लॉकडाउन के वजह से पूरी विश्व में आर्थिक गतिविधियां थम गई हैं। इसका घरेलू स्टील उद्योग और देश की सबसे बड़ी स्टील उत्पादक कंपनी, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) पर क्या असर होगा, इस विषय पर कंपनी के चेयरमैन, अनिल कुमार चौधरीजी के विचार।
प्रश्न: कोरोना के असर से सेल का प्रदर्शन कितना प्रभावित होगा?
“हमारी प्राथमिकता व्यापार नहीं, लोगों तक राहत पहुंचाना है। हमारे प्लांट में 14,000 टन ऑक्सीजन है, जो देश को समर्पित है। सेल के कर्मियों ने पीएम केयर्स फंड में 1 दिन के वेतन से 9 करोड़ दिए। सेल ने भी 30 करोड़ का योगदान दिया। राज्यों की इकाइयों ने भी मुख्यमंत्री राहत कोष में 1-1 करोड़ दिए हैं। ”
प्रश्न: आर्थिक गतिविधियां ठप होने से स्टील मांग भी प्रभावित हुई होगी?
“हमारा पिछले वर्ष का लक्ष्य 79 हजार करोड़ का था। उस दौरान आम चुनाव, अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर और वैश्विक मंदी की आशंका से व्यापार घटने की आशंका थी। 30 सितंबर, 2019 तक हमारे पास 20 लाख टन स्टॉक था, जो जनवरी तक खत्म हो गया। हमें पिछले साल जितने ही टर्नओवर की उम्मीद है।”
प्रश्न: अगर मांग में कमी आती है तो इसका असर व्यापार पर भी पड़ेगा?
“आज 45 फीसदी स्टील की खपत इन्फ्रा और 22 फीसदी सड़क निर्माण में होती है। रेलवे को प्रतिदिन 3,000 टन पटरियां आपूर्ति कर रहे हैं। चीन से 3.3 करोड़ टन के साथ दक्षिण पूर्व एशिया से भी ऑर्डर मिले हैं। लॉकडाउन के बाद मध्य पूर्व एशिया से ऑर्डर मिलने की संभावना है। उम्मीद है कि 3 मई को लॉकडाउन खत्म होते ही काम तेजी से शुरू हो जाएंगे। हां…लॉकडाउन से पहली और दूसरी तिमाही में कुछ असर तो जरूर पड़ेगा।”
प्रश्न: ऐसा तो नहीं कि मांग घटने व उत्पादन कायम रखने से आपकी भंडारण क्षमता खत्म हो गई हो। अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्टील के दाम गिरने की आशंका तो नहीं?
“नहीं… जैसे मैंने कहा कि हमने उत्पादन 50 फीसदी घटा दिया था। आज हमारे पास 20 लाख टन स्टील पड़ा है। लेकिन जल्द ही निर्माण कार्यों में तेजी आने से आपूर्ति फिर शुरू होगी और स्टॉक खाली होने लगेगा।”
प्रश्न: सेल के 1 लाख कर्मियों में कोई संक्रमित तो नहीं?
“जी नहीं। हमने शुरू से ही सावधानी बरती। हमारे बोकारो अस्पताल में जिला प्रशासन ने 9 बाहरी मरीज भेजे। लेकिन हमारे किसी भी स्थायी-अस्थायी कर्मी को संक्रमण नहीं हुआ।”