फुटबॉल दुनिया के सबसे प्रचलित खेलो में शुमार है। भारत में भी फुटबॉल के कई फैंस है। कई ऐसे भारतीय खिलाड़ी है जिन्होने भारतीय खेल को नए स्तर पे पहुंचाया है। आज हम इस लेख में आपको भारत के ऐसे प्रसिद्ध खिलाड़ियों के बारे में बताएंगे जिन्होंने भारतीय फुटबॉल में बहुत अहम योगदान दिया है।
फुटबॉल का खेल
फुट का अर्थ होता है पैर और बॉल मतलब गेंद। फुटबॉल मतलब पैरो से खेले जाने वाला खेल। फुटबॉल की टीम में 11 खिलाड़ी होते है। दोनों टीमों के खिलाडी अपना गोल करने और दूसरी टीम को गोल होने से रोकते है। 90 min का खेल होता है जिसमें 45-45 min के 2 फेस होते है। खेल में रेफरी होते है, जो खेल के नियम बताते है और उनका फैसला ही निर्णय होता है। सहायक रेफरी होते है, जो झंडा दिखाने में मदद करते है जब गेंद बाउंड्री से बहार चली जाती है तब या कोई फ़ाउल करने पर ये सहायता करते है। अगर खिलाड़ियों को रेफरी के निर्णय से संतुष्टि नहीं मिलती है, तो वह विरोध भी कर सकते हैं। खेक में स्ट्राइकर, डिफ़ेन्सर, मिडफील्डर्स, मेनेजर या कोच, गोलकीपर, होते है। जानते है 2 भारतीय प्रसिद्ध खिलाड़ियो के बारे में।
बाइचुंग भुटिया
बाइचुंग भूटिया का जन्म 15 दिसंबर 1976 को सिक्किम के भूटियां वंश में हुआ। यह भारत के एक प्रसिद्ध खिलाड़ी हैं, जो भारत के लिए स्ट्राइकर के रूप में खेलते थे। भूटिया नाम से प्रसिद्ध बाईचुंग भारत में ही नहीं बल्कि अपनी कला के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फुटबॉल के स्ट्राइकर के लिए प्रसिद्ध है।
फुटबॉल में उनकी शूटिंग की कला इतनी जोरदार है, कि उन्हें हमेशा ज्यादातर लोग सिख्खिम के स्पिनर के नाम से बुलाते हैं। आईएम विजयन जो कि भारत के एक बहुत ही प्रसिद्ध खिलाड़ी हैं, वे बाइचुंग को भगवान का उपहार बताते हैं। वे कहते हैं, कि बाइचुंग फुटबॉल के लिए भगवान का एक अनोखा तोहफा है। बाइचुंग की स्कूली शिक्षा बोर्डिंग स्कूल से हुई। बाइचुंग ने ‘झलक दिखला जा’ टीवी प्रोग्राम को जीता जिससे उनकी मैदान के बाहर एक अलग पहचान बन गई। इन्हें अर्जुन पुरस्कार और पद्मश्री पुरस्कार जैसे कई अनोखे पुरस्कार भी मिले हैं। सचमुच वो हमारे देश के लिए भगवान का एक अनमोल तोहफा है।
सुनील छेत्री
सुनील छेत्री का जन्म 3 अगस्त 1984 को सिकंदराबाद भारत में हुआ। यह भारत के लिए स्ट्राइकर या विंगर के रूप में खेलते हैं। भारतीय और राष्ट्रीय टीम दोनों में ही ये कप्तान होते हैं। यह क्रिस्टियाना रिएल्डो के बाद दूसरे नंबर पर आने वाले सबसे अधिक गोल करने वाले खिलाड़ी हैं।
72 राष्ट्रीय गोल और 112 दिखावे में इसी तरीके से यह दूसरे नंबर पर आने वाले सर्वाधिक गोल करने वाले खिलाड़ी हैं। सुनील हॉलको क्लब में खेलते हुए 11 नंबर पर आते हैं। 2001-2002 में सिटी फुटबॉल क्लब में खेला करते थे। छह बार प्लेयर ऑफ द ईयर का अवार्ड इन्हें मिल चुका है ,जो कि 2007, 2011, 2013, 2014, 2017, 2018-2019 में मिला है।
भारत में फुटबॉल और अन्य खेलों को बढ़ाने के लिए
खेल से हमारा शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य दोनों ही तंदुरूस्त रहते है। हमें बच्चों को बचपन से ही शिक्षा देनी चाहिए और उन्हें खेल के प्रति जागरूक भी करना चाहिए जिससे वह अपना और अपने देश का नाम ऊंचा यू तक ले जा सकें। अपनी कला में आविष्कार से हमारे देश के विकास में सहयोग कर सकें। वह अपने उज्जवल भविष्य के लिए खेलों के प्रति भी जागरूक रहें।