कोरोनावायरस के कारण फैली इस महामारी से अमेरिका में विदेशी छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई करनी पड़ रही है। अमेरिका के विदेशी छात्रों पर अमेरिका ने कहा है, कि अगर विद्यार्थी ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं तो उन्हें अमेरिका छोड़कर देश लौट जाना चाहिए। हालांकि, कोरोनावायरस के चलते विदेशी छात्रों को अमेरिका में रहने की अनुमति देते हुए अपने बयान को वापस ले लिया है। लेकिन हाल ही कि रिपोर्ट में सामने आया है, कि कुछ विश्वविद्यालयों (हार्वर्ड विश्वविद्यालय और मैसाच्युसैट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टक्नोलॉजी) के विदेशी छात्रों ने देश छोड़ने के दिए गए बयान पर कोर्ट में याचिका दायर कर दी है।
लेकिन आगे अगर किसी कारण के चलते विदेशी छात्रों को रहने की इजाजत नहीं दी जाती है, तो इससे कई सारे भारतीय छात्रों के साथ-साथ अन्य देशों के छात्रों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। अंतरराष्ट्रीय शिक्षा विनियम कि 2019 ओपन डोर्स रिपोर्ट के अनुसार 2018-19 के शैक्षणिक वर्ष में भारत सहित कई देशों के एक करोड़ से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय छात्र अमेरिका में शिक्षा प्राप्त कर रहे थे। इन सभी देशों में से भारत और चाइना के सबसे ज्यादा छात्र यहां पर अपनी पढ़ाई को संचालित करते हैं।
जैसा कि 2018-19 में आई रिपोर्ट के अनुसार शैक्षणिक वर्ष में ऐसा पहली बार हुआ था, जब अमेरिका में भारतीय छात्र पढ़ने की संख्या लगभग दो लाख के पार हो गई थी। अगर हम इसी संख्या की कुछ बीते हुए समय की बात करें जैसे कि 2012-13 में आई रिपोर्ट के अनुसार एक लाख से भी कम छात्र अमेरिका में शिक्षा ग्रहण करते थे। हाल ही में अमेरिका की सरकार ने एक डाटा जारी किया था जिसमें कहा कि अमेरिका में 1,94,556 भारत के सक्रिय छात्रों की संख्या थी।
अंतरराष्ट्रीय छात्र अमेरिका के राजस्व में 30 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा का देते हैं योगदान
अमेरिका में भारतीय छात्रों की प्रोफाइल बाकी अंतरराष्ट्रीय छात्रों से काफी अलग है क्योंकि अमेरिका में भारत के छात्रों को महत्वपूर्ण स्त्रोत माना जाता है।
भारतीय छात्र स्नातक कार्यक्रमों और वैकल्पिक व्यावहारिक प्रशिक्षण के लिए 80 फ़ीसदी से ज्यादा पदांकित हैं और इसमें से पूर्वस्नातक कार्यक्रमों के लिए अमेरिका में केवल 12 फीसदी ही ऐसे छात्र है, जो पदांकित हैं। इनमें से जिस छात्र के पास वीजा है उसको अमेरिका में एक साल काम करने की अनुमति प्रदान की जाती है। अंतरराष्ट्रीय छात्र अमेरिका की अर्थव्यवस्था में राजस्व का एक बड़ा स्रोत हैं।
वॉशिंगटन आधारित अंतरराष्ट्रीय छात्रों और एक्सचेंज पर नॉन प्रॉफिट एजेंसी एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल एजुकेटर्स के अनुसार अंतरराष्ट्रीय छात्र अमेरिका के राजस्व में 30 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा का महत्वपूर्ण योगदान करते हैं, जो अमेरिका की इकोनामिक पावर बढ़ाने के लिए विदेशी छात्रों का एक बड़ा योगदान माना जा सकता है।
टालमटोल की वजह से नए नामांकन में आई कमी
यह तो बात हुई शिक्षा के क्षेत्र में अगर हम बात करें शिक्षा के अलावा अन्य क्षेत्रों की तो अंतरराष्ट्रीय छात्र 4 लाख 60 हजार से भी ज्यादा नौकरियों में योगदान करते हैं। अमेरिका में हुए नवंबर 2019 में सर्वे के अनुसार वीजा आवेदन प्रक्रिया में देरी और आलसीपन की वजह से वर्ष 2019 में नए नामांकन की प्रक्रिया दर में काफी ज्यादा गिरावट देखी गई है।