केदारनाथ हादसा में जाने कब क्या हुआ
- 14 जून से लगातार बारिश हो रही थी, जो कि 17 जून तक शाम तक चलती रही।
- केदारनाथ ही नहीं नदी के बहाव के साथ आगे बढ़ते हुए रामबाड़ा, गौरीकुंड, सोनप्रयाग, चंद्रापुरी, अगस्त्यमुनि और श्रीनगर जैसे इलाकों में भी कुदरत ने जमकर तबाही मचाई।
- उत्तराखंड में कई जगह बड़े बड़े भूस्खलन हुए, रास्ते कट गए और पुल टूट गए।
- ये तबाही किसी एक दिन आई बाढ़ से नहीं हुई बल्कि दो तीन दिन तक अलग-अलग जगह पूरे राज्य में तांडव होता रहा।
- 16 तारीख की सुबह भैंरोनाथ के मंदिर वाली पहाड़ी टूटने लगी। वहां से भूस्खलन शुरू हो गया और केदारनाथ से भैंरो मंदिर जाने वाला मार्ग बंद हो गया।
- वासुकी ताल से आने वाली दूध गंगा और मधु गंगा अपने सामान्य स्तर से कई फुट ऊपर बह रहीं थीं। यही हाल मंदाकिनी और दूसरी नदियों का भी था।
- केदारनाथ में पहली बार ज़बरदस्त बाढ़ 16 तारीख की शाम को आई। शाम को मंदिर में होने वाली आरती से ठीक पहले ये रविवार का दिन था। बाढ़ अपने साथ बहुत सारा कीचड़ और रेत लेकर आई और मंदिर के पास बना हेलीपैड बह गया। ये शाम 50 की बात है। ये इतनी ज़बरदस्त बाढ़ थी कि जहां से पानी गुजरा वहां कुछ बचा ही नहीं।
- केदारनाथ में नदी के ऊपर बने दो पुल बह गए । यानी मंदिर के साथ ज़मीनी संपर्क कट गया था। शंकरचार्य की 8वीं शताब्दी में बनी समाधि भी खत्म हो गई। इसके अलावा शंकराचार्य की दो प्रतिमाएं, एक स्फटिक लिंग और एक हनुमान की मूर्ति भी बह चुकी थी। इस सारे ढ़ांचों के अवशेष इक्का दुक्का जगह बचे थे। कई सारे आश्रमों का भी कुछ पता नहीं था।
- केदारनाथ मंदिर परिसर मिनटों में पानी से लबालब भर गया था
- पानी अपने साथ इतना कीचड़ और बड़े बड़े पत्थर लेकर आया कि कम से कम 50-60 लोग बह गए होंगे। बस वही लोग बच पाए जिन्होंने किसी चीज़ को थाम लिया।
- भारत सेवा आश्रम, बिड़ला आश्रम और शंकराचार्य समाधि 16 तारीख को हुई तबाही में खत्म हो गए थे।
- 17 जून 2013 – सुबह केदारनाथ में चौराबाड़ी ताल में बज्रपात हुआ, केदारनाथ के चारो ओर बज्रपात होने से पानी व भूस्खलन शुरु हो गया। केदारनाथ में तेज़ी से पानी भरने लगा और पानी का स्तर बढ़ता ही गया।
- केदारनाथ में मंदिर को छोड़कर सब कुछ तहस नहस हो गया।
- केदारनाथ में हुई तबाही के बाद रामबाड़ा, गौरीकुंड व सोनप्रयाग में भी तबाही ने दस्तक दी।
- पुलिस के सभी वायरलैस सैट खराब होने से 18 जून को आपदा की सही जानकारी जिला प्रशासन को मिली। लेकिन केदारनाथ में लगातार मौसम खराब होने की वजह से राहत कार्य तेजी से शुरू नहीं हो पाया।
- सेना ने भी 19 जून को मोर्चा संभाला। एनडीएआएफ, आईटीबीपी समेत स्थानीय पुलिस ने राहत कार्यो में जुट गए। वायुसेना के हेलीकॉप्टर की भी मदद ली गई।
- 16 जुलाई 2013 के उत्तराखंड सरकार के द्वारा जारी किए गए आंकड़े के मुताबिक केदारनाथ आपदा में कुल 5700 लोगों की मौत हुई । इसमें से 934 अकेले उत्तराखंड के हैं।
- आपदा में लापता लोगों की संख्या को लेकर अभी भी स्थिति स्पष्ट नहीं है।