श्री कृष्ण से कितना कुछ छूटा…
पहले माँ छूटी…फिर पिता छूटे!
फिर जो नन्द यशोदा मिले वे भी छूटे,
संगी साथी छूटे, राधा भी छूटी…
गोकुल छूटा फिर मथुरा छूटी!
श्री कृष्ण से जीवन भर कुछ न कुछ छूटता ही रहा।
नहीं छूटा तो देवत्व मुस्कान और सकारात्मकता,
श्री कृष्ण दुःख नहीं उत्सव के प्रतीक हैं,
सब कुछ छूटने पर भी कैसे खुश रहा जा सकता है।
यह श्री कृष्ण से अच्छा कोई यहीं सीखा सकता;
इसीलिए हमेशा खुश रहें और सदा मुस्कुराते रहें ।