भारत का इतिहास कई रहस्यों से भरा हुआ है। ये कहानी है भीमकुण्ड की जो मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले से 70 किलोमीटर दूर बाजना गांव में स्थित है। कुंड का आकार गदे (एक प्रकार का शस्त्र) के आकार की तरह दिखता है। कुछ लोगों का कहना है, यह एक शांत ज्वालामुखी है।
विज्ञान के अनुसार
धरती का आकार बनने के बाद धरती की सतह पर धूम्रकेतु बारिश के रूप में बरसा। हजारों लाखों किलोमीटर दूर से आने वाले उल्कापिंड सतह पर बहुत तेजी से टकराये होंगें, लाखों साल चलने वाले इस सिलसिले से धरती को मिला और पानी से धरती पर जीवन संभव हुआ। इसके अनुसार जो चीजें धरती से टकराई, वह अपने साथ पानी लेकर आई होंगी। जिससे धरती पानी से परिपूर्ण हो गई। वही पहेली मिलती है एक कुंड में। परंतु यह आज भी एक अजूबा ही है। कहा जाता है, विश्व भर में कहीं भी कोई प्रलय, सुनामी आने पर कुंड का जल स्तर 30 फ़ीट बढ़ जाता है। यह कुंड गंगा की तरह निर्मल और पवित्र है। यह एक अगम कुंड माना जाता है।
कुंड में 200 फीट नीचे जाने पर तेज भौर आती है
कुंड में 200 फीट नीचे जाने पर तेज भौर आती है। मानो कोई लहर समुद्र से जुड़ी हो। यहां से दूर-दूर तक कोई समुद्र नही है। कहा जाता है उसी धरती पर महाभारत काल में जब पांडव अपने भाइयों से जुएं में सब कुछ हार गए थे, तब जुएं की शर्त के अनुसार उन्हें बनवास जाना पड़ा और 1 साल तक अज्ञात वास करना पड़ा।
मजबूरी के कारण हस्तनापुर भी छोड़ना पड़ा था। दावा किया जाता है, कि उसी अवधि के चलते पांडव मध्यप्रदेश के छतरपुर में बाजना पहुंचे। चारों ओर घने जंगलों से घिरा हुआ इलाका है, जहां सूर्य की रोशनी भी धरती को छू नहीं पाती। दावा किया जाता है, कि जब पांडव बाजना पहुंचे तब उनकी पत्नी द्रौपति को तेज प्यास लगी और भीम ने अपनी गदा पहाड़ पर मारी तब उस पहाड़ से एक कुंड निकला। 1970 में पानी में आर्मी के गोताखोरों को भी उतारा गया। नीचे जाकर पानी की तेज धार मिली, मानो यह धारा कोई समुद्र से जुड़ी हुई हो लेकिन आपको फिर से बता दें कि कुंड के आस-पास कोई भी समुद्र नहीं है।
वह धारा सादे से सादे गोताखोरों को भी बहाकर ले जाती है। गोताखोरों का एक दल 80 मीटर तक नीचे जाकर लौट आया। दावा किया गया ना ही कुंड का तल मिला और इसके नीचे जाना असंभव है। इस शोध का ना ही कोई वैज्ञानिक प्रमाण मिला है और ना ही कोई पुष्टि हुई है। लेकिन यहां 1 से 1.5 कुंटल तक की मछलियां होने का दावा किया गया। ये कहां से आती हैं और कहां चली जाती हैं? यहाँ से मरे हुये व्यक्ति की लाश यहाँ से बाहर नहीं आती, पानी में डूब कर मरे हुए व्यक्ति की लाश अक्सर पानी के ऊपर आ जाती है, लेकिन इस कुंड में से बेजान शरीर गुम हो जाता है।
तो आखिर इसका रहस्य क्या है? कुंड का जलस्तर बढ़ने का राज क्या है? कुंड के नीचे विशाल जलधारा का रहस्य क्या है? इन सारी पहेलियों का राज आखिर क्या है? इन सभी प्रश्नों का उत्तर अभी भी रहस्य बना हुआ है।