भारत की जानी-मानी मसालों की कंपनी एम.डी.एच ग्रुप के मालिक धर्मपाल की का हाल ही में निधन हो गया है।
वह भारत की जानी-मानी मसाला कंपनी एम.डी.एच यानि महाशिया दी हट्टी के मालिक थे। उन्होंने अपने मसालों के जरिए भारत को पूरी दुनिया में पहचान दिलाई।
उन्होंने 97 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। पिछले साल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा उन्हें उद्योग जगत और व्यापार में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए पद्म भूषण से नवाजा गया था। उनकी तनख़ाह 25 करोड़ थी और वो अपनी कंपनी के सीईओ थे।
हाल ही में वह कोरोना से ठीक हुए थे। कोरोनावायरस से ठीक होने के बाद हार्ट अटैक से उनका दुर्भाग्यपूर्ण निधन हुआ। इतनी उम्र होने के बाद भी वह अपने मसालों का विज्ञापन स्वयं करते थे। उन्हें सफेद मूंछ और लाल पगड़ी से पहचाना जाता था। साथ ही उन्होंने 2017 में एफएमसीजी सेक्टर में कमाई के मामले में सबसे ज्यादा कमाई करने वाले सीईओ थे।
उस समय की उनकी सैलरी की बात की जाए हो यह 20 करोड़ हुआ करती थी। हालांकि, इसमें से 90% वह दान कर दिया करते थे। धर्मपाल जी पाकिस्तान के सियालकोट में जन्मे थे और उन्होंने केवल पांचवी कक्षा में पढ़ाई छोड़ दी और 10 साल की उम्र से वह काम में जुट गए थे।
सकारात्मक लोगों को रखते थे अपने पास
जी तोड़ मेहनत से महाशय गुलाटी ने दो हजार करोड़ का एमडीएच मसाला कारोबार खड़ा किया। इतनी उम्र होने के बाद भी उनका कारोबार बड़े अच्छे तरीके से काम कर रहा था। उनकी मेहनत और वक्त की पाबंदी से वह यह सब हासिल कर पाए थे। उनके रहन-सहन में 5:00 बजे उठने से लेकर योग, मालिश करवाना और पार्क में सैर करने जैसे नियम शामिल थे। इसके अलावा वह भोजन में सब्जी दो चपाती और दाल खाया करते थे, साथ में उनकी कोई बुरी लत भी नहीं थी।
वह समय पर सुबह 9:00 बजे फैक्ट्री चले जाते थे। इसके अलावा सभी काम भी उनकी निगरानी में ही होते थे और इस उम्र में भी 18 घंटे काम किया करते थे। हमेशा खुश रहना उनके स्वभाव में शामिल था और इसी तरह की लोग भी वह अपने पास रखते थे। वह हमेशा सकारात्मक स्वभाव वाले लोगों को अपने आसपास रखा करते थे। कई लोग उनसे मिलने आते थे और जिसे वह समय देते थे वह उनके साथ घंटों बातें करके जाता था।
अन्य खास बाते
धर्मपाल जी ने पांचवी से पढ़ाई छोड़ दी और इसके साथ ही वह मसालों के पुश्तैनी कार्यों में लग गए थे। वो केवल 15 ₹100 लेकर परिवार के साथ भारत और गए और इसके बाद वह दिल्ली में स्थित करोल बाग में बस गए थे। उन्होंने 650 रुपए का तांगा खरीदा और इसी से वह परिवार की जीविका चलाया करते थे। पुनः इसके बाद उन्होंने मसालों का कार्य शुरू किया था। उनकी इच्छाशक्ति मजबूत थी और उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से एमडीएच को शिखर तक पहुंचा दिया। महाशय धर्मपाल जेके ट्रस्ट भारत में कई धार्मिक और सामाजिक संस्थाएं चलती हैं जिसमें लगभग 70 संस्थाएं संचालित हो रही हैं।