माइक्रोसॉफ्ट कंपनी में काम कर रहे वर्कर्स के लिए एक बुरी खबर है. जी हां कंपनी बड़े स्तर पर पुनर्गठन करने में जुटी है, जिसके चलते कंपनी वैश्विक वर्क फोर्स में करीब 3000 कर्मचारियों की छंटनी कर सकती है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, माइक्रोसाफ्ट का कहना है कि कंपनी अपने उपभोक्ताओं एवं भागीदारों को बेहतर सेवा मुहैया कराने के लिए ये बदलाव कर रही है.
खबरों के मुताबिक भारतीय नागरिक सत्या नडेला के नेतृत्व वाली कंपनी के पुनर्गठन के तहत होने वाली छंटनी में बिक्री विभाग पर सर्वाधिक असर पड़ने की संभावना है, और साथ ही करीब 3000 नौकरियों की कटौती की जायेगी.
सूत्रों के मुताबिक माइक्रोसाफ्ट के अमेरिका में 71000 वर्कर हैं और विश्वभर में इनकी संख्या 1,21,000 है. वहीं माइक्रोसॉफ्ट के एक प्रवक्ता के हवाले से कहा गया है कि कंपनी अपने उपभोक्ताओं एवं भागीदारों को बेहतर सेवा मुहैया कराने के लिए ये बदलाव कर रही है.
हम आपको बता दें इस साल की शुरुआत से ही बड़ी कंपनी के वर्कर्स की नौकरी को जैसे ग्रहण सा लग गया है. एक के बाद एक बड़ी Tech कंपनियां नौकरियों में कटौती की तैयारी में जुटी हैं. वहीं बात करें भारत में दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस, कॉग्निजेंट, विप्रो और टेक महिंद्रा ने अपने सैंकड़ों कर्मचारियों की छुट्टी करने की योजना बना रखी है. खबर है कि ये कंपनियां सालाना परफॉर्मेंस रिव्यू के नाम पर कर्मचारियों की छंटनी कर सकती है.
गौरतलब है कि इस साल के अप्रैल महीने में विप्रो ने सालाना परफॉर्मेंस अप्रेजल के बहाने तकरीबन 600 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया था. जहां कंपनी ने इसका कारण सिर्फ कर्मचारियों का ‘खराब प्रदर्शन’ बताया था. की गई गणना के मुताबिक अकेले भारत में हर साल करीब 8 लाख इंजीनियर्स पास आउट होते हैं. इनमें से इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रिकल, सिविल और मैकेनिकल स्ट्रीम में इंजीनियरिंग करने वाले छात्र भी अपने स्ट्रीम में नौकरी नहीं मिलने के कारण आईटी की तरफ झुकाव रखते हैं. ऐसे में यह एक अहम सवाल है कि आने वाले कुछ दिनों में इंजीनियर्स को नौकरी के लिए किस फील्ड को चुनना सही रहेगा.