आज हम इस लेख में आपको ऐसी रहस्यमयी कहानी के बारे में बताएंगे जो कि मध्यप्रदेश के छोटे से शहर मैहर की है। मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्रों में दावा किया जाता है, कि आल्हा ऊदल आज भी जिंदा है। यह कहानी है पूरे भारत में प्रचलित महान योद्धा आल्हा और उदल की। इनका इतिहास 900 साल पुराना है। चलिए तो इस रहस्य के बारे में और अधिक विस्तार से जानते हैं तो दिल थाम के बैठ जाइए।
मां मैहर देवी की पूजा आज भी सबसे पहले आल्हा ऊदल करते हैं।
ऐतिहासिक कहानियों का एक ऐसा किरदार जिनकी वीरता के गुण आज भी प्रसिद्ध है। सवाल है क्या इस कलयुग में कोई मनुष्य अमर हो सकता है? क्या कोई इंसान 900 साल तक जिंदा रह सकता है? इन सवालों के जवाब आज भी एक रहस्य है। ऐसा माना जाता है, कि मैहर देवी (हिंदू धर्म की प्रचलित देवी मानी जाती हैं) की पूजा आज भी सबसे पहले आल्हा उदल करते हैं। अगर ऐसा है, तो फिर क्या आल्हा ऊदल अमर है? आगे हम इस लेख में इन्हीं प्रश्नों का उत्तर देते हुए रहस्य के बारे में बताएंगे।
आल्हा और ऊदल
यह दोनों 12 वीं शताब्दी के चंदेल राजा के सेनापति थे जिनके बाहुबल और पराक्रम कि आज भी मिसाल दी जाती है। सवाल यही है, कि कलयुग में किसी इंसान के अमर होने का दावा कैसे हो सकता है। क्यों इस इलाके में आज भी आल्हा और उदल की मौजूदगी के दावे किए जाते हैं। यहां के लोगों का मानना है कि कोई सुबह-सुबह मां के दरबार में माँ के स्नान, कमल के ताजे व् अद्भुत फूल, दीपक जला हुआ तथा मां का पूजा अर्चन किया हुआ मिलता है। यह सब अविश्वसनीय है जिसे झुटलाया नहीं जा सकता।
मन्दिर के पुजारी व सारी रिपोर्टो का दावा
रात्रि में मां शारदा के पूजन के बाद उनके शयन की तैयारी कर सारे दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। ताले लगा दिए जाते हैं और मंदिर में गार्ड के अलावा कोई भी नहीं रुकता सभी लोग मंदिर के बाहर चले जाते हैं। मंदिर का प्रमुख द्वार भी बंद कर दिया जाता है। सुबह की पहली किरण के साथ जब मंदिर की पहली आरती के लिए गर्भ ग्रह के पट खोले जाते हैं, तो बहुत सी असामान्य और अविश्वसनीय चीजें सामने आती हैं। वहां के आसन में सिलवटें मां के चरणों में ताजे अद्भुत फूल मां का श्रृंगार और दीपक वाति जले हुए मिलते है।
जबकि वहां के पंडित का बोलना है, कि रात्रि में आरती के बाद मां का श्रृंगार भी उतार दिया जाता है और वहां की सारी साफ सफाई कर दी जाती है। इसके साथ मां की आरती कपूर से ही होती है और वहां सुबह पठ खुलने के बाद दीपक बाती जले हुए पाए जाते हैं। श्रृंगार बदला हुआ मिलता है। सभी लोगों का मानना है, कि आल्हा ऊदल यहाँ सबसे पहले पूजा अर्चन करके जाते है।
यह सारे सवाल एक रहस्य बनकर ही रह गए हैं। इनके जवाब किसी के पास नहीं है। परंतु यह सब झुठलाया लाया नहीं जा सकता।