आज हम ऐसे गांव के बारे में आपको बताएंगे जिनके रहस्य को जानकर आप चौक जायेंगे। आपने कभी भी ऐसी बातों को नहीं सुना होगा, तो दिल थाम के पढ़िएगा। यह गांव ऐसे रहस्यों से भरे हुए हैं, जो इस पूरी दुनिया में कहीं नहीं मिलते है। वह केवल इन अद्भुत जगहों पर होता है। इन गांवों की कहानी को आप एक बार पढ़ेंगे तो दंग रह जाएंगे। चलिए तो फिर जानते हैं इन गांवों के बारे में-
मलाणा गांव
यह गांव बहुत ही रहस्यों से भरा हुआ है। इसके बारे में आप जानकर दंग रह जाएंगे। यह गांव हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में बसा हुआ है। इस गांव में कुछ भी छूने की इजाजत नहीं होती है। दरअसल इस गांव के निवासी अपने आप को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं। इस गांव के निवासियों का मानना है, कि कुछ भी छूने से हमारे देवी देवता बुरा मानते हैं। यहां की भाषा कई भाषाओं के मिश्रण से बनी हुई है। इस गांव के निवासी भारत के संविधान को भी नहीं मानते हैं। इस गांव के नियम कानून अलग बने हुए हैं। लोग इन्हीं नियम कानून का पालन करते हैं। यह गांववाले अपने आप को सिकंदर वंश के वंशज मानते हैं। और यहां पर आने वाले पर्यटकों को इस गांव में रात को नहीं रुकने दिया जाता है। पर्यटकों को इस गांव के बाहर रोका जाता है।
टिल्टेपक गांव
यह टिल्टेपक गांव भारत का एक जनजातीय क्षेत्र वाला गांव है। इस गांव में जोपोटेक नाम से जनजातीय लोग निवास करते हैं। इस गांव का रहस्य यह है, कि यहां के लगभग सभी लोग के साथ-साथ यहां पर निवास करने वाले सभी पशु-पक्षी भी अंधे होते हैं। यहां जन्म से तो लोग सही पैदा होते हैं परंतु धीरे-धीरे अंधे हो जाते हैं। वैज्ञानिकों ने अपने शोध में यह पाया है, कि यहां पर एक जहरीली मक्खी पाई जाती है जिसके काटने से सबसे पहले असर आंखों पर होता है जिसके कारण लोग अंधे हो जाते हैं। और यहां की एक और खासियत यह है, कि यहां के सभी घरों में एक भी खिड़कियां नहीं होती है क्योंकि यहाँ के सभी लोग अंधे होते हैं। इसलिए सूरज की रोशनी की आवश्यकता ही नहीं पड़ती है। इस कारण से घरों की खिड़कियां नहीं होती है।
मत्तूर गांव
मत्तूर गांव यह कर्नाटक का एक छोटा सा गांव है, जो कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से लगभग 300 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां के हिंदू-मुस्लिम दोनों ही जाति के लोग संस्कृत भाषा में बातचीत करते हैं। यहां के छोटे बच्चे तथा बड़े दोनों ही लोग, सभी जाती के लोग केवल एक ही भाषा का उपयोग करते हैं, जोकि संस्कृत भाषा है। इस गांव में कन्नड़ भाषा को नहीं बोला जाता है। गांव वालों का मानना है, कि काफी लंबे समय से ही इस गांव में संस्कृत बोली जाती है। इस कारण से सभी लोगों को केवल संस्कृत भाषा ही आती है।
ऐसा ही एक मध्यप्रदेश का भी गांव है जहां केवल लोग संस्कृत में ही बात करते हैं। यह गांव राजगढ़ जिले में स्थित है जिसका नाम झिरी है। इस गांव के लगभग 70% लोग संस्कृत में अपने विचारों का आदान प्रदान करते हैं। इस गांव को संस्कृत भाषा में बातचीत करते देखकर आप हैरान रह जाओगे। इस गांव में लगभग 80% ब्राह्मण निवास करते हैं।