Saturday, April 19, 2025
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मकर सक्रांति का महत्व

by Divyansh Raghuwanshi
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मकर सक्रांति हिंदू धर्म का विशेष पर्व है जिसमें सूर्य देवता की पूजन की जाती है। मकर सक्रांति पर भगवान सूर्य उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं।

इसदिन पवित्र नदियों में स्नान करके सूर्य पूजन और जरूरतमंद लोगों को दान देने की परंपरा है। मकर सक्रांति के दिन दिया गया दान हमें कई गुना वापस मिलता है। मकर सक्रांति के दिन सूर्य के उत्तरायण होने से देवताओं ने दिन की शुरुआत की थी। खरमास आने के कारण शुभ कार्य बंद हो जाते हैं। मकर सक्रांति के बाद से गृह प्रवेश विवाह और नए व्यापार आदि शुभ मुहूर्त शुरू हो जाते हैं।

मकर सक्रांति का प्राचीन महत्वmaxresdefault 10 1

14 जनवरी को मकर सक्रांति का विशेष पर्व मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इस पर्व का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति के दिन गंगा जी भागीरथ ऋषि के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम आई थी। प्राचीन काल से ही सूर्य के उत्तरायण होने से देवताओं ने दिन की शुरुआत इस दिन से की थी।

महाभारत में भीष्म पितामह ने अपनी इच्छा मृत्यु के लिए उत्तरायण काल को ही चुना था। सूर्य के उत्तरायण होने से मनुष्य की कार्य क्षमता में वृद्धि होती है। तिल और गुड़ से बनी चीजों का सेवन और दान करना चाहिए। मकर सक्रांति पर तिल का दान करना चाहिए। इस दिन तिल का दान करने से बहुत पुण्य मिलता है। सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस दिन तिल का दान करने से अनजाने में किए गए पाप खत्म हो जाते हैं और हमारे पुण्य बढ़ते हैं। मकर संक्रांति से सूर्य की किरणें सेहत और शांति बढ़ाते हैं।

मकर संक्रांति पर दान का महत्वIMG 20210110 002157

मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने और दान देने का विशेष महत्व है। भारत के राज्यों में इस पर्व को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। पंजाब और जम्मू-कश्मीर में मकर संक्रांति को लोहड़ी के नाम से जाना जाता है। तमिलनाडु में मकर संक्रांति पोंगल के नाम से जानी जाती है जबकि उत्तर प्रदेश और बिहार में खिचड़ी पर्व के नाम से इस संक्रांति को जाना जाता है।

इस दिन दान करने का विशेष महत्व है गरीब और जरूरतमंद को कपड़े, तिल और भोजन का दान करना शुभ माना जाता है। मकर संक्रांति के विशेष पर्व पर सूर्योदय से पहले पवित्र नदियों में स्नान करना अच्छा माना जाता है।  कहा जाता है, कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से शरीर के साथ-साथ मन भी शुद्ध हो जाता है। इस दिन दिए गए दान से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।

सूर्य देवता को प्रसन्न करने के लिए यह विशेष पर्व है। इस दिन लोग पतंगबाजी करते हैं। सभी लोग बड़े उत्साह के साथ अपने रिश्तेदारों के साथ मिलकर पतंग महोत्सव में भाग लेते हैं। खिचड़ी और तिल के बनी व्यंजन खाकर मेल मिलाप करते हैं। इस पर्व को मिलन पर्व के रूप में भी जाना जाता है। इस पर्व पर शरीर की शुद्धि के साथ-साथ मन की भी शुद्धि की जाती है। इस पर्व को सभी लोगों को उत्साह और आनंद के साथ मनाना चाहिए।

 

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