Friday, November 22, 2024
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खरमास के महीने में धार्मिक कार्य ना करने का विधान

by Divyansh Raghuwanshi
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खरमास का महीना हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता। हिंदू धर्म के अनुसार मांगलिक कार्य ना करने की सलाह इसम महीनेमें दी जाती है।

1 महीने तक चलने वाला खरमास का महीना सभी शुभ कार्यों के लिए प्रतिबंधित माना जाता है। खरमास के महीने में शास्त्रों के अनुसार शुभ कार्य नहीं किए जाते। इसमें मुुुख्य शादी,सगाई, नए घर में प्रवेश, मुंडन जैसे कार्य माने गए हैं।

शुभ कार्य ना करने का कारण

सूर्य जब बृहस्पति की राशियों धनु और मीन में प्रवेश पाता हैै, तो खरमास लग जाता हैै। इससे सूर्य के कारण बृहस्पति निस्तेज होते हैं। इस कारण से खरमास में शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है। सूर्य जब गुरु की राशियों में रहता है, तो गुरु का प्रभाव कम हो जाता है। जब भी हम कोई शुभ कार्य करते हैं, तो गुरु का प्रबल होना आवश्यक होता है। 

गुरुजीवन में सुख और संतान का प्रतीक माना जाता है। इस कारण से खरमास को शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं माना जाता। ज्योतिष के अनुसार ग्रहों की चाल और उनकी स्थिति का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर होने वाली सभी घटनाओं पर पड़ता है। व्यक्ति के जीवन में जो भी लाभ और हानि होती है, वह सभी ग्रहों की चाल और दशा पर निर्भर करती है। खरमास के महीने में हर प्रकार के व्यसनों से दूर रहना चाहिए। मन को शांति रख कर अच्छे विचारों के साथ जरूरतमंदों की मदद करना चाहिए।

खरमास में सूर्य का गुरु राशि में गोचर होने के कारण पूजा-पाठ और मंत्र जैसे कार्य करना फलदाई बताया गया है। अनुष्ठानों से जुड़े कर्म को पितरों से संबंधित श्राद्ध कार्य करना अनुकूल माना जाता है। खरमास के महीने में ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके पूजन पाठ करने का विशेष महत्व बताया गया है।

खरमास का महत्त्व

धार्मिक दृष्टि से खरमास महीने का विशेष महत्व माना गया है। खरमास का महीना सूर्य का राशि परिवर्तन का होता है। सूर्य वृश्चिक राशि से धनु राशि में प्रवेश करेगाा। इस राशि परिवर्तन को धनु संक्रांति कहा जाता है। जब यह सूर्य मकर राशि में आ जाता हैै, तो मकर संक्रांति कहलाता है और तभी खरमास का भी समापन हो जाता है। सूर्य सभी 12 राशियों का भ्रमण करते हुए बृहस्पति की राशियों धनु और मीन में प्रवेश करता है तो 1 महीने का खरमास लग जाता है।

खरमास के समय कोई भी शुभ कार्य नहीं होता लेकिन पूजा-पाठ और दान पुण्य का विशेष महत्व रहता है। भगवान श्री कृष्ण और सूर्य देव की विशेष पूजा खरमास के महीने में लाभ देती है। शारीरिक रोगों से मुक्ति पाने के लिए खरमास के महीने में पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना, भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए।

धार्मिक दृष्टि से खरमास के महीने में दान पुण्य का भी विशेष महत्व माना गया है। साधु संतों की सेवा करना चाहिए। खरमास के महीने में जो भी एकादशी पड़ती है, उन पर विशेष रूप से व्रत और भगवान श्री कृष्ण की आराधना करना चाहिए। खरमास के महीने में पीपल की पूजन करने का भी विशेष महत्व माना गया है।

 

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