वैसे तो हिंदी हमारी मातृभाषा है इसमें कोई दो राहे नहीं है। हमें हमेशा अपनी मातृभाषा का ही प्रयोग करना चाहिए। लेकिन आज के युग में इंग्लिश सीखना उतना ही जरूरी हो गया है जितना की बच्चे के लिये स्कुल जाना।
हर फील्ड में इंग्लिश आना बहुत ही जरूरी हो गया है। इसलिए हमें इंग्लिश भी उतनी ही अच्छी तरीके से आने चाहिए जितनी हिंदी। इसीलिए हम आपके लिए कुछ ऐसे आसान तरीके लेकर आए है, जो आपकी मदद करेंगे इंग्लिश सीखने में। जो लोग बहुत ही कमजोर होते हैं इंग्लिश में उनकी शुरुआत के लिए यह सारे उपाय बहुत ही कारगर सिद्ध होगें।
जिस तरीके से एक बच्चा पहले सबको सुनता है, फिर बोलता है, स्कूल जाता है और पढ़ता है, फिर वह सोचता है और फिर लिखना सीख जाता है और लिखने लगता है। उसी तरीके से इंग्लिश सीखने का भी कुछ यही तरीका है जो मैंने बनाया है। इस तरीके से हम अपनी इंग्लिश को सुधार सकते हैं।
सुनना
सबसे पहले सुनना। इंग्लिश सीखने के लिए हमें इंग्लिश न्यूज़-पेपर, (मोटिवेशनल स्पीच) प्रेरणादायक भाषण, जीवनी। यह सभी को इंग्लिश में सुनना चाहिए और इन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
इंग्लिश में बोलना एवं पढ़ना
आप सबसे पहले आपसे जैसे भी बने टूटा-फूटा इंग्लिश में बोलना शुरू करो। जैसा भी बोलो पर बोलो। कोई एक अपना साथी ढूंढ लो जो आपसे इंग्लिश में बात कर सके। हमें इस बात से डरना नहीं है, कि हम गलत बोल रहे हैं बल्कि हमें सिर्फ बोलना शुरू करना है। शुरुआत और लगातार मेहनत से ही हमें सफलता प्राप्त होती है।
◆ हमें छोटे-छोटे वाक्यों से शुरुआत करनी चाहिए। क्रिकेट की कमेंट्री जैसे हमें अपने वाक्यों को बोलना चाहिए। इससे हमारी इंग्लिश और भी ज्यादा अच्छी होती है।
◆ हमें अपना कोई भी काम करते वक्त उसी काम के बारे में इंग्लिश में बोल सकते हैं। यह भी हमारी मदद करेगा इंग्लिश सीखने में।
हमें अंग्रेजी की किताबें पढ़ने की आदत होनी चाहिए। न्यूज़पेपर, कहानियां, नोबल, जीवनी। यह सभी हमें इंग्लिश में जोर जोर से पढ़ना चाहिए। इससे हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है।
सोचना एवं लिखना
हम जो भी अपने मन में सोचते हैं अक्सर और ज्यादातर हम हिंदी में ही सोचते हैं क्योंकि हमने छोटे से वही भाषा अपने आसपास सुनी और बोली है। लेकिन यदि हम इंग्लिश सीखना चाहते हैं, तो हमारे मन में जो भी भाव या विचार आ रहे हैं हमें उन्हें इंग्लिश में सोचना चाहिए। यह नहीं सोचना चाहिए कि हम गलत बोल रहे हैं। हमें कोशिश करनी चाहिए जैसे भी बने बोलें।
◆ हमारे मन में हमेशा कोई ना कोई विचार चलते ही रहते हैं। हमें उन विचारों को हिंदी में न सोचकर बस इंग्लिश में सोचना है।
◆ हमें लिखने की आदत होना चाहिये हमारे मन में जो भी विचार भावनाएं आती है, हमे इंग्लिश में अपनी कॉपी या पेपर पर लिख दे। इसके लिए हमें रोज़ इंग्लिश में डायरी लिखनी चाहिए। सुविचार भी हम लिख सकते हैं।
◆ इसके बाद जब यह सारी चीजें हम अपनी जीवनशैली में उतार ले उसके बाद हमें अपने उच्चारण (pronounciation), शब्दकोश और शुद्ध लेख पर ध्यान देना चाहिए। इस तरीके से हम अपनी जीवनशैली में इंग्लिश को बहुत आसानी से सीख सकते हैं।