अपनो की मौत पर तलवार नहीं,
विल निकलो इन्साफ करो।
जो मेहनत से बनाया है आशियाना,
उसका बिखर ना जाए ताना बना।
कहीं अपने ना हो जायें बेगाने,
इसका समय से इंतजाम करो ।
कहे ‘अजय’ एक दिन है सबको जाना,
फिर क्यों अपनो को परेशान करो।
आज ही वो इन्तजाम करो,
सब काम समय से तमाम करो।
छोड जायो गठरी प्रेम की,
जग में रोशन अपना नाम करो।
*अधिवक्ता डॉक्टर अजय पांडेय