corona के दौर में बढ़ाएँ इम्यूनिटी