केरल में हमेशा नए बदलाव होते रहते हैं इसलिए केरल हमेशा नए बदलाव के लिए जाना जाता है।
अभी विधानसभा चुनाव में भी ऐसा ही बड़ा प्रयोग होने जा रहा है जो देश के किसी भी राज्य में नहीं हो सकता है। कामरेड पार्टी पहली बार टू टर्म लेकर आई है। जो भी नेता लगातार दो बार चुनाव जीत चुके हैं तीसरी बार चुनाव में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। यह Kerala Assembly Election क्षेत्र में काफी बड़ा बदलाव माना जा रहा है।
Kerala Assembly Election: इतने विधायक चुनाव में हिस्सा नहीं ले पाएंगे
इसके चलते 25 विधायक चुनाव में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। इस पर पोलितब्यूरो सचिवालय की मुहर भी लगा दी गई है। इस फैसले का पार्टी में लगातार विरोध हो रहा है। इसमें पांच मंत्री और विधानसभा स्पीकर शामिल हैं। पहले शुरुआत में दो बार चुनाव लड़ चुके उम्मीदवार को भी टिकट नहीं लेने की चर्चा की गई थी और इसमें 5 विधायक हैं, जो 6 बार से चुनाव जीत रहे हैं। सी एम पी विजयन भी पांच बार विधायक रहे हैं लेकिन दो बार लगातार नहीं रहे। सी एम पी विजयन का कहना है कि अगली बार मैं भी इस नियम के दायरे में आ जाऊंगा। फिलहाल यह भी चुनाव में शामिल हो सकते हैं।
Kerala Assembly Election: वित्र मंत्री थॉमस इसाक पब्लिक वर्क्स मंत्री सुधारक जैसे बड़े दिग्गज नेताओं का नाम के चक्कर में जबरदस्ती टिकट काटा जा रहा है। कई अच्छे विधायकों का भी टिकट काटे जाने की आशंका है। 25 में से 15 सीटों का सीएम को खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। यह कांग्रेस के लिए अच्छा मौका हो सकता है लेकिन उसे अच्छे उम्मीदवार उतारने पड़ेंगे। तभी कांग्रेस को कामयाबी मिल सकती है।
सेव द सीएम फोरम टू टर्म नॉर्म लाने के पीछे सीएम ने कहा है कि पार्टी के नए नेताओं एवं युवाओं को आगे आने का मौका देना चाहिए। नए युवा आने से नए नए बदलाव भी आएंगे। यह हमारे देश के लिए भी फायदेमंद होगा।
बी एस अच्युतानंदन के खेमे के बड़े नेताओं को इस नियम के जरिए सी एम पी विजयन के किनारे करना चाह रहे हैं। यह अति आत्मविश्वास के शिकार हो चुके हैं। केरल सीपीएम के दो गुट हैं।
Kerala Assembly Election: एक अच्युतानंदन गुट इसमें अच्युतानंदन की उम्र ज्यादा हो गई है और वह राजनीति में सक्रिय भी नहीं है। दूसरा पी विजयन गुट केरल की न्यू इंडियन एक्सप्रेस के एडिटर राजेश अब्राहिम का कहना है कि यह टू टर्म नॉर्म का सुसाइड है। इस नियम से अच्युतानंदन ग्रुप के लोगों को कमजोर करने की मंशा है।
इस नियम में बदलाव का फर्क तो चुनाव होने के बाद ही पता लग पाएगा कि किस को नुकसान और किसको फायदा हुआ है। एक रिपोर्ट में पता चला है कि राजनीति के इस नियम में बदलाव होने से किसी भी पार्टी को नुकसान नहीं होगा इससे बल्कि कई अच्छे बदलाव देखने को मिलेंगे। इससे उन लोगों को मौका मिलेगा जिन्होंने अभी तक राजनीति का मजा नहीं चखा है।