‘मॉम’ यानि मां, मम्मी, आई, अम्मी. आप इन शब्दों से तो रू-बरू होंगे ही. जो अपने बच्चों का खोया सुकून वापस लाने के लिए, बच्चों का प्यार पाने के लिए वो किस हद तक जा सकती है इसकी कोई लिमिट नहीं है. बॉलीवुड एक्ट्रेस श्रीदेवी की इस फिल्म में भी कुछ ऐसा ही है. आज सिनेमाघरों में उनकी फिल्म मॉम आज रिलीज की गई है. आपको बता दें कि श्रीदेवी की 300वीं फिल्म ‘MOM’ एक क्लासरूम से शुरू होकर बर्फ के मैदान में खत्म होने वाली एक इमोशनल जर्नी है. ये फिल्म मां और बेटी के प्यार पर आधारित है. फिल्म में दिखाया गया है कि मां कैसे अपने बच्चे को प्यार करती है और उसके लिए कैसे दुनिया से लड़ती है. रवि उद्यावार के निर्देशन में बनी फिल्म मॉम से पहले 2012 में आई श्रीदेवी की फिल्म इंग्लिश-विंगलिश से इस फिल्म में उनका किरदार थोड़ा अलग है. आगे जानें फिल्म की कहानी….
फिल्म की कहानी
एक मां जो अपनी बेटी का बदला लेने के लिए दुर्गा का अवतार ले लेती है. लेकिन यह एक सौतेली मां और उसकी बेटी की कहानी है. जो अपनी सौतेली मां को मैडम कहकर बुलाती है. हर परिवार में कोई ना कोई समस्या जरूर होती है. आपसी रिश्तों के ताने बाने संभालने के बीच अगर कोई बड़ी दुर्घटना हो जाए तो परिवार बिखर भी सकता है या एक भी हो सकता है. लेकिन फिल्म में सिर्फ इतना ही नहीं है. एक स्कूल का लड़का है जो लड़की को क्लास में बैठे-बैठे ‘गंदे वीडियो’ भेजता है. पार्टी में लड़की उसके साथ डांस करने से मना कर देती है तो अपने भाई और उसके दोस्तों से साथ मिलकर लड़की को उठा ले जाता है. कई बार लड़की का रेप करने के बाद उसे नाले में फेंक कर चला जाता है. लड़की की ‘ना’ और उसकी मां/ बायोलॉजी टीचर ने की उसकी बेइज्जती उसके ईगो को इस कदर हर्ट कर देती है कि रेप करते वक्त वो बार-बार कहता है, ‘बुला अपनी मां को’. फिर मां आती है और ऐसे आती है कि कोई नपुंसक बन जाता है तो किसी को लकवा मार जाता है.
इस फिल्म में दिल्ली है, असुरक्षित बच्चे हैं, परिवार का बिखरना फिर भी साथ होना है, बदला है, एक मां है लेकिन इस फिल्म में नया कुछ भी नहीं है.
फिल्म का ट्रीटमेंट शानदार है. फिल्म के ख़ूबसूरत सीन दर्शकों तक पहुंचाने के लिए निर्देशक ने डायलॉग्स और म्यूजिक का मोह त्यागकर फिल्म को एक अलग स्तर दे दिया है.
फिल्म से जुड़े कुछ पहलू
निर्देशक रवि उदयवार प्रभावी सीन गढ़ने में खासे सफल रहे हैं. बैकग्राउंड स्कोर की मदद व कैमरे के एरियल शॉट ने उसे और निखारा है.
श्रीदेवी, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, सजल अली और अदनान सिद्दीकी की सधी हुई अदाकारी ‘मास ऑडिएंस’ में भावनाओं का ऊफान आसानी से ला सकती है.
ऐसी फिल्मों में तालियां बटोरने की सबसे ज्यादा क्षमता होती है. यह बात अलग है कि ‘आंख के बदले आंख’ इस दुनिया को अंधा बना सकती है.
रेप का सीन जिस तरह से शूट किया गया है वो वाकई बहुत सेंसिटिव है. 4 गुंडों ने आर्य को कार में ठूंस दिया है. इसके बाद पूरा सन्नाटा. चार चली जा रही है. स्ट्रीट लैंप की रौशनी में. ड्रोन वाइड एंगल में ड्रोन कार के ऊपर चल रहा है. सिर्फ एक ही आवाज आ रही है जो आपके दिमाग की आवाज से साथ सिंक कर रही है.
कुफ्री में बर्फ के बीच शूट हुए सीक्वेंस सपनों की दुनिया जैसे लगते हैं. बैक ग्राउंड में लीजेंड एआर रहमान का म्यूजिक इन सीन्स में जान भर देता है.