Sunday, December 22, 2024
hi Hindi

जानिए भारत के सबसे प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक के बारे में

by Divyansh Raghuwanshi
613 views

चित्रकूट भारत के सबसे प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक है। भारत के मध्य प्रदेश राज्य के सतना जिले में स्थित नगर पंचायत है। यह धार्मिक स्थल सतना जिले और उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले की सीमा पर स्थित है। पर्यटन की दृष्टि से भी चित्रकूट का विशेष महत्व है। भगवान राम के स्थल को देखने के लिए पर्यटक दूर-दूर से आते हैं।

विंध्य पर्वत श्रंखला और वनों से घिरा हुआ चित्रकूट धाम अति पावन है। रामायण में चित्रकूट स्थल का वर्णन है। ऋषि अत्री और सती अनुसूया ने चित्रकूट स्थल पर ध्यान लगाया था। सती अनुसूया के घर ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने जन्म लिया था। मंदाकिनी नदी के किनारे बसे चित्रकूट में भगवान राम, सीता और लक्ष्मण ने साथ बनवास बताया था। 14 सालों में से 11 वर्ष श्रीराम ने चित्रकूट पावन धाम में बिताए। चित्रकूट प्राकृतिक सौंदर्य और धर्मे का अद्भुत संगम है। चित्रकूट में आकर्षण के केंद्र कई स्थान है जिनमें रामघाट, जानकी कुंड, स्फटिक शिला, कामदगिरि पर्वत,अनुसुइया अत्रि आश्रम, गुप्त गोदावरी, हनुमान धारा और भरतकूप प्रमुख है।

चित्रकूट के प्रमुख स्थल

रामघाट

IMG 20200809 112429

Ramghat

मंदाकिनी नदी के तट पर बसे रामघाट में प्रभु श्री राम नित्य स्नान करते थे। राम घाट पर साधु-संत भजन और कीर्तन करते रहते हैं। राम घाट पर गोस्वामी तुलसीदास जी की प्रतिमा लगी हुई है। यहां हर समय धार्मिक क्रियाकलाप और कीर्तन चलता रहता है। रामघाट विशेष पावन और तीर्थ स्थल है।

हनुमान धारा

IMG 20200809 111148

Hanuman Dhara

चित्रकूट में पहाड़ी के शिखर पर हनुमान जी की विशाल मूर्ति है। हनुमान धारा के सामने तालाब में झरने से पानी गिरता है। पहाड़ी पर ऊपर सीता रसोई से चित्रकूट स्थल के सुंदर दृश्य देखे जा सकते हैं।

कामदगिरि पर्वत

IMG 20200809 112753

Kamadgiri

कामदगिरि पर्वत का विशेष महत्व है। इस पर्वत के श्रद्धालु और भक्तजन अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए परिक्रमा करते हैं। कामदगिरि पर्वत पर अनेक मंदिर बने हुए हैं। जंगलों से घिरे इस पर्वत में कामतानाथ और भरत मिलाप मंदिर बसे हुए हैं। धार्मिक दृष्टि से कामदगिरि पर्वत का विशेष महत्व है।

स्फटिक शिला

IMG 20200809 111019

Crystal Rock at Mandakini

मंदाकिनी नदी के किनारे स्फटिक शिला स्थित है। इस स्थान की मान्यता है, कि यहां पर सीता जी के पैरों के निशान हैं। जब सीता जी इस शिला पर खड़ी थी तो उन्हें जयंत ने काक का रूप धरकर चोट मारी थी। इसी शिला पर विराजमान होकर भगवान श्री राम और माता सीता चित्रकूट की प्राकृतिक सुंदरता को देखते थे।

गुप्त गोदावरी

IMG 20200809 110958

Gupt Godavari

यह नगर से 18 किलोमीटर दूर विशेष स्थान है, जिसे गुप्त गोदावरी कहते हैं। यहां पर दो गुफाएं स्थित हैं। एक गुफा चौड़ी और ऊंची है जिसका प्रवेश द्वार सकरा होने के कारण इसमें आसानी से नहीं जाया जा सकता। गुफा का अंत एक तालाब के साथ होता है, जिसे गोदावरी नदी कहा जाता है। दूसरी गुफा में हमेशा पानी बहता रहता है। इस गुफा के अंत में राम और लक्ष्मण ने दरबार लगाया था। गुप्त गोदावरी एक पावन स्थल है। यहां दो गुफाओं के संगम का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है।

सती अनुसुइया और अत्रि मुनि का आश्रम

IMG 20200809 110939

Sati Anusuya and Atri Muni Ashram

स्फटिक शिला से कुछ किलोमीटर की दूरी पर घने वनों में बसा एक एकांत आश्रम स्थित है। इस आश्रम में महान ऋषि अत्री, सती अनुसुइया, दत्तात्रेय और दुर्वासा मुनि की प्रतिमाएं स्थापित है।

आवागमन की सुविधा

चित्रकूट जाने के लिए वायु मार्ग, रेल मार्ग और सड़क मार्ग का उपयोग कर सकते हैं।

 

गर्मियों की छुट्टियों में घूमने की 10 सबसे बेहतरीन जगह

SAMACHARHUB RECOMMENDS

Leave a Comment