उनाकोटि त्रिपुरा की काफी रहस्यमयी जगहों में से एक मानी जाती है। आज भी इसके कई रहस्यों को लोग सुलझा नहीं पाए हैं।
यहां पर दूर-दूर तक घने जंगल फैले हुए हैं और नदियों में बहते हुए पानी की आवाज काफी सुंदर लगती है। पूर्वोत्तर भारत में इस रहस्य को सबसे बड़े रहस्य में जाना जाता है। इस स्थान की खोज होने से पहले यह कई सालों तक अज्ञात स्थिति में रहा था।
वर्तमान समय में इस स्थान को बहुत कम लोग जानते हैं और जो लोग जानते हैं वह रहस्य के डर से यहां पर आते नहीं हैं। ‘उनाकोटि’ स्थान जितना रहस्यमयी है, उतना ही दिलचस्प स्थान है क्योंकि यहां पर घने जंगल के बीच मूर्तियों और शैल चित्रों का बहुत बड़ा भंडार है। कई लोग इस जगह को इतिहास से भी जोड़कर देखते हैं।
इस स्थान की खोज होने के बाद कई शोधकर्ताओं ने अपने शोध किए थे। उन शोध के अनुसार माने तो यह स्थान पौराणिक काल की एक विशेष घटना से जुड़ा हुआ है। इसी घटना के कारण यह एक रहस्यमय स्थान है। आज हम इस लेख के माध्यम से आपको ‘उनाकोटि’ से जुड़े विभिन्न बातों को बताएंगे जिनको आपने शायद ही कभी सुना हो।
उनाकोटि की विशेष बात
इस स्थान की सबसे विशेष और रहस्यमयी बात यह है, कि यहां पर असंख्य छोटी बड़ी और अजीबोगरीब मूर्ति पाई गई हैं। यह सभी मूर्तियां भारत के प्रसिद्ध हिंदू धर्म से संबंधित है। यह स्थान त्रिपुरा राज्य की राजधानी (अगरतला) से 125 किलोमीटर दूर है। उनाकोटि में दलदली इलाके बहुत ज्यादा है और पहाड़ी इलाके भी हैं। शोधकर्ताओं के लिए यह स्थान काफी रहस्य का विषय बना हुआ है क्योंकि इसके निकट कोई बसावट नहीं है, तो इतनी देवी देवताओं की मूर्तियां का ऐसे जटिल इलाके में निर्माण कैसे संभव है। कई विशेषज्ञों ने इन मूर्ति निर्माण के संबंध में कई पौराणिक तथ्य भी बताए हैं।
अनोखी मूर्तियों का निर्माण
उनाकोटि में वैसे तो कई प्रकार की मूर्तियां हैं जैसे कुछ लंबी, कुछ चौड़ी इत्यादि लेकिन विशेष रूप से यहां पर दो प्रकार की मूर्तियां दिखाई पड़ती हैं। एक पत्थरों पर उकेरी गई मूर्तियां और दूसरी पत्थरों को काटकर बनाई गई मूर्तियां। यहां पर जितनी मूर्तियां अभी तक खोजी गई हैं, उनमें से लगभग सभी हिंदू धर्म से संबंधित हैं। यहां हिंदू धर्म के देवी देवताओं की मूर्ति मिली है जैसे देवी दुर्गा, गणेश भगवान, भगवान कृष्ण, भगवान विष्णु, भगवान शिव। इस स्थान की सबसे खास बात यह है, कि जहां पर सबसे अधिक मूर्तियां हैं वहां पर केंद्र में भगवान शिव जी की एक बहुत बड़ी प्रतिमा भी उपस्थित है। इस विशालकाय मूर्ति को उनाकोटेश्वर के नाम से भी जाना जाता है।
भगवान शिव जी की मूर्ति की ऊंचाई 30 फुट है। भगवान शिव जी के अलावा अन्य दो मूर्तियां भी हैं। इसके अलावा तीन विशालकाय नंदी की मूर्तियां भी हैं। इन मूर्तियों का डिजाइन इतना आकर्षित है, कि जो एक बार देखता है वह देखते ही रह जाता है।
इस स्थान पर भगवान गणेश की अलग-अलग आकृतियों को देखा जा सकता है। किसी मूर्ति में दो भुजाएं हैं, तो किसी मूर्ति में चार भुजाएं हैं। एक से दो मूर्तियां तो आठ भुजाओं वाली भी हैं। लोग इस स्थान को देखते ही अचरज में पड़ जाते हैं।