देशभर में रविवार को पहली बार केन्द्रीय आयुष मंत्रालय की ओर से प्राकृतिक दिवस मनाया जा रहा है। प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति (नेचुरोपैथी) को बढ़ावा देने के लिए इस दिन को हर साल मनाने का फैसला लिया गया है। नेचुरोपैथी में रोग को ठीक करने के साथ ही उसे शरीर से खत्म करने पर ध्यान दिया जाता है। इस चिकित्सा पद्धति में पूरी तरह से प्रकृति में मिलने वाली चीजों का इस्तेमाल कर अलग-अलग रोगों का उपचार किया जाता है। ऐसे ही एक उपचार का तरीका है मड थेरपी, जो कई रोगों के लिए रामबाण इलाज है।
मिट्टी प्रकृति के पांच मुख्य तत्वों में से एक है, जिसके इस्तेमाल से स्वास्थ्य को सुधारने और बीमारी को ठीक करने में मदद मिलती है। मड थेरपी के लिए जमीन में 3 से 4 फीट गहराई में मिलने वाली मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है। उपयोग से पहले इसे अच्छे से साफ किया जाता है ताकि इसमें पत्थर या किसी अन्य प्रकार की अशुद्धि न रह जाए।
मड थेरपी के फायदे और इस्तेमाल
मिट्टी से की जाने वाली थेरपी के कई फायदे हैं। इसकी मदद से बॉडी हीट, सिरदर्द, अपच, हाई बीपी जैसी कई बीमारियों को ठीक करने में मदद मिलती है। यदि आपको सिरदर्द हो रहा है तो पानी के साथ मिट्टी को मिलाकर माथे पर लगाएं। इसे करीब आधे घंटे तक लगे रहने दें, इससे आपको सिरदर्द में तुरंत राहत मिलेगी।
अपच या कब्ज की परेशानी है तो मिट्टी के पैक को पेट पर लगाएं। इसे 20 से 30 मिनट तक लगे रहने दें। लगातार इस्तेमाल से आपकी पेट से संबंधित समस्या दूर हो जाएगी। कहा जाता है कि महात्मा गांधी भी पेट को ठीक रखने के लिए मड थेरपी का सहारा लेते थे।
कई लोगों को बॉडी हीट की समस्या होती है। इस स्थिति में उन्हें हाथों में या शरीर में जलन का अनुभव होता है। इस परेशानी को दूर करने के लिए बेस्ट तरीका मड थेरपी है। मिट्टी बॉडी हीट को अब्जॉर्ब करती है, इससे व्यक्ति को तुरंत राहत का अनुभव होता है।
मिट्टी शरीर के टॉक्सिक को अब्सॉर्ब करती है इससे त्वचा से संबंधित रोग दूर हो जाते हैं। लंबे समय से चली आ रही स्किन ऐलर्जी की समस्या भी मड थेरपी के जरिए दूर की जा सकती है।